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1

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2

(3)

3

(4)

4 पा य म अ भक प स म त

डॉ. आर. वी. यास कुलप त

वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

अ य ो. आर. स यनारायन, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग इि दरा गांधी रा य मु त व व व यालय नई द ल

सद य

ो. पी. बी. मंगला, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग

द ल व व व यालय, द ल

सद य ो. एन. के. शमा, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग कु े व व व यालय

कु े (ह रयाणा)

सद य

ो. कृ ण कुमार

पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग द ल व व व यालय, द ल

सद य ो. जी. डी. भागव, पूव वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान अ ययनशाला

व म व व व यालय, उ जैन(म. .)

सद य

डॉ.दनेश कुमार गु ता,सहायक आचाय पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

सद य ो. आर. जी. पाराशर, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग डॉ. ह र संह गौड़ व व व यालय सागर (म ..)

सद य

डॉ.एच.बी. न दवाना, वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

संयोजक

पा य म नमाण दल

ो. जी. डी. भागव, पूव वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान अ ययनशाला

व म व व व यालय, उ जैन

ी सी.एल. शमा, पूव सहायक आचाय पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपुर

डॉ. बी. के. संह, सहायक पु तकालया य वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

डॉ.एस.पी. सूद, पूव सहआचाय एवं वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपुर

ी एस. कुमार, सह आचाय

पु तकालय एवं सूचना व ान अ ययनशाला

व म व व व यालय, उ जैन

ो. सी.पी.व श ठ

पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग द ल व व व यालय, द ल

ो. एस. एस. अ वाल, पूव वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान अ ययनशाला

व म व व व यालय, उ जैन

ो. एन.के. शमा, पूव वभागा य पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग कु े व व व यालय, कु े

डॉ.एच.बी. न दवाना, सह आचाय पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

स पादक

ो. सी.पी.व श ठ

पु तकालय एवं सूचना व ान वभाग द ल व व व यालय, द ल

(5)

5 अकाद मक एवं शास नक यव था

ो. (डॉ.)नरेश दाधीच

कुलप त

वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

ो.(डॉ.) एम. के. घडो लया

नदेशक(अकाद मक) संकाय वभाग

ो.योगे गोयल

भार अ धकार

पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन योगे गोयल सहायक उ पादन अ धकार वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

उ पादन - अग त 2011 ISBN : 978-81-8496-201-7

इस साम ी के कसी भी अंश को व. म. खु. व. कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी प म अथवा म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पुनः तुत करने क अनुम त नह ं है।

व. म. खु. व. कोटा के लए कुलस चव व. म. खु. व. कोटा(राज थान) वारा मु त एवं का शत।

(6)

6 बी.एल.आई.एस.-2 पु तकालय वग करण एवं सूचीकरण- स ा त

वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

2

इकाई - 1 पु तकालय सूची : आव यकता, उ े य तथा काय 9—22

इकाई - 2 पु तकालय सूचीकरण के आदशक स ा त 23—43

इकाई - 3 सूची के भौ तक व प 44—55

इकाई - 4 पु तकालय सूची के आ त रक व प 56—67

इकाई - 5 वि टय के कार- मु य वि ट, उ े य, काय एवं व प 68—84 इकाई - 6 इतर वि टयाँ, उ े य, काय एवं व प 85—99

इकाई - 7 के कृत सूचीकरण 100—113

इकाई - 8 सहकार सूचीकरण एवं संघ सूची 114—132

इकाई - 9 वि टय का व यसन : आनुव गक और आनुव णक 133—148 इकाई - 10 पा चा य एवं भारतीय नाम के शीषक का वरण एवं उपक पन 149—160

इकाई - 11 समि ट लेखक 161—197

इकाई - 12 छ नामधार व अ ात लेखक एवं एक प आ या 198—206 इकाई - 13 वषय सूचीकरण- उ े य, काय एवं सम याएँ 207—213 इकाई - 14 सीयस ल ट ऑफ सबजे ट है डं स(सं करण-16) एवं ृंखला

अनु मीकरण 214—230

(7)

7 इकाई 1- इस इकाई म पु तकालय सूची के उ व, वकास, अथ एवं प रभाषा को समझाया गया

है। पु तकालय सूची क आव यकता, उ े य एवं काय से प र चत करवाते हु ये इसक उपयो गता एवं मह व पर काश डाला गया है। पु ताकालय सूची एवं थ संदभ सूची म अ तर के साथ पु ताकालय व ान के पंच सू एवं पू ताकालय सूची क

व तार से चचा क गयी है।

इकाई -2- इस इकाई म आदशक स ा त का अथ प ट कर सू , उपसू एवं स ा त को

प रभा षत कया गया है। आदशक स ा त के ऐ तहा सक वकास पर काश डाला

गया है। सूचीकरण उपसू क आव यकता एवं मह व से अवगत करवाते हु ये

सूचीकरण के सू एवं स ा त क व तार से चचा क गयी है।

इकाई -3- सूची के भौ तक व प का अथ प ट कया गया है । सूची के व भ न व प- पर परागत एवं अपर परागत क व तार से चचा क गयी ह । एवं इनके गुण एवं

दोष से प रचय करवाया गया है।

इकाई -4- सूची के आ त रक व प का अथ प ट कया गया है। सूची के आ त रक व प का

वकास एवं इसके कार क जानकार द गयी है। सूची के व भ न आ त रक कार के गुण एवं दोष क चचा करते हु ये श दकोशीय एवं वग कृत सूची का तुलना मक अ ययन तुत कया गया ह।

इकाई -5- इस इकाई मु य म व ट को प रभा षत कया गया ह एवं इसके ोत से अवगत करवाया गया ह। मु य व ट के उ े य, काय, व प क व तार से चचा क गयी

ह।

इकाई -6- यह इकाई इतर वि टय से सं बि धत ह इतर वि टय को प रभा षत क राते हु ये

इसक वशेषताओं पर काश डाला गया ह। इतर वि टय के उ े य, काय, व प एवं कार क व तार से जानकार उपल ध कारवायी गयी ह।

इकाई -7- इस इकाई म के कृत सूचीकरण क अवधारणा, उ े य, एवं\ गुण-दोष से प रचय करवाया गया ह के कृत सूचीकरण के व भ न व प एवं भारत म के कृत सूचीकरण क सम याय और नदान पर काश डाला गया

इकाई -8- यह सहकार सूचीकरण तथा संघ सूची से स बि धत है। सहकार सूचीकरण क अवधारणा से प रचय करवाया गया है। के कृत एवं सहकार सूचीकरण म वभेद को

बताते हु ये सहकार सूचीकरण के गुण एवं दोष से अवगत करवाया गया है। संघ सूची

क अवधारणा, उ े य, काय एवं उपयो गता पर काश डाला गया है। संघ सूची

संक लत करने क व ध को प र चत करवाते हु ये व भ न कार क संघ सू चय क जानकार उपल ध करवायी गयी है।

इकाई -9- यह इकाई वि टय का व यास-आनुव गक एवं आनुव णक से स बि धत है।

वि टय के व यासन से प र चत करवाते हु ये देवनागर ल प म अनुवण करण क सम याओं से अवगत करवाया गया है। अनुवण करण क व भ न व धय एवं

प तय से प रचय केवाया गया है। आनुव गक एवं आनुव णक व यसन क व तार से चचा क गयी है।

(8)

8 इकाई-10- इस इकाई म भारतीय एवं पा चा य नाम क संरचना का वणन कया गया है।

भारतीय एवं पा चा य नाम के सी सी सी एवं ए ए सी आर-2 के उपक पन के

नयम क उदाहरण स हत जानकार तुत क गयी है।

इकाई -11- यह इकाई समि ट लेखक से स बि धत है। इसम समि ट नकाय एवं लेखक को

प रभा षत कया गया है। समि ट लेखक क व भ न े णय एवं उसके अंग का सी

सी सी एवं ए ए सी आर-2 के अनुसार सूचीकरण करना बताया गया है।

इकाई -12- यह इकाई नामधार व अ ात लेखक एवं एक प आ या से स बि धत है। छ नामधार लेखक को प रभा षत कया गया है एवं सी सी सी एवं ए ए सी आर के

अनुसार सूचीकरण करने के नयम क जानकार द गयी है। अ ात नयम पर काश डाला गया है। एक प आ या एवं ए ए सी आर-2 के अनुसार सूचीकृत करने

के नयम पर काश डाला गया है। एक प आ या का अथ प ट कर ए ए सी आर के नयम क जानकार द गयी ।

इकाई -13- यह इकाई वषय सूचीकरण पर काश डालती है । वषय सूचीकरण को प रभा षत करते हु ये वषय सूची के उ े य एवं काय से अवगत करवाया गया है। वषय सूची के

व भ न कार क कर देते हु ये इसक सम याओं का व तार से वणन तुत कया गया है।

इकाई-14- यह इकाई सीयस ल ट ऑफ सबजे ट हे डं स (सं करण-16) एवं ृंखला

अनु मणीकरण से स बि धत है। सीयस ल ट ऑफ स जे ट है डं स क संरचना

एवं इसके ारा वषय शीषक नमाण क व ध से अवगत करवाया गया है। ृंखला

अनु मणीकरण क प रभाषा आव यकता, वषय शीषक नमाण क या एवं इसके

गुण एवं दोष क व तार से चचा क गयी है।

(9)

9

इकाई- 1 : पु तकालय सूची : आव यकता, उ े य एवं काय (Library Catalogue:Need, Aims and Functions)

उ े य

इस इकाई के न न ल खत उ े य है :-

1. पु तकालय सूची के, उ व वकास, अथ एवं प रभाषा से अवगत होना, 2. पु तकालय सूची क आव यकता तथा उ े य के स ब ध म जानना, 3. पु तकालय सूची के काय से प र चत होना,

4. पु तकालय सूची क उपयो गता रख मह व से अवगत होना, 5. वग करण रख सूचीकरण के स ब ध से प र चत होना,

6. पु तकालय सूची एव ंथ स दभ सूची क भ नता से प र चत होना, 7. पु तकालय व ान के पाँच सू एवं पु तकालय सूची के स ब ध म जानना।

संरचना

1. वषय वेश

2. पु तकालय सूची का उ व एवं वकास

3. पु तकालय सूची का अथ एवं उसक प रभाषा

4. पु तकालय सूची के उ ये तथा उसक आव यकता

5. पु तकालय सूची के काय

6. वग करण एवं सू चकरण के स ब ध का व लेषण 7. पु तकालय सूची तथ' थ संदभ सूची

8. पु तकालय सूची क उपयो गता तथा मह व

9. पु तकालय व ान के पाँच सू एवं पु तकालय सूची

10.सारांश

11.अ यासाथ न 12.पा रभा षक श दावल

13. व तृत अ ययनाथ थसूची

1. वषय वेश (Introduction)

इस इकाई म आप पु तकालय काय और सेवा से स बि धत मह वपूण उपकरण तथा

अ भलेख सूची (Catalogue) के बारे म जानकार ा त करगे। स म सूची के अभाव म स तोषजनक पु तकालय सेवा स भव नह ं ह। सूची को ने क सं ा द जाती है। सूची के

मा यम से पु तकालय म सं ह त पा य साम ी का अवलोकन कर सकते ह।

पु तकालय का मु य काय पाठक क आव यकताओं और उनक च के अनु प पा य-साम ी का सं हण करना और उनको सहायक म म यवि थत करना ह और

(10)

10 आव यकता पड़ने पर उसको त काल पाठक को उपल ध करवाना है। इसी उ े य क पू त के

लए पाठक को पु तकालय म सं ह त पा य-साम ी क सूचना दान करना नता त आव यक है। पु तकालय म पा य-साम ी पाठक के उपयोगाथ ह अिजत, सं ह त तथा यवि थत क जाती है, ता क पाठक को पा यसाम ी त काल उपल ध करवायी जा सके। पु तकालय अपने

उ े य ाि त म तभी सफल समझा जाता है जब उसम सं ह त पा य साम ी का उपयोग अ धका धक पाठक ' वारा कया जा सके। पु तकालय सूची पाठक को पु तकालय म सं ह त पा य-साम ी क सूचना दान करने का काय करती है। यह पाठक को पा य-साम ी क

या या करके उसको अभी ट सूचना / पु तक ा त करने म स म बनाती ह। सं ेप म कह सकते ह क बना े ठ सूची के पु तकालय का नमाण संभव नह है। तुत इकाई म पु तकालय सूची क आव यकता, काय. उपयो गता एव मह व के बारे म जानकार द गयी ह।

2. पु तकालय सूची का उ व एवं वकास (Origin & Development of Library Catalogue)

ाचीन काल म पु तक क सं या सी मत होती थी। थ हाथ से लखे जाने के

कारण इनको मू यवान व तुओं के प म ब द अलमा रय म रखा जाता था। उस समय येक पु तक क एक व तृत वि ट (Entry)) तैयार क जाती थी। ऐसी सू चय को वणना मक सूची (Descriptive Catalogue) कहते थे। समय के साथ-साथ कागज नमाण एवं मु ण से

स बि धत अनेक आ व कार हु ए। इसके फल व प पु तक क सं या म वृ होने लगी ले कन पु तकालय का मु य काय पु तक का संर ण ह माना जाता रहा। अत: येक पु तक क एक सं त वि ट न मत करने का चलन हु आ।

ऐसी सूची को ता लका मक सूची Inventory Catalogue) कहा जाता है। उपरो त दोन कार क सू चय म त पु तक एक वि ट का ह नमाण कया जाता था।

बींसवी शता द के आर भ म पु तकालय सेवा स ब धी ि टकोण म प रवतन हु आ।

इसके प रणाम व प पु तकालय का काय पा य-साम ी का संर ण न रहकर उसका अ धकतम उपयोग करवाना हो गया है। े ठ पु तकालय उसी को माना जाता है िजसम पा य साम ी का

योग अ धकतम हो। अब यह कहा जाता है क य द पाठक को अपने अभी ट पु तक के बारे

म त नक भी सूचना ात है तो पु तकालय सूची क सहायता से उसको पु तक ा त करने म कोई क ठनाई नह ं होनी चा हए। अत: आधु नक पु तकालय सूची म “ त पु तक अनेक वि टय” का चलन हु आ है। इसम पाठक के अनेक अ भगम (Approaches) को स तु ट कया जा सकता है। ऐसी सूची म वि टयाँ न तो वणना मक सूची भां त व तृत होती है और न ता लका मक सूची क भां त अ य त सं त होती है।

(11)

11

3. पु तकालय सूची का अथ एवं प रभाषा (Meaning & Definition of Library Catalogue)

' आं ल भाषा के Catalogue'' नामक श द क उ पि त ीक भाषा के एक वा यांश

“Kata-Logos” से हु यी है। “Kata” का अथ है “अनुसार” या “से” और ''Logos'' के व भ न अथ ह जैसे “ म'”, “श द”, “ववेक” अथवा “तकसंगत” आ द। अत: Catalogue से ता पय उस व तु से है िजसम ववेक, तक, बु अथवा कसी म के अनुसार सूचना का व यास हो।

ह द भाषा म सूची श द आं ल भाषा के “Catalogue” नामक श द के थान पर ह यु त कया जाता है।

व भ न व वान ने व भ न कार से सूची को प रभा षत कया है। जे स डफ ाउन ने सूची क प रभाषा न नानुसार क है “ य तथा उनम व णत वषय-साम ी खोजने के लये

सूची व या या मक, तकसंगत, सु यवि थत ता लका तथा कुंजी है और यह कसी व श ट पु तकालय म सं ह त थ तक ह सी मत रहती है' '। डॉ. एस. आर. रंगनाथान सूची को

एक उपकरण मानते ह। आपके अनुसार पु तकालय सूची एक उपकरण है जो पाठक को

पु तकालय म सं ह त पा य- साम ी के बारे म सूचना दान करती है। यह दो भाग म वभािजत रहती है। वषय के अनुसार तथा लेखक के अनुसार। यह पा य-साम ी के व यास तथा म-िजसके अनुसार क वह नधा नय (Shelves) पर रखी है के स ब ध म सूचना

दान करती है। यह पाठक को उसका अभी ट थ बना समय न ट कये हु ए ा त करने म सहायक है। यह पाठक तथा कमचा रय का समय बचाती है। सी. ए. कटर ने सूची क प रभाषा

न नानुसार क है- “पु तकालय सूची कसी नि चत योजनानुसार यवि थत थ क सूची है।

थ सूची (Bibliography) से भेद करने पर यह कसी पु तकालय या स ह के थ क सूची हे।“

सं ेप म सूची एक कुंजी के समान है जो पाठक के सम ान जगत को द शत करती है। सूची को “नै ” क भी सं ा द जाती है। सूची के मा यम से पु तकालय म सं ह त पा य-साम ी का अवलोकन कर सकते ह।

4. पु तकालय सूची के उ े य एवं आव यकता (Objective & Need of Library Catalogue)

पु तकालय सूची का मु य उ े य पाठक को पु तकालय म सं हत पा य-साम ी क स पूण जानकार उपल ध करवाना है। यह पाठक को पु तकालय के सं ह म से अपना अभी ट

थ त काल खोज नकालने म साम यवान बनाती है। सूची पु तक तथा उसम व णत साम ी को खोजने का एक साधन है। इस ि ट से कुछ खोज नाम (Search name) / न नानुसार

1. लेखक का नाम, 2. पु तक क आ या, 3. पु तक का वषय-नाम,

(12)

12 4. सहकारक का नाम, और

5. थमाला का नाम।

चा स एमी कटर ने अपने सु व यात थ '' स फॉर ए ड शनर केटॉलॉग” म सव थम अ य त सरल तथा प ट प से न नानुसार सूची के उ े य का वणन कया है -

1. कसी यि त को अभी ट थ ा त करने म साम यवान बनाना य द उसको थ का

(क)लेखक ; अथवा

(ख)आ या ; अथवा

(ग) वषय ात है।

2. यह द शत करना क पु तकालय म - (घ)एक व श ट लेखक वारा र चत; (ङ) एक व श ट वषय से स बि धत, तथ

(च) एक व श ट कार के सा ह य पर र चत कौन-कौन से थ उपल ध ह, और 3. थ चयन म सहायता करना जहां तक थ के -

(छ)सं करण और

(ज)ल ण का न ह (इसका अथ, पृ ठ सं या, च ा द, काशन ववरण, ट प णय आ द से है) ।

रंगनाथन के अनुसार सूची पु तकालय व ान के सू के पालनाथ एक उपकरण है।

आपने सूची के उ े य को अपने सु व यात थ ''फाइव लॉज ऑफ लाइ ेर साइंस” के आधार पर न नानुसार बताये ह -

1. येक पाठक को उसका अभी ट थ, कट करना; 2. येक थ को उसका अभी ट पाठक ा त कराना; 3. पाठक के समय को न ट होने से बचाना, तथा इस हेतु; 4. कमचा रय के समय को न ट होने से बचाना।

कु. आई. जी. मन ने सूची के उ े य का वणन करते हु ये लखा है, सूची का उ े य व उपकरण का नमाण करना है जो क पाठक को चार व भ न बात के स ब ध म सह सूचना दान करता है-

1. या पु तकालय म कोई व श ट थ उपल ध है िजसके स ब ध म पाठक को कसी

भी ऐसे शीषक के बारे म सह सूचना ा त है िजसके अंतगत एक आधु नक सूची

सं हता उसको व ट करेगी।

2. उस ध के सम त वाड़गमय (Bibliography) त य का स पूण ववरण िजसक आव यकता एक सामा य पाठक को होती है न क ंथरागी (Bibliophile) को।

वाड़गमय त य से ता पय थ क आ या, लेखक, सहकारक, सं करण, काशक का

(13)

13 नाम, थान और काशन वष, पृ ठ सं या, आकार, थमाला आ द के नाम से होता

है।

3. पु तकालय म उपल ध कसी व श ट लेखक वारा र चत थ, पुि तकाओं

(Pamphlets) तथा अ य पृथक-पृथक प म का शत थ क स पूण सूची।

4. पु तकालय म उपल ध कसी व श ट वषय पर, ल खत पृथक-पृथक प म का शत थ क स पूण सूची'”।

मा ट मन के अनुसार सूचीकरण का उ े य थ के सं ह म यव था उ प न करना

है ता क उ ह सु वधापूवक खोजा जा सके तथा उनका उपयोग स दभ रख आदान- दान हेतु

कया जा सके।

5. पु तकालय सूची के काय (Functions of Library Catalogue)

यह न ववाद प से स य है क पु तकालय सेवा के लए एक अ यंत उपयोगी, मह वपूण और आव यक उपकरण है। सन ् 1961 म ''सूचीकरण स ा त” के अ तरा य स मेलन International Conference on Cataloguing Principles) म लेखक-आ या सूची

(Author-title Catalogue) के काय का न नानुसार उ लेख कया गया-

1. या पु तकालय म कोई व श ट ंथ उपल ध है िजसको (क) उसके लेखक और आ या अथवा (ख) य द लेखक का नाम ंथ म अं कत न हो तो केवल उसके आ या, अथवा (ग) लेखक तथा आ या क अनुपि थ त म आ या के लये एक उपयु त

थानाप न आ या आ द से उ ले खत कया गया है, तथा

2. कसी व श ट लेखक के कौन-कौन से ंथ और कसी व श ट ंथ के कौन -कौन से

सं करण पु तकालय म उपल ध ह?

व तुत: सूची का काय पाठक के व भ न न के उ तर देना है, जैसे क -

1. या पु तकालय म अमुक लेखक का अमुक ंथ उपल ध है? इसके लये पु तकालय म सं ह त सम त ंथ को उनके लेखक के अ तगत व ट कया जाना चा हये। ऐसी

वि टय को लेखक वि टयां कहते ह।

2. अमुक लेखक के कौन-कौन से ंथ, पु तकालय म उपल ध ह? इसके लये आव यक है क लेखक वि टय को इस कार व या सत कया जाये क कसी व श ट लेखक

वारा र चत सम त ंथो क जानकार सूची म र त ह थान पर उपल ध हो सके।

3. या पु तकालय म अमुक आ या का ंथ उपल ध है? इसके लये ंथ को उनक आ याओं के अ तगत व ट करके सूची म आ या वि टय का नमाण करना

चा हये।

4. या अमुक स पादक वारा स पा दत अथवा अनुवादक वारा अनू दत अथवा कसी

अ य सहकारक वारा तुत अमुक ंथ, पु तकालय म उपल ध है? इसके लये

पु तकालय म सं ह त येक ंथ को सहकारको के अ तगत व ट करना चा हए।

इन वि टय को सहकारक वि टयां कहते ह।

(14)

14 5. अमुक स पादक वारा स पा दत अथवा अनुवादक वारा अनू दत अथवा कसी अ य

सहकारक वारा तुत कौन- कौन से थ पु तकालय म उपल ध ह?

इसके लये उपयु त सहकारक वि टय को इस कार व या सत कया माना चा हए

िजससे क व श ट सहकारक वारा तुत ंथ के स ब ध म सूची म एक ह थान पर जानकार ा त हो सके।

6. या पु तकालय म अमुक ंथमाला का अमुक ंथ उपल ध है? इसके लये सूची म

ंथ को स बि धत ंथमाला के अ तगत व ट करके ंथमाला वि टय का नमाण कया जाना चा हए।

7. अमुक ंथमाला के कौन-कौन से ंथ, पु तकालय म उपल ध ह? इस े लये ंथमाला

वि टय को इस कार व या सत कया जाना चा हये क िजससे पु तकालय म उपल ध एक ंथमाला से स बि धत सम त ंथ के बारे म जानकार एक ह थान पर एक त हो सके

8. या पु तकालय म अमुक वषय से स बि धत अमुक ंथ उपल ध है? अथवा य द स पूण ंथ न हो तो कसी ंथ अथवा ंथ के अंश उस वषय से स बि धत है? इसके लये पु तकालय म सं ह त येक थ को यहां तक क ंथ के अंश को भी

उनसे स बि धत वषय के अ तगत व ट कया जाना चा हये। इन वि टय को

वषय वि टयां कहते ह।

9. अमुक वषय पर पु तकालय म कौन -कौन से ंथ तथा ंथ के अंश उपल ध है? इसके लये उपय त वषय वि टय को इस कार व या सत कया जाना चा हये

िजससे कसी व श ट वषय से संबं धत सम त ंथ तथा ंथ के अंश क जानकार सूची म एक ह थान पर ा त हो सक।

10.उपरो त न के उ तर देने के अ त र त सूची का यह भी उ े य है क वह येक

ंथ के स ब ध म आव यक जानकार जैसे लेखक, आ या, सहकारक, सं करण, काशक, ख ड तथा पृ ठ सं या, आकार, ंथमाला आ द के स ब ध म पूण

धा मक जानकार दान करे िजससे पाठक को ंथ चुनने म सु वधा रहे।

11.अं तम मह वपूण बात यह है क सूची का काय केवल पाठक को यह जानकार देना

नह है क अमुक ंथ, पु तकालय म उपल ध है अथवा नह ं? अ पतु ंथ उपल ध होने क ि थ त म यह भी है क पाठक को बताये ंथ कहां रखा है? इसके लये

वि टय मे नधा रत थान पर ामक अंक (Call number) अं कत कया जाता है

जो पाठक को ंथ के वा त वक थान जहां पर ंथ रखा हु आ है, का ान ा त करने म भी सहायक स होता है।

सं ेप म सूची के मुख काय न नानुसार ह-

1. कसी ंथ िजसका लेखक अथवा सहकारक अथवा आ या अथवा वषय अथवा ंथमाला

आ द ात है, के बारे म सह तथा अ वल ब इस बात का नधारण करे क वह पु तकालय म उपल ध है अथवा नह ं और य द तो कहाँ रखा है।

(15)

15 2. कसी व श ट लेखक सहकारक, ंथमाला अथवा व श ट वषय से स बि धत ंथमाला

म कौन-कौन से ंथ उपल ध ह और कहां रखे ह।

6. वग करण एवं सूचीकरण के स ब ध का व लेषण (Analysis of Relation between Classification and Cataloguing)

सूचीकरण एक अ य त उपयोगी तथा मह वपूण या है। पर तु यह समझना भूल होगी क सूचीकरण वयं म सा य है। सूची तथा सूचीकरण पु तकालय म एक सा य को ा त करने का साधन मा है। वा तव म सा य है ''उपयु त पाठक को, उपयु त समय पर, उपयु त

ंथ दान करना। “सूचीकरण ह नह ं अ पतु पु तकालय क सम त याय अथात् ंथ चयन,

ंथ अजन, वग करण, ंथ दशन, साज-स जा, संदभ सेवा, ंथ आदान- दान आ द इसी

सा य को ा त करने के लये साधन मा ह।यह कारण है क सूची को उपकरण क सं ा द गई है। यह उपकरण पाठक के लये न मत कया जाता है और तब ह स म और े ठ उपकरण कहा जा सकता है जब उपयु त सा य को ा त करने म सहायक स हो। वग करण के वारा ंथ को वषयानुसार सहायक म म व या सत कया जाता है और कसी एक ंथ का अ य ंथ के म य थान का नधारण कया जाता है। वग करण एक ऐसी सि म लत

या है िजसम मुख प से न न ल खत बात न हत है- 1. कसी मा य वग करण प त का सू म अ ययन;

2. िजस थ अथवा ंथ का वग कृत करना है उनका वहंगम अ ययन;

3. ंथ के और यहां तक क य द आव यक हो तो ंथ के अंश के व श ट वषय (Specific Subject) का नधारण; तथा

4. एक मा य वग करण प त के अनुसार उन व श ट वषय का वग करण क कृ म भाषा म अनुवाद तथा ंथ के मुखपृ ठ के पीछे उनका अंकन।

सूचीकार, लेखक तथा पाठक के बीच मा यम का काय करता है। वह ंथ का अ ययन करता है, पर ण करता ह तथा उनका लेखा करता है। व तुत: सूचीकरण एक ऐसी सि म लत

या है िजसम मुख प से न म ल खत बात न हत है- 1. एक मा य सूची सं हता का अ ययन;

2. िजस ंथ अथवा ंथ का सूचीकरण करना है उनका वहंगम अ ययन; 3. मा य सूची सं हता के अनुसार वि टय का नमाण;

4. वि टय का व यसन; तथा

5. सूची का अनुर ण - संद शकाय लगाना आ द।

वग करण तथा सूचीकरण ऐसी जुड़वा याय ह जो एक दूसर क पूरक है। इन दोन याओं वारा पु तकालय के कमचार पाठक को उनक अभी ट पा य-साम ी को सुलभ करने का स म यास करते ह। सूची क वि टय म वगकार वारा न मत ामक अंक (Call number) अं कत कये जाते ह और उनक सहायता से पाठक और कमचार ंथ को

(16)

16 अ वल ब खोज पाते है। वग करण का मुख उ े य पाठक के वषय अ भगम (Subject Approach) को स तु ट करना ह। पर तु कुछ ंथ एक से अ धक वषय से स बि धत रहते

ह। वग करण के वारा उनको केवल एक ह थान पर रखा जा सकता है परंतु सूचीकरण के

वारा उनको अनेक वषय के अंतगत व ट कया जा एसएकेट ए है।

7. पु तकालय सूची तथा ंथ स दभ सूची का तुलना मक अ ययन (Library Catalogue & Bibliography)

पु तकालय सूची तथा ंथ-स दभ-सूची (Bibliography) दोन म ह पा य-साम ी का

वणन होता है। पर तु उनम कुछ मौ लक भ नताय न म ल खत कार है-

1. उ े य: पु तकालय सूची का उ े य पु तकालय व ान के नयम को स तु ट करना

है। ंथ-संदभ-सूची का उ े य उसके कार पर नभर करता है। उदाहरणाथ रा य

ंथ-संदभ सूची (National Bibliography) का उ े य कसी रा क सा हि यक उपलि धय को अ भले खत करना और उनक सूचना देना है।

2. : पु तकालय सूची का े कसी व श ट पु तकालय अथवा ंथ-सं ह तक ह सी मत रहता है, जब क ंथ-सं दभ-सूची म सूची-ब साम ी कसी एक पु तकालय

वशेष तक सी मत नह ं रहती, अ पतु उसका े कुछ अ य कार से न मत हो

सकता है। उदाहरणाथ सावभौम ंथ-संदभ-सूची (Universal Bibliography) से

ता पय ऐसी ंथ-संदभ सूची से है िजसम सृि ट के आ द से लेकर आज तक सम त वषय, सम त भाषाओं तथा सम त संसार म का शत सम त कार क पा य- साम ी सूची-ब हो।

3. भौ तक व प : आधु नक पु तकालय सूची का सवा धक च लत भौ तक व प प क सूची (Card Catalogue) है। पर तु साधारणतया ंथ-संदभ-सू चयाँ अभी भी

पु तकाकार प म ह मु त तथा का शत होती है।

4. पा ये-साम ी के वृता त का माण : साधारणतया पु तकालय सूची क अपे ा ंथ- संदभ-सूची क वि टयां अ धक व तृत होती है।

5. उपयोगकता : पु तकालय सूची का उपयोग सामा य पाठक तथा कमचा रय वारा

कया जाता है जब क ंथ- संदभ।-सूची का उपयोग मु यत: व वान (Scholars), अनुसंधानकताओं तथा पु तकालय क मय वारा कया जाता

6. मानक सूची सं हता : पु तकालय सूची कसी मानक सूची सं हता (Standard Catalogue Code) पर आधा रत होती है। ंथ-स दभ-सूची भी कसी मानक सूची

सं हता पर आधा रत होनी चा हये, पर तु साधारणतया ऐसा नह ं होता।

(17)

17

8. पु तकालय सूची क उपयो गता तथा मह व (Use and Importance of Library Catalogue)

ेट ब ेन म पु तकालय आ दोलन के एक महान ् समथक तथा मागदशक एडवड एडव स (Edward Edwards) ने अपनी पुि तका Memories of Libraries'' म आज से

लगभग डेढ़ सौ वष पूव 1859 म सूची के वषय म अ य त सु दर भावशाल श द म जो

कुछ लखा था वह आज भी पूण प से खरा उतरता है। आप लखते है “सावज नक पु तकालय के शासन से स बि धत कोई भी ऐसा करण नह ं है जो क मह व क ि ट से सूची के

ल ण तथा त पधा कर सके। वह पु तकालय एक े ठ पु तकालय के वा त वक तर से

शोचनीय ढंग से नीचे गर जायेगा चाहे उसम वेश करने के नयम कतने ह उदार य न ह, चाहे उसका मुख कतना ह यो य य न हो, चाहे उसम अग णत सं या म भल-भां त

श त कमचार य न ह, चाहे उसने कतना ह वशाल और भल-भां त चुने हु ए ंथ का

भ डार य न हो, य द उसक सू चयाँ- (1) भल-भां त न मत नह ं ह, (2) उस पु तकालय म दन- त दन आने वाले ंथ क त काल सूचना दान नह ं करती है, और (3) पूण प से

उपयोगकताओं को सुलभ नह ं है। ''

व तुत: सूची एक अ य त उपयोगी उपकरण है िजसक आव यकता पु तकालय के

सम त या-कलाप और वभाग म पड़ती है। सूची क उपयो गता पु तकालय के ंथ-अजन वभाग, वग करण सूचीकरण वभाग, स दभ वभाग, आदान- दान वभाग के लये अ धक है।

1. ंथ- अजन वभाग : इस वभाग का आधारभूत काय ंथ का चयन करना है। थ चयन पु तकालय म सं ह त ंथ के अनु प ह होना चा हये। इसके साथ-साथ यह भी

आव यक है क उन ंथ का चयन न कया जाये जो पु तकालय म पहले से उपल ध है। यह कारण है क ंथ का यादेश भेजने के पहले यादेश म सि म लत ंथ का पु तकालय सूची से मलान कर लेना चा हये और ंथ को यादेश म से नकाल देना चा हये जो सूची से ह उपल ध है।

2. वग करण तथा सूचीकरण वभाग : इस वभाग म सूची का उपयोग वग करण तथा

सूचीकरण काय म संगतता (Consistency) तथा एक पता (Uniformity) ा त करने के लये कया जाता है। य द कसी ंथ-वशेष क अ य तयां पु तकालय म आती है तो उनका वग अंक (Class number) वह होना चा हए जो उसक अ य तय का है। ंथ अंक (Document number) भी लगाना आव यक है। इस सबके

लये सूची को बार-बार देखना पड़ता है। सूचीकरण काय के लये भी सूची का उपयोग नता त आव यक है। उदाहरण के लये य द कसी लेखक के ंथ पहले से ह पु तकालय म उपल ध ह तो उसके अ य ंथ भी उसके नाम के उसी व प (Form) म व ट करने चा हए। इसी कारण कुछ पु तकालय म सूची दो तय म न मत होती है। एक त पाठक के उपयोग के लये तथा दूसर त ंथ-अजन तथा

(18)

18 वग करण और सूचीकरण वभाग के कमचा रय के उपयोग के लये न मत क जाती

है।

3. संदभ वभाग : े ठ सूची के अभाव म संतोषजनक संदभ सेवा दान करना नता त क ठन है। कोई भी संदभ- पु तकालया य चाहे कतना भी व वान, अनुभवी तथा

े ठ मृ त वाला य न हो, पु तकालय म सं हत सम त पा य-साम ी को कंठ थ नह ं कर सकता। वह पाठक क उ चत सहायता करने के लये सूची पर नभर करता

है।

4. ंथ आदान- दान वभाग : सूची के वारा ह पाठक ंथ चुनते ह तथा उनको अपने

नाम से नगत करवा लेते ह। ंथ उपल ध न होने पर उसका वृता त देकर उसको

अपने नाम आर त (Reserve) करवा सकते ह। आर ण के लये ंथ के पूण ववरण क आव यकता पड़ती है, जो कभी-कभी पाठक वारा तुत नह ं कया जाता।

अत:कमचार गण वह सम त ववरण सूची से ह ा त करते ह।

सं ेप म यह कथन अ तशयोि त पूण नह ं होगा क एक े ठ सूची के अभाव म े ठ पु तकालय का नमाण होना संभव नह ं है। व अ छ सूची के वारा पु तकालय म सं ह त पा य-साम ी का समु चत उपयोग होकर पु तकालय व ान के पांच सू का पालन होता है

तथा पाठक क सं या म वृ होती है। पु तकालय क याती फैलती है और पु तकालय अपना उ े य ा त करने म सफल होता है। एक े ठ सूची का नमाण कसी भी पु तकालय के लये अ य त आव यक है।

9. पु तकालय व ान के पाँच रख एवं पु तकालय सूची (Five Laws of Library Science & Library Catalogue)

पु तकालय व ान के पाँच ह सू पु तकालय म सूची के मह व को रेखां कत करते

ह। यह कहना अ त योि तपूण न होगा क पु तकालय क सभी याय इन पांच सू वारा

पूण पेण भा वत होती ह-

थम सू एवं सूची - पु तक उपयोगाथ ह। पु तकालय म पु तक का सं ह उपयोगाथ कया

जाता है। पु तकालय म उपल ध पा य-साम ी के उपयोग म वृ करने हेतु पु तकालया य पाठक को कई उपकरण उपल ध कराता है तथा कई सेवाय दान करता है। पु तकालय सूची

भी उ ह ं म से व उपकरण है, िजसके अभाव म पु तक के पु तकालय म उपल ध होते हु ए भी उनका समु चत उपयोग नह ं हो पायेगा। सूची क सहायता से ह पाठक को यह जानकार

मलती है क पु तकालय म कौनसी पु तक कहाँ रखी हु ई है। पाठक को पु तक के बारे म कं चत भी सूचना मरण होने पर जैसे लेखक, आ या, वषय, सहकारक, थमाला आ द, सूची अभी ट पु तक क ाि त म सहायक होती है। अत: पु तकालय व ान के थम सू के

पालनाथ पु तकालय सूची का नमाण कया जाना आव यक है।

वतीय सू एवं सूची - येक पाठक को उसक पु तक मले। पु तकालय म अवा त पु तक म से मा कुछ ह पु तक व नब धा मक (Monograph) कृ त क होती ह, शेष अ धकतर

(19)

19 पु तक स म कृ त क होती ह। न तो इन पु तक क आ या से ह और न ह मु य

वि ट से उनक वषय व तु (Contents) का आभास हो पाता है। इन पु तक का मु य वषय तो कुछ भी हो सकता है, पर तु इनम ाय: अ य गौण व उप वषय का भी वणन होता

है। ऐसे गौण व उप वषय को पाठक क ि ट म लाने के लये सूची म वषय वै ले षक (Subject analyticals) का होना अ नवाय है। य द पया त मा ा म वै ले षक वि टयाँ नह ं बनाई जाएगीं और वह अव यकताओं को पूरा कये बना ह लौट जायगे और वह आव यक साम ी िजसको वे खोज रहे थे नधा नय पर अ यु त पड़ी रहेगी। इसी कार बहु वषयी

(Multifocal) पु तक को नधानी पर एक ह वषय के अ तगत रखा जा सकता है। सूची

वारा अ य वषय को भी पाठक क ि ट म लाकर उनक आव यकताओं क पू त क जा

सकती है।

तृतीय सू एवं सूची - येक पु तक को उसका पाठक मले। येक पु तक को उसका पाठक

ा त कराने म सूची वशेष प से उपयोगी स होती है। वतीय सू के समान ह तृतीय सू भी पु तकालय म उपल ध पा य-साम ी को उसके पाठक तक पहु ँचाने के लए पु तकालय सूची क आव यकता पर बल देता है। सूची क सहायता से पाठक क ि ट म ऐसे पु तक भी

आ जाती ह जो क इसके अभाव म अनु यु त पड़ी रहती। सूची म वषय वै ले षक एवं

ंथमाला वि टय का नमाण इस सू के पालनाथ ह कया जाता है। पु तकालय के येक पु तक क वषय व तु का सू म व लेषण कर उसक अ त:नदश वि टयाँ येक पु तक को

उसका पाठक दलाने म और भी सहायक स हो सकती ह। इ ह सूची के वग कृत भाग म यवि थत कया जाता है।

चतुथ सू एवं सूची - पाठक के समय क बचत कर। यह सू पा ये-साम ी क खोज पर यय होने वाले समय क बचत पर बल देता है। सूची एक ऐसा उपकरण है जो पाठक तथा

कमचा रय को पु तकालय म सं ह त पा य साम ी के स ब ध म सूचना दान करती ह और इ ह अपने अभी ट पु तक क ओर नद शत करती है। इसी कार सहकार सूचीकरण एव के य सूचीकरण से भी कमचा रय के समय क बचत के अ त र त म त य यता, वि टय क एक पता, प रशु ता तथा मानक करण आ द कुछ अ य लाभ भी ा त होते ह। इस हेतु यह न केवल सूची म वषय वै ले षक क आव यकता को ह दशाता है, बि क वभागीय सूची- आनुवा णक एवं वग कृत भाग म वभािजत सूची के मह व को भी दशाता है ता क उसके

उपयोगक ताओ के समय क बचत हो सके। य द सूची म येक पु तक हेतु मा एक ह वि ट बनाई जाये तो पाठक को अपना अभी ट पु तक ा त करने म काफ क ठनाई होगी।

यह सू पाठक को सभी वां छत अ भगम क पू त हेतु लेखक, आ या, वषय, सहकारक, वमाला आ द वि टय के नमाण का समथक है। अ धकाश पु तक म त (Composite) कृ त क होती ह, अत: पाठक को अपनी अ ययन साम ी खोजमे म काफ समय न ट करना

पड़ता है। कुछ पु तक म कसी दूसरे करण का वणन कया जाना स भव है। व सतक अ येता अपने अ ययन के वषय पर पु तकालय म उपल ध सार साम ी क जानकार चाहेगा

चाहे वह नब धा मक हो या स म पु तक का भाग। ऐ से स म पु तक (Composite

(20)

20 books) हेतु लेखक, आ या रख वषय वै लै षक वि टय के नमाण क आव यकता को भी

यह सू रेखां कत करता है। इन वि टय के नमाण म सूचीकार का जो समय यय होगा वह उस समय से काफ कम होगा जो क उनके अभाव म पाठक वारा यय कया जायेगा। सूची

के योग म लगने वाले समय क बचत हेतु यह सू संद शका प क (Guide Cards) के भी

योग क अनुशंसा करता है।

पंचम सू एवं सूची - पु तकालय एक व नशील सं था है। समय के साथ-साथ पु तकालय के

आकार, पा य साम ी, सेवाओं, कमचा रय, आ द म सदैव वृ होती रहती है। ऐसा कहा जाता

है क पु तक भ डार क तुलना म सूची का वकास छह गुना होता है य क औसतन त पु तक लगभग छह प क तैयार कये जाते ह। छोटे पु तकालय म तो सूची के अभाव म फर भी काम चल सकता है, पर य- य पु तकालय म वृ होगी सूची एक आव यक उपकरण सा बत होगी। इस लये पु तकालय भवन क योजना बनाते समय ार भ से ह सूची का नमाण कया जाना चा हये। इस सू को यान मे रखते हु ए, सूची के ऐसे भौ तक व प का नमाण कया जाना चा हये, िजसम अगाध स कारशीलता हो अथात् िजसम यथा स भव नव ा त पु तक क वि टय का यव थापन पूव न मत सूची को बना यवधान पहु ँचाय कया जा

सके। इस हेतु यह सू प क सूची को वर यता देता है। अब पु तकालय हेतु क युटर योग के

कारण सूची के अ य अपर परागत व प यथा माइ ो काड, माइ ो फश, मैगने टक टेप आ द धीरे- धीरे प क सूची का थान हण करने लगे है।

10. सारांश (Conculsions)

इस इकाई म आपने सूची के उ व और वकास के स ब ध म जानकार ा त क । सूची से या ता पय है- इस स ब ध म सं ेप म जानकार ा त करते हु ए कुछ अ धकार

व ान क प रभाषाएँ अं कत क गई है। उसके प चात सूची के उ े य,उसक आव यकता और काय के स ब ध म वशेष के मत से प रचय ा त कया। आपको सं ेप म यह भी बताया

गया क सूची एक साधन है, उसको सा य नह ं समझना चा हए। त प चात वग करण और सूचीकरण का स ब ध था पत करते हु ए उनको सूचना पुन ाि त के लये जुड़वा ीक़या बताया

गया। इस इकाई म आपको पु तकालय सूची तथा ंथ-संदभ-सूची (Bibliography) म समानता

तथा असमानता के बारे म भी जानकार दान क गई। सबसे अंत म आपको बताया गया है

क पु तकालय व ान के पाँच सू ह पु तकालय म सूची के कस कार मह व को रेखां कत करते ह। उ े य तथा अत म अ यासाथ न, पा रभा षक श दावल. एवं व तृत अ ययन के

लये थसूची द गयी।

11. अ यासाथ न (Questions)

1. पु तकालय सूची क प रभाषा द िजये तथा उसक आव यकता, उ े य एव काय का

वणन क िजये।

2. पु तकालय म ंथ का सूचीकरण करना य आव यक है? या े ठ सूची के अभाव म उ तम पु तकालय सेवा संभव है?

(21)

21 3. ‘पु तकालय सूची पाठक के अनेक अ भगम (Approaches) को सतु ट करती है”।

उपरो त कथन पर वचार-वमश क िजये।

4. पु तकालय सूची वारा कन-कन न का उ तर दया जा सकता है? सोदाहरण तुत क िजये।

5. पु तकालय सूची क प रभाषा करते हु ए, ंथ संदभ सूची (Bibliography) से उसका

तुलना मक अ ययन तुत क िजये।

6. पु तकालय सूची क उपयो गता एवं मह व क व तार से चचा क िजये।

7. ''पु तकालय व ान के पाँच ह सू पु तकालय म सूची के मह व को रेखां कत करते

ह' ' प ट किजए।

12.पा रभा षक श दावल (Terminology)

1. अ भगम (Approach) इससे ता पय उस त य से है िजसके अ तगत पाठक वारा

पा ये साम ी खोजने स भावनारहती है।

2. आ या (Title) का नाम

3. ामक अंक (Call Number) वग करण प त के अनुसार येक ंथ को दया जाता है,

िजससे व या सत होते

4. खोजनाम (Search Name) इससे ता पय उन नाम से है िजनके अ तगत पाठक वारा

पा ये साम ी खोजने स भावना है जैसे लेखक का नाम,

ंथ आ या, सहकार का नाम, ंथमाला का नाम और वषय नाम

5. लेखक (Author) ंथ का र चयता।

6. ंथमाला (Series) ंथ का एक समूह िजसम लेखक, वषय अथवा काशकआ द क समानता होती है।

7. ंथसंदभ-सूची (Bibliography) ंथ सूची।

8. काशक (Publisher) वह यि त, सं था अथवा त ठान, जो ंथ के मु ण,

िज दबंद आ द यव था करता है, उसम पूंजी लगाता है

और उसक

References

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