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पा य म अ भक प स म त अ य

ो. (डॉ.) नरेश दाधीच कुलप त

वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा (राज थान)

संयोजक एवं सद य संयोजक

डॉ. दामीना चौधर सह आचाय, श ा

वधमान महावीर खुला व व व यालय. कोटा ( राज.)

सद य

1. ो. पी. के. साहू 4. ो. डी. एन. सनसनवाल 7. ो. सोहनवीर संह चौधर

श ा वभाग देवी अ ह या व व व यालय, इ दौर (म. .) इि दरा गांधी रा य मु त व व व यालय, इलाहाबाद व व व यालय (उ.) 5. ो. एस. बी. मेनन नई द ल

2. ो. आर. पी. ीवा तव (से.न.) द ल व व व यालय, द ल 8. डॉ. एम. एल. गु ता

जा मया म लया इ ला मया व व व यालय, 6. ो. नेह. एम. जोशी सह आचाय श ा ( से. न. ) नई द ल एम. एस. व व व यालय, बड़ौदा वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

3. ो. आर. जे. संह 9. डॉ. अ नल शु ला

लखनऊ व व व यालय, लखनऊ ( उ . ) लखनऊ व व व यालय, लखनऊ ( उ.)

संपादन एवं पाठ लेखन संपादक

डॉ. बी. एस. राजयादा

र डर (सेवा नवृ त)

े य श ा महा व यालय, अजमेर

पाठ लेखक डॉ. मनोज कुमार स सेना डॉ. राधारानी स सेना

डॉ. माधुर चौबे एडवांस इं ट. ऑफ. मैने., गािजयाबाद ाचाय

लो. न. श. . म. डबोक डॉ. ि मता भावलकर फूले. श. . महा व यालय, जयपुर

डाँ स या िजहार ाचाय. डॉ. राकेश तोमर

एडवांस इं ट. ऑफ मैने., गािजयाबाद सर वती श ा महा व यालय, उ जैन श ा महा व यालय, अजमेर

डॉ. व दना शै. वमा. डॉ. ललेश गु ता

ाचाय ाचाय

एच. एल. एम. ट. ट. कॉलेज. गािजयायाद ग त ट. ट. कॉलेज, कोटा

अकाद मक एवं शास नक यव था

ो. (डॉ) नरेश दाधीच ो. (डॉ.) एम. के. घडो लया योगे गोयल

कुलप त नदेशक (अकाद मक) भार

वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा संकाय वभाग पा य साम ी उ पादन एवं वतरण वभाग

पा य म उ पादन

योगे गोयल सहायक उ पादन अ धकार वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

उ पादन : अ ेल 2012 ISBN – 13/978-85-8496-329-8

सवा धकार सुर त : इस साम ी के कसी भी अंश क वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी

भी प म ‘म मया ाफ' (च मु ण) के वारा या अ यथा पुन: तुत करने क अनुम त नह ं है।

कुलस चव, व. म. खु. व व व यालय, कोटा वारा वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा के लये मु त एवं का शत।

(5)

5

BED-01 वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

अनु म णका

इकाई व इकाई का नाम पृ ठ सं या

इकाई 1 - वकासो मुख अ धगमयक 7-38

इकाई 2 - अ भगमकता क सम याएं एवं उनका बंधन : अ धगमकता 39-48 के यवहार पा य म तथा अनुदेशन हेतु इसके वकासा मक

प रपे य के न हताथ

इकाई 3 – अ धगम स ा त : यवहारवाद बनाम सम वाद स ा त : 49-77 क नर गाने, आसुबेल तथा पयाजे के स ा त तथा न मतवाद

इकाई 4 - यि तय एवं ौढ़ क अ धगम शैल 78-93

इकाई 5 – अ धगम के कार, अ धगम को भा वत करने वाले कारक, 94-114 अ धगम काय

इकाई 6 – अ धगमकता क वशेषताएं आव यकताएं एवं अ भ ेरणा 115-130 इकाई 7 - अवधान, मृ त, च 131-144 इकाई 8 - यि त व, अथ, स ा त, कारक और ा प 145-156 इकाई 9 - यि त व का मानप : ेपण तथा अ े पण व धयां तथा 157-168

यि व का मापन

इकाई 10 - व भ न कार के यि त व के साथ यवहार म श क 169-192 क भू मका

इकाई 11 - बु (म ट पल एवं कृ म) का स यय एवं स ा त, ान 193-210 तथा बु म अ तर, कृ म बु

इकाई 12 - बु का मापन तथा उनका श ण अ धगम यव था म योग 211-225 इकाई 13 – सजना मकता: अवधारणा, बु से स बंध, सृजना मकता का मापन 226-238 इकाई 14 - व श ट आव यकताओं वाले ब चे : वण एवं ि ट दोष यु त ब चे, 239-257

तभाशाल, पछड़े तथा बाल अपराधी ब चे

इकाई 15 - व श ट समूह क श ा क आव यकता व योजना बनाना अ यापक 258-274 क स यता

इकाई 16 - बालक का नदशन एवं परामश 275-301 इकाई 17 - अ धगमक : यि तक व भ नताएं -कारक, सम याएं तथा श ण 302-313

अ धगम तं म इसक उपयो गता

इकाई 18 - मनोवै ा नक पर ण : अवधारणा, योग, व भ न पर ण, 314-332 या व व लेषण एवं अथ नणय, समाज स म त एवं समूह

(6)

6 ग तक इ या द

इकाई 19 - सां यक य अवधारणाओं तथा के य वृ तय, तशतक, 333-361 वचलन तथा अनु मत आकड़ से सह –स बंध गुणांक

का सां यक य अथ नणय

(7)

7

इकाई-1 (UNIT- 1)

वकासो मुख अ धगमयक (Learner as a Developing Individual)

इकाई क परेखा (Structure) 1.0 उ े य (Objectives) 1.1 तावना (Introduction)

1.2 वकास क व भ न अव थाऐं (Different Stages of Development) 1.2.1 शैशव अव था जल से 8 वष क आयु तक ।

(Infancy: from birth upto 6 yrs of age) 1.2.2 बालाव था, वष से 12 वष क आयु तक ।

(Childhood: from 6yrs to 12 yrs of age) 1.2.3 कशोराव था 13 वष से 19 वष क आयु तक ।

(Adolescence: from 13yrs to 19 yrs of age) वपरख न (Check your Progress)

1.3 वकास के व भ न आयाम (Different Aspects of Development) 1.3.1 शार रक वकास (Physical Development)

1.3.1.1 शैशवाव था म शार रक वकास (Physical Development during Infancy)

1.3.1.2 बा यव था म शार रक वकास (Physical Development during Childhood)

1.3.1.3 कशोराव था म शार रक वकास (Physical Development during Adolescence)

1.3.1.4 शार रक वकास को भा वत वाले त व (Factors influencing Physical Development)

वपरख न (Check your Progress)

1.3.2 मान सक वकास (Mental Development)

1.3.2.1 मान सक वकास के े (Areas of Mental Development) 1.3.2.2 शैशवाव था म मान सक वकास (Mental Development during

Infancy)

1.3.2.3 बालाव था म मान सक वकास (Mental Development during Childhood)

1.3.2.4 कशोराव था म मान सक वकास (Mental Development during Adolescence)

(8)

8

1.3.2.5 मान सक वकास को भा वत करने वाले त व (Factors influencing Mental Development)

वपरख न (Check Your Progress) 1.3.3 सामािजक वकास (Social Development)

1.3.3.1 शैशवाव था म सामािजक वकास (Social Development during Infancy)

1.3.3.2 बा याव था म सामािजक वकास (Social Development during Childhood)

1.3.3.3 कशोराव था म सामािजक वकास (Social Development during Adolescene)

1.3.3.4 सामािजक वकास को भा वत करने वाले त व (Factors influencing Social Development)

वपरख न (Check Your Progress) 1.3.4 संवेगा मक वकास (Emotional Development)

1.3.4.1 शैशवाव था म संवेगा मक वकास (Emotional Development during Infancy) 1.3.4.2 बा याव था म संवेगा मक वकास (Emotional Development during

Childhood)

1.3.4.3 कशोराव था म संवेगा मक वकास (Emotional Development during Adolescence)

1.3.4.4 संवेग को भा वत करने वाले त व (Factors Influencing Emotional Development)

1.3.4.4 संवेगा मक वकास म श ा का मह व

(Importance of Education in emotional Development) वपरख न (Check Your Progress)

1.3.5 चा र क वकास (Development of Character)

1.3.5.1 संवेग, थायीभाव और च र (Emotions, Sentimentse and Character)

1.3.5.2 शैशवाव था म चा र क वकास (Development of Character during Infancy) 1.3.5.3 बा यव था म चा र क वकास (Development of Character during

Childhood)

1.3.5.4 कशोराव था म चा र क वकास (Development of Character during Adolescence)

1.3.5.5 अ छे च र के ल ण (Features of a Good Character) 1.3.5.6 चा र क वकास म श ा क भू मका

(Role of education in Development of Character)

(9)

9 वपरख न (Check Your Progress) 1.4 सारांश (Summary)

1.5 श दावल (Glossary)

1.6 संदभ ंथ (Further Reading)

1.7 वपरख न के उ तर (Answers to Self-Learning Exercises) 1.8 पर ा यो य न (Unit-End Question)

1.0 उ े य(Objectives)

इस इकाई को पढ़ने के बाद मु यत: न न ब दुओ पर आपक गहर समझ वक सत हो

सकेगी:

1. आप वकास क व भ न अव थाओं के शै क मह व को समझ सकेग । 2. आप व भ न अव थाओं म होने वाले वकास के वभाव को समझ सकेगे । 3. आप वकास को भा वत करने वाले कारक को समझ सकेगे ।

4. अ धगमयक क शै क ग त म इन कारक क भू मका का अनुमान लगा सकेगे । 5. वकासा मक अव थाओं म होने वाले येक प रवतन क या या कर सकेगे ।

6. आप व या थयो को उनक दै नक जीवन क ग त व धय को समझकर उ हे परामश दे

सकेगे ।

7. आप उनक समामिजक बुराईय का मागि तकरण कर सकेगे ।

8. आप येक अव था क वशेषता को समझते हु ए उनके गुण का सह व लेषण कर सकेगे ।

9. आप सम लं गय एवे वषम ल गंय वचारधारा म भेद कर सकेगे ।

10. आप वकास के व भ न आयाम क वशेषताओं का श ा म मह व समझ सकेगे । 11. आप अपनी श ण शैल को व या थय क अव था एवं वकास के अनुसार अ धक

भावी बनाकर उ हे उ चत श ा दान कर सकेगे ।

1.1 तावना (Introduction)

"वकास, अ भवृ , प रप वता और अ धगम-ये सब श द उन शार रक, मान सक, संवेगा मक और नै तक प रवतन का उ लेख करते ह, िजनका यि त अपने जीवन मे

आगे बढते समये अनुभव करता है।"- कोलेस नक''

The terms growth, development, maturation and learning refer to the physical, mental, social, emotional and moral changes which a person experiences as he advances through the life”

- Kolesnik यह सव व दत है क बालक ज म से ह सीखना ार म कर देता है तथा मृ युपय त तक उसके सीखने क या चलती रहती है । जाने अनजाने म अपने य एवं अ य अनुभव के मा यम से यि त सीखता रहता है तथा उसके आधार पर उसम अपने प रवतन आते

रहते है । अथात् सीखना एक बहु त ह सामािजक व सहज च लत या है । गे स व अ य के

(10)

10

अनुसार अनुभव के वारा यवहार म होने वाले प रवतन को सीखना या अ धगम (Learning) कहते ह। ो व ो के अनुसार सीखना आदत, ान व अ भवृि तयो का अजन है । इससे प ट होता है क येक यि त ज म से ह एक अ धगमयक (Learner) होता है । और यह अ धगम कसी भी बालक या यि त के वकास क अ तमह तवपूण या है । यह वकास

या समा यत: तीन प म चलती है - 1. अ भवृ (Growth)

2. वकास (Development) 3. प रप वता (Maturation)

हालां क तीन ह यय एक दूसरे से घ न टता से संबं धत है पर तु इनम अनेक सू म अंतर भी है । अ भवृ एक प रमाणा मक (Quantitative) वकास का घोतक है जैसे आयु क वृ , ल बाई, उंचाई आ द म वृ । अ भवृ सदैव नह चलती वरन ् नि चत आयु क ाि त उपरा त अ भवश क या क जाती है । वकास बहु प ीय है । यह मा प रणा मक वृ

का ह लाभ नह है । यह दोनो प रमाणा मक व गुणा मक (Qualitative) प रवतन को य त करता है । इसम अ य प रवतन भी सि म लत ह जैसे यि त के यवहार म प रवतन िजसे

मापा नह जा सकता है। अत: वकास अ भवृ से अ धक यापक यय है । तथा प यह एक नर तर व सतत् या है ज ज म से मृ यु तक नर तर जार रहती है । प रप वता

(Maturation) वह अव था है जब अ भवृ क जाती है । ेवर इसे अ भवृ क पूणता

(Completion of Growth) के नाम से भी पुकारते है।

इस इकाई म मानव जीवन क ारं भक तीन अव थाओं यथा शै वाव था, बा याव था

एवं कशोरावसथा म वकास व अ धगम के व भ न आयाम को प ट करने का यास कया

गया है । इस अ याय म यह बताया गया है क 19 वष क आयु तक, जब तक क बालक व यालय म श ा हण करता है, वकास क येक अव था म, वकास के व भ न आयाम क या ि थ त रहती है और उसम कस कार के प रवतन आते ह । श ा. श क और

व यालय के लये इन जानका रय का बहु त अ धक यो क इस ान से वे बालक के सवागीय वकास म अपनी वां छत भू मका नभा सकेग ।

1.2 वकास क व भ न अव थाऐ (Different stages of Development)

व यालय म अ ययन काल क अव ध को वकास क कृ त क वशेषताओं के आधार पर न न तीन अव थाओं म वभ त कया जा सकता है :

1.2.1 शैशव अव था

ज म से 6 वष क आयु तक (Infancy : from birth upto 6 yrs of age) जीवन के थम दो वष मे बालक अपनी भावी जीवन ि थ त एवं मह व का शला यास करता है। य प कसी भी आयु मे उसमे प रवतन हो सकता है, परंतु ारं भक वृि तया और

तमान सदैव बने रहते है।" - ेग

(11)

11

“During the first two years of life, the child lays the foundation for his future. Although, change is possible at any age, early trends and patterns

tend to persist.” -Strong

" यि त का िजतना भी मान सक वकास होता है, उसका आधा तीन वष क आयु तक हो जाता

है।" -गुडएनफ

“One-half of an individual’s ultimate mental stature has been attained by

the age of three years.” - Goodenough

"बालक थम के 6 वष मे बाद के 12 वष से दूना सीख लेता है।" - गेसल

“In the first six years of life a child learns twice as much of what he

learns in the next 12 years.” - Gessel

"शैशवाव था मे सीखने क सीमा और ती ता, वकास क ओर कसी भी अव था क तुलना मै

बहु त अ धक होती है।" - वाटसन

"The scope and intensity of learning during infancy exceeds that of any

other period of development” - Watson

“तीन और दस साल के बीच के वष बालक के शार रक, संवेगा मक और मान सक वकास के

लए सबसे अ धक मह तपूण है। अत हम पूव ाथ मक श ा के अ धक संभव व तार क आव यकता वीकार करते है। – श ा आयोग का तवेदन

"The years between 3 years and 10 years are of great importance in child’s physical, emotional and intellectual development. We therefore, recognize the need to develop pre-primary education as extensively as

possible.” -Education Commission Report.

1.2.2 बा याव था : 7 वष से 12 वष क आयु तक।

(Childhood: from 7 yrs to 12 yrs of age) :-

ि थ त एवं मह व :-

"शै क दि टकोण से जीवन च मे बा याव था से अ धक मह तपूण कोई अव था नह ं है। जो श क इस अव था म बालको को श ा देते है, उ हे बालको क, उनक आधारभूत अव यकताओ क उनक सम याओ एवं उनक प रि थ तयो क पूण जानकार होनी चा हए, जो

उनके यवहार को पांत रत व प रव तत करती है । यह वह समय होता है जब बालक के मूल दि टकोण, मू य और आदश काफ हद तक मूत प लेते है।

लेयर, जो स व सं पसन

“No period during the life cycle is more important then childhood from educational point of view. Teachers who work at this level should understand children, their fundamental needs, their problems and the forces which modify and produce behavior change. Childhood is the time when the individual’s basic outlooks, values, and ideas are to a great extent shaped.

(12)

12

Blair, Joneand Simpson 1.2.3 कशोराव था : 13 वष से 19 वष क आयु तक।

(Adolescence : from 13 yrs to 19 yrs of age) ि थ त एवं मह व :-

“कशोराव था बड़े सघष, तनाव, तूफान और वरोध क अव था है"। - टे ले हाल

“Adolescence is a period of great stress and strain, storm and strife.”

-Stanley hall

“कशोराव था वह समय है िजसमे वचारशील यि त बा याव था से प रप वता क ओर

सं मण करता है। - जरशी ड

"Adolescence is a period, in which growing person makes transition from

childhood to maturity.” - Jersild

“इस बात पर कोई मतभेद नह ं हो सकता है क कशोराव था जीवन का सबसे क ठन समय है।

-ई.ए.ककपा क

"There can be no difference of opinion about the fact that adolescence is the most difficult period of life” -E A Kirkpatrik

"कशोराव था क वषेशताओ को सव तम प से य त करने वाला एक श द है - प रवतन - शार रक, सामािजक, और मनोवै ा नक"। - बग व हंट

“The one word which best characterizes adolescence is ‘Change’. The change is physiological, sociological and psychological.”- Bigg and Hunt

“हमारे सबके संवेगा मक यवहार म कुछ वरोध होता है, पर कशोराव था म यह यवहार वशेष

प से प ट होता है ।" - बी एन झा

"घ न ठता और यि तगत म ता उ तर - कशोराव था क वश॓षता है ।" - वेलटाइन

"शशु के समान, कशोर को अपने वातावरण म समायोजन करने का काय फर से ारभ करना

पड़ता है ।" - रास

"कशोर, ोढो को अपने माग मे बाधा समझता है, जो उसे अपनी वत ता का ल य ा त

करने से रोकते है।" -कोलेस नक

"कशोर और कशो रय दोन को अपने शर र व व य क वशेष चंता रहती है। कशोर के

लए सबल, व य और उ साह बनना एवं कशो रय के लए अपनी आकि त को नार जाती

आकषण दान करना मह पूण होता है।"

- कोलेस नक

"कशोर क मान सक िज ासा का वकास होता है। वह सामािजक, आ थक राजनै तक और अ तराि य सम याओ म च लेने लगता है। वह इन सम याओ के संबंध म अपने वचारो का

नमाण भी करता है ।" - कोलेस नक

"िजन समूहो से कशोर का संबंध होता है, उनसे उनके लगभग सभी काय भा वत होते है।

उनक भाषा नै तक मू यो, व पहनने क आदत और भोजन करने क व धयो को भा वत

करता है।" - बग व हंट

(13)

13

"कशोर समाज - सेवा के आदश का नमाण और पोषण करता है। उसका उदार मानव जा त के

ेम से ओत ोत होता है और वह आदश समाज का नमाण करने मे सहायता के लए उ ध न

रहता है।" - रास

"कशोराव था, अपराध वशि त के वकास सा नाजुक समय है । प के अपरा धय क वशव सं या इस अव था मे ह अपने यावसा यक जीवन को गंभीरतापूवक आरंभ करती है।"

- वेलटाइन

"कशोर, मह पूण बनना, अपने समूह मे ि थ त ा त करना और े ठ यि त के प मे

वीकार कया जाना चाहता है।" - लेयर , जो स व सं पसन

"कशोराव था एक नया ज म यो क इसी मे उ तर व े ठतम मसनव वशेषताओ के दशन होते

है।" - टे ले हाल

"Adolescence is a new birth for, the higher and more completely human traits are now born” - Stanley Hall एक अ यापक के प मे हमारा संबंध ारि भक तीन अव थाओ म होता है। इन अव थाओ को

और उप वभािजत कया जा सकता है। ज म से 3 वष क आयु तक पूव-शैशव(Pre-infancy) व 3 से 6 वष क आयु तक उ तर-शैशव (Post-Infancy) अव था कहलती है। इसी कार 6 से 9 वष क आयु तक पूव-बा याव था

(

Pre-Childhood

)

तथा 9 से 12 वष उ तर-बा याव था

(Post-Childhood) कहलती है। 12 से 15 वष क आयु तक पूव-कशोराव था (Pre- Adolescence) तथा 15 से 18 तक क अव था उ तर-कशोराव था (Post-Adolescence) कहलती है।

वकास क व भ न अव थाओ पर व-मू यांकन शन

(Self Evaluation Questions Different stages of development) 0.1 शैशवकाल के वकास को सबसे अ धक मह व य दया जाता है ?

0.2 ाथ मक एवं मा य मक श को को छा ो क आधारभूत आवशयकताओ व सम याओ को समझना य आवशयक है ?

0.3 कशोराव था अ धक तनावपूण य होती है ?

1.3 वकास के व भ न आयाम (Different aspects of Development)

ाणी का वकास व भ न आयामो व दशाओ म होता है। कुछ मुख आयाम न न ल खत है :- 1 शार रक वकास (Physical Development)

2 मान सक वकास (Mental Development) 3 सामािजक वकास (Social Development) 4 संवेगा मक वकास (Emotional Development)

5 नै तक या चा र क वकास (Moral or Character Development)

(14)

14 1.3.1 शार रक वकास (Physical Development)

" बालक सव थम एक शर रधार ाणी है। उसक शार रक सरंचना उसके यवहार और ि टकोण के वकास का आधार है। अत: उसके शार रक वकास के पो का अ ययन आव यक है।"

- ो एवं ो

"The child is first and foremost a physical being. His physical constitution is basic to the development of his attitudes and behavior. Hence, It is necessary to study the patterns of his physical growth”

- Crow&Crow ज म से पूव ूण के था पत होने के साथ ह यि त का शार रक वकास ार भ हो जाता है

जो क एक वभा वक, ाकृ तक एवं सतत या है िजसपर वंशानु म एवं वातावरण का भाव पड़ता है। जीवन क व भ न अव थाओ म शार रक वकास म मु यत: न नां कत बाते देखने

को मलती है।

1.3.1.1 शैशवाव था म शार रक वकास

(Physical Development during Infancy):-

शैशवाव था म ज म के थम स ताह उपरा त शशु के भार मे वृ होती है जो

शैशवाव था क समाि त तक समा यत: 40 पौड़ के लगभग हो जाता है। शशु क लंबाई म भी

20 इंच से आरंभ होकर 40 से 42 इंच तक क वृ होती है। ार भ के दो वष म शशु के सर का वकास तेजी से होता है जो बाद म अ य अंगो म वकास क अपे ा म म द पड जाता है।

नवजात शशु म लचील, कोमल लगभग 270 ह डयाँ होती है। आयु बढने के साथ फा फोरस (Phosphorus), कैि शयम (Calcium) व अ य ख नजो (Minerals) क सहायता से ह डयाँ

बढती है और कठोर हो जाती है। सामा यात: नवजात शशु के दांत नह ं होते है। ज म के 6-7 माह बाद अ थाई दूध के दांत आ जाते है और चार वष क आयु तक सम त दूध के दांत आ जाते है और पाँच वष क आयु के बाद थायी प के दांत आने ार भ हो जाते है। नवजात शशु

के दये क धड़कन बहु त तेज होती है िजसमे समय के साथ मंदता और ि थरता आ जाती है।

शैशवाव था म लड़को क अपे ा लड़ कय म शार रक वकास अ धक ती ता से होता है।

"शशु अपने नै तक गृह-काय म लगभग आ म-नभर हो जाते है। पाँच वष अंत तक अनेक शशु पया त व ता और कुशलता ा त कर लेते है।" - ग 1.3.1.2 बा याव था म शार रक वकास

(Physical Development during Childhood)

बा याव था शार रक वकास क ि ट से अ यंत मह वपूण होता है। इसमे बालक म अनेक शार रक, मान सक व संवेगा मक (Emotional) प रवतन होने लगते है। शार रक तौर पर बालक का भार पया त बढ जाता है । 10 वष क आयु के बाद लड कय के भार मे लड़को

क अपे ा अ धक वृ होती है। लंबाई क बढोतर इस अव था म आपे ाकृत कम होती है। सर का आकार बदलता रहता है। ह डयो क सं या 350 तक पहु च जाती है। ढू धया दांत गर कर थाई दांत आ जाते है। अ य अंगो मे भी मंद ग त से वकास होता रहता है। दय क धड़कन

ि थर हो जाती है। यौनांग (Genital Organs) का वकास तेजी से होने लगता है। बालक के

(15)

15

लगभग सभी अंगो का वकास हो जाता है। वह अपनी शार रक ग त पर नयं ण करना जान जाता है, अपने सभी काय वयं करने लगता है और दूसर पर नभर नह ं रह जाता है।

1.3.1.3 कशोराव था मे शार रक वकास

(Physical Development during Adolescence) :-

कशोराव था सवा धक मह वपूण व ज टल अव था है । इसम आ त रक व बा ा दोनो

तर म सबसे यादा प रवतन होते ह । मांसपे शय व ह डय के मजबूत होने के कारण भार म अ धक वृ होती है । ल बाई भी तेजी से बढती है । सर व मि तषक म पूण प रप वता आ जाती है । ह डडय म प रप वता के साथ पु टता भी आ जाती है । लचीलापन समा त हो जाता

है । दाँत पूण था य व ा त कर लेते ह । आ त रक अंग का पूण वकास हो जाता हे । लड़को

म र तचाप म वृ होने लगती है । पाचन या पूण साम यशील बन जाती है । गु तांग पूण वक सत हो जाते ह । लडक मे व नदोष तथा लड कय म मा सक धम (Menstrual Cycle)

ार भ हो जाता है । दोन म संतानोपि त मता आ जाती है ।

1.3.1.4 शार रक वकास को भा वत वाले त व (Factors influencing Physical Development) -

बालक के शार रक वकास पर उसके प रवार, खान पान, भरण पोषण एवं उसके

वातावरण का असर पडता है । मु यत: बालक का शार रक वकास न न त व से भा वत होता

है:

1. वंशानु म (Heredity) माता पता से ा त वाहक सु (Genes) इसका नधारण करते है । 2. वातावरण (Environment) बालक के आस पास घ टत सम त घटनाएं तथा वातावरण उसके

वकास पर य भाव डालती ह ।

3. भोजन (Balanced Diet) : पौि टक भोजन शार रक वकास को बढाता है । इससे नई फू त व शि त का संचार होता है ।

4. खेल व यायाम (Play & Exercise) सुचा शार रक वकास हेतु नय मत खेल व आयाम आव यक है । इससे र त शु , र त संचार, वसन या आ द का वकास होता है व ह डयाँ

मजबूत होती है । शर र क मता बढती है ।

5. माता पता का यार (Parental Love) यह बालक क मनोवृि त को भा वत कर परो

प से बालक के शार रक वकास को भा वत करता है ।

6. पया त नींद व आराम (Adequate Sleep & Rest) शैशवाव था म 14 से 18 घंटे, बा याव था म 11 से 14 घंटे तथा कशोराव था म कम से कम 9 घंटे क नींद व आराम अ छे

शार रक वकास हेतु आव यक है । इससे ह थकान दूर होती है । शार रक वकास पर व-मू याकन शन

(Self-evaluation questions on Physical Development) 1. शैशवकाल शार रक वकास क आधार शला य कहलती है?

(16)

16 2. बा याव था जीवन को व णम काल कैसे है?

3. कशोराव था को का ठाव था भी कह सकते है। य ?

1.3.2 मान सक वकास (Mental Development):-

“शै णक और मनोवै ा नक ि टकोणो से अ यापक मान सक वकास के म के ान को अपने

हत म योग कर सकता है। वह पा य म और श ण को छा क सीखने क यो यता या

मान सक मता के अनुकूल बना सकता ह। - सोर सन

"Psychologically and educationally, knowledge of the course of mental growth can be used to advantage by the teacher. The Curriculum and teaching can be adjusted to the learning ability or the mental capacity of the pupil.” -Sorenson

1.3.2.1 मान सक वकास के (Areas of Mental Development) :-

मान सक वकास पर वंशानु म व वातावरण का गहरा भाव पडता है । समु चत वातावरण,

िजसम भौ तक व सामािजक दोनो ह कार के वातावरण सि म लत है, के मलने पर मान सक यो यताओं का वकास बेहतर ढंग से होता है । वंशानु म (Heredity) मान सक यो यताओं के

वकास क सीमा नधा रत करता है । मान सक वकास के न न े ह

1. बु का वकास (Development of Intelligence) बु का वकास ाय: 18 से

21 वष तक होकर क जाता है । बा याव था से ह सु म व अमूत बौ क च तन (Intellectual thinking) का वकास होने लगता है । मृ त बौ क वकास का

या मक प है ।

2. भाषा वकास (Development of Language) ार भ म नरथक श द के

उ चारण से लेकर बा याव था म साथक श द को बोलने क व कुछ लखने क यो यता

का वकास होता है। कशोराव था म बालक ल खत व मौ खक प से अपने वचार को

य त करने क मता का वकास कर लेता है ।

3. संवेदना व य ीकरण(Sensation & perception): व भ न ानेि य (Sensory organs) के मा यम से हु ई अनुभू त को संवदेना कहते ह। शैशवाव था म संवेदना शू यतु य होती है । शनै: शनै: इसका वकास होता है और बालक संवेदना का

नि चत अथ नकालने लगता है िजसे य ीकरण कहते है। कशोराव था म संवेदना व य ीकरण क पूण मता वक सत हो जाती है।

4. सम या समाधान यो यता का वकास (Development of problem Solving ability) : मान सक वकास के साथ सम याओं को समझने एवं उनका समाधान खोजने

क यो यता का वकास भी होता है।

5. यय नमाण व तक शि त का वकास (Development of concept formation and reasoning ability) बालक के बडा होने के साथ ह यय नमाण, समु चत

(17)

17

तक तुत करने व व धवत ता कक व लेषण (Logical Analysis) करने क मता

का वकास हो जाता है ।

6. सं ान वकास (Cognitive Development): प रि थ तय व अव थओ से सं ान लेने क मता का वकास भी मान सक वकास का मह वपूण प है ।

“General mental growth is most rapid in the first 5 years of life, nearly as rapid from ages 5 to 10. Less so from 10 to 15 and much less from 15 to 20.” - Sorenson

1.3.2.2 शैशवाव था म मान सक वकास (Mental Developmental during Infancy) – शैशवाव था म बालक म पश, ाण, वाद आ द क संवेदनशीलता होती है । चुभन क पीडा का

अहसास होने लगता है । व न पर त या होने लगती है । आ मगौरव क वृि त बल होती

है । समय सं या, भार आ द का ान नह होता है । िज ासा ती होती है । भाषा संबंधी

वकास सी मत होता है । मृ त के च ह कट होने लगते है । क पनाशि त उपयोग यादा

होता है । यौन वृि तयां वक सत होने लगती है । रचना मक कया म च दखाई देती है । व तु सं ह क वृि त देखी जा सकती है ।

"जब बालक 6 वष का हो जाता है, तब उसक मान सक यो यताओ को लगभग पूण

वकास हो जाता है!' - ो एवं ो

1.3.2.3 बा याव था म मान सक वकास (Mental Developmental during Childhood) –

बा याव था म अ धकतर यां क मृ त रहती है । साधारण व सरल वा य का योग होने लगता है । बाद म संयु त व ज टल वा य क रचना क मता वक सत होती है । सं या

यय वक सत होने लगती है । अवधान या एका ता व तार म वृ होती है । चकर बात म अ धक यान लगता है । च तन सरल व साधारण होता है । ठोस व तुओं के बारे म तक

वक सत होता है । काय कारण संबंध क जानकार होती है । पर तु बालक तकसंगत नणय लेने

म असमथ होता है ।

"मान सक वकास 15 से 20 वष क आयु म अपने उ तम सीमा पर पहु च जाता है!' - वुडवथ 1.3.2.4 कशोराव था म मान सक वकास

(Mental Development during Adolescence) -

कशोराव था म समृ त का बेहतर वकास होता है । क पना शि त अ धक वक सत होती है । क पना क अ भ यि त क वता, कहानी आ द म नजर आती है । अवधान या यान केि त करने क मता बढती है । “सफल एका ता” का वकास होता है । चय म व वधता

कट होने लगती है । खेल, वातालाप, वाचन, चल च आ द का शौक बढने लगता है । बु का

वकास चरम पर होता है । मि तक म नायुत के प रप व हो जाने के कारण च तन शि त का वकास होता है । यि त सम या समाधान का य न करने लगता है । तक व नणय शि त का वकास होता है । उ चत व अनु चत बात म अ तर समझ म आने लगता है । भाषा पर पूण अ धकार हो जाता है । सु दर व शु श द के मा यम से वचार क अ भ यि त होने लगती है।

'कशोर का चंतन बहु धा शि तशाल प पात व पूण-नणयो से भा वत रहता है ।

(18)

18

- ए लस को

1.3.2.5 मान सक वकास को भा वत करने वाले त व

(Factors Influencing Mental Development)

व भ न कारक मान सक वकास को भा वत करते है । कुछ न नानुसार ह:

1. वंशानु म (Heredity) - थानडाइक और श वजंगर ने अपने अधयन वारा स कर दया है क बालक, वंशानु म से कुछ मान सक गुण और यो यताएं ा त करता है,

िजनम वातावरण कसी कार का अ तर नह कर सकता है । गे स व अ य ने लखा है

:- कसी यि त का उससे अ धक वकास नह ं हो सकता ह िजतना क उनका

वंशानु म संभव बनाता है!'

2. प रवार का वातावरण (Family Environment) - प रवार के वातावरण का बालक के

मान सक वकास से घ नषठ संबंध है । एक अ छा प रवार िजसमे माता पता के अ छे

संबंध होते है िजसम वे अपने ब च क चयो और अव यकताओ को समझते ह एवं

िजसमे आनंद और वत ता का वातावरण होता है। येक सद य के मान सक वकास

म अ या धक योग देता । - कु पू वामी

3. समाज (Society) -अ छा व साधन स प न समाज बालक के मान सक वकास क ग त व सीमा को नधा रत करता है ।

4. व यालय का वातावरण (Environment of the School)- व यालय का उ चत वातावरण बालक क मान सक गुण व शि तय का वकास करता है । अर तु

(Aristotle) के श द म "श ा मनु य क शि त वशेष प से उसक मान सक शि त का वकास करती है!'

5. प रवार का सामािजक - आ थक तर (Social & Economic status of the family) उ च सामािजक व आ थक ि थ त वाले प रवार अ धक साधन स प न होने

के कारण उनम बालक का मान सक वकास अ धक होता है । ांग के अनुसार – “ऊ च सामािजक ि थ त वाले प रवार के ब चे बु क मौ खक व ल खत पर ाओ म प ट

प से े ठ होते ह।“

6. शार रक वा थ (Physical health) - सबल व व थ बालक अ धक प र म करके

अपने मान सक वकास क ग त व सीमा म वृ कर सकता है । इसी कारण से

शार रक वा य को ाचीन काल से बल दया जाता रहा है । अर तु (Aristotle) के

श द म “ व य शर र मे ह व य मि त क का वास होता है।"

मान सक वकास पर व-मू यांकन शन

(Self-evaluation questions on Mental Development):- 01 शैशवाव था आ मगौरव को काल कस कार से है?

02 कशोर का चंतन प पाती य होता है?

03 बा याव था म मान सक वकास के या ल ण दखाए देते ह?

04 ाथ मक एवं मा य मक श क को बालक के मान सक वकास को भा वत करने वाले

(19)

19 कारको को समझना य आव यक है?

1.3.3 सामािजक वकास (Social development) -

"सामािजक अ भवृ और वकास का अथ है वयं और दूसर के साथ सहजता के साथ

चल सकने क यो यता म वृ ।" - सोरेनसन

''By social development & growth we mean the increasing ability to get along well with oneself and others.” - Sorenson

"सहयोग करने वाल म 'हम' क भावना का वकास और उनके साथ काम करने क मता का वकास तथा संक प ह सामाजीकरण कहलाता है।" - रॉस

“The development of the feeling of ‘We’ in the associates and the growth in their capacity to and will to act together is called Socialization.”

- Ross सामािजक वकास का अ भ ाय उस या से है िजसके वारा यि त अपने समूह क मा यताओं और मानद ड के अनुसार तथा सामािजक स भावनाओं के अनुकूल यवहार करना

सीखता है । इसम यि त म समूह के लये व वासपा ता, त पधा, म ता, सहयोग, वचार को स मान देने क भावना आ द क यो यता का वकास होता है ।

"सामाजीकरण क या दूसरे य तय के साथ शशु के स पक से ार भ होती है

और आजीवन चलती रहती है" -सारे एवं टेलफोड

''The process of socialization begins with the infant’s contact with other people and continues throughout life.” -Sawrey and Telford 1.3.3.1 शैशवाव था म सामािजक वकास (Social Development during Infancy):-

शैशवाव था म 3 माह क आयु तक शशु न तो सामािजक होता है न ह असामािजक । 5 माह क आयु तक शशु म सामािजक होने के ल ण दखाई देने लगते है । वह हंसी व गु से

म भेद करने लगता है व अपनी ओर यान खींचने के लये हाथ पैर मारने लगता है । नौ दस माह म वह मौन व भावना मक अ भ यि त करने लगता है । थोडा बड़ा होकर वह अप र चत यि त को देखकर रोने लगता है । 3 बष क आयु का बालक सामू हक खेल म सहयोगा मक भावना कट करने लगता है । पहले तीन वष म शशु पूणतया आ मकेि त व वाथ होता है । उसम पराशयता क भावना पायी जाती है । 4-5 वष क आयु म व यालय म जाने के साथ ह

शशु का सामािजकरण होने लगता है । उसम सामू हक यवहार क भावना आने लगती है । उसपर सा थय, अ यापक, अ भभावक का भाव पडने लगता है । बालक के कुछ म भी बन जाते ह। पाँचवे वष तक शशु के यवहार के संबंध म हरलॉक (Hurlock) ने लखा है : “शशु

दूसरे ब च के सामू हक जीवन से अनुकूलन करना उनसे लेन देन करना और अपने खेल के

सा थयो को अपनी व तुओ म साझीदार बनाना सीख जाता ह। वह िजस समूह का सद य होता है

उसके वारा वीकृत तमान के अनुसार अपने को बनाने क चे टा करता ह।"

(20)

20

1.3.3.2 बा याव था म सामािजक वकास (Social Development during Childhood)

बा याव था म बालक अपने समाज के समक म आकर कुछ कौशल ा त करने लगता है । उसका सामािजक े बढने लगता है । 6 से 10 वष क आयु को "टोल क आयु" (Gang Age) भी कहा जाता है । इस आयु म बालक अपने अ धकांश समय अपने म के साथ टोल म बताता है । इस समूह का बालक पर अ या धक भाव पडता है । हरलॉक (Hurlock) ने

लखा है "टोल बालक म आ म-नय ंण, साहस, याय, सहनशीलता, नेता के त भि त दूसर के त सदभावना आ द गुणो का वकास करती है ।“ बालक का सामािजक वकास ती ता से

होने लगता है । व यालय का रहन सहन, सहपाठ म का आचार वचार, तथा भाषा बोल उसे

भा वत करते ह । व यालय प रवार को चा हये क इस आयु म बालक के साथ उदारतापूवक मधुर यवहार करे और सामािजकता क ओर उसे बढने म उसको सहयोग कर । अ धकांश समय घर से बाहर बताने के बाद भी बालक म अपने माता पता, अ भभावक, अ यापक व बड़ो के

नेह क आकां ा रहती है । न न यवहार मु यता से प रल त होते ह :

1.4 म का चयन करना : समान आयु के ब च से म ता म जा त, धम, आ थक सथ त आ द का भाव रहता है ।

1.5 त पधा क भावना : दल य खेल (Team games) म व समूह म रहकर नजी

उ ेय क ाि त क होड़ रहती है ।

1.6 सामािजक श टाचार व सूझ : समाज म रहने के कायदे समझने लगता है । आयु के

अनुसार लड कय म इसका भाव अ धक होता है ।

1.7 सामािजक अनुमोदन व हणशीलता : बालक अपने खेल, यवहार, भाषा, गान आ द के

संबंध म अनुमोदन व शंसा को लाला यत रहता है । म , सहपाठ, साथी समूह से भा वत होकर वचार को अ धका धक हण करने क भावना रहती है पर तु अपने से बड़ो के त

वपर त हणशीलता पाई जाती है ।

1.8 लंग वरोधी वचार : लड़के लड़ कयां एक दूसरे के त वरोधी वचार रखने लगते है । लडके अपने को लड़ कयो से अ धक कयाशील व द समझते है व लड कय को ह न ि ट से

देखते ह । 8 से 10 वष क आयु म यह वचार अ धक भावी पाये जाते ह । 1.3.3.3 कशोराव था म सामािजक वकास

(Social Development during Adolescence) -

कशोराव था म बालक का सामािजक वकास तेजी से होता है । 18 वष क आयु तक बालक का

सामािजक वकास लगभग प रप तता ा त कर लेता है । सामािजक कयाएं चरम पर होती है । इस अव था म अपने प रवार क अपे ा म , साथी समूहो क आदत, यवहार का भाव अ धक पड़ता है । लंग वरोधी वचार ीण पड़ जाते है । लडके लड कयां आपस म म ता करते

ह । समान के साथ साथ वप रत लंग म म बनाने क इ छा बल होती है । कशो रय का

शार रक वकास कशोर क अपे ा 2 वष पहले होने के कारण वे अपने से बडे लडक म रहना

अ धक पसंद करती है । लडके लड कयां अपने अ भ यि तकरण, रहन सहन, वेश भूषा, चाल ढाल, केश व यास और यवहार से एक दूसरे को आक षत करना चाहते है । इस अव था के अंत

(21)

21

तक कशोर अपने समूहो को छोडकर सामािजक कायकम म भाग लेना ार भ कर देते है । कशोर म सामुदा यक भावना सहयोग, परोपकार, सामािजक स ह णुता का वचार बढने लगता है।

बालक म सामािजक प रप वता आने लगती है । वह अपने कत य व उ तरदा य व समझने

लगता है व समाज के अनुकूल था पत कर लेता है । इस अव था म बालक को अपने माता

पता अ य अ भभावक, अ यापक आ द के मागदशन क सवा धक आव यकता रहती है । शार रक, सामािजक व संवेगा मक प रवतन को सह दशा दान करने व उनको समाज के

अनूकूल बनाने म इस मागदशन क बडी महती भू मका है । ो एवं ो के अनुसार :-

"जब बालक 13 या 14 वष क आयु म वेश करता है तब उसके त दूसर के और दूसर के त उसके ि टकोण न केवल उसके अनुभवो म, वरन उसके सामािजक संबंधो म भी

प रवतन करने लगते ह।"

1.3.3.4 सामािजक वकास को भा वत करने वाले त व

(Factors influencing Social Development):-

ि कनर व हैर मन के श द म “वातावरण और सुग ठत सामािजक साधनो के कुछ ऐसे

वशेष कारक है, िजनका बालक के सामािजक वकास क दशा पर नि चत और व श ट भाव पड़ता है। न न त व बालक के सामािजक वकास को भा वत करते ह

1. वंशानु म : ो एवं ो के अनुसार "शशु क पहल मु कान या उनका कोई व श ट यवहार वंशानुकम से उ प न होने वाला हो सकता है।"

2. शार रक व मान सक वकास : व थ और अ धक वक सत मि तषक वाले बालक का

सामािजक वकास अ धक होता है ।

3. संवेगा मक वकास : ो एवं ो के अनुसार "संवेगा मक और सामािजक वकास साथ साथ चलते ह। " ेम और वनोद से प रपूण बालक सभी को अपनी ओर आक षत करता

है ।“

4. प रवार व पड़ोस : बालक प रवार के सद य के जैसा आचरण और यावहार करने का

य न करता है । ए लस के अनुसार ऐसा इस लये है य क "बालक का व वास होता

है क य द वह बड़े लोगो क भां त यवहार नह ं करेगा तो वह कसी-न-कसी कार के

उपहास का ल य बनेगा।"

5. सामािजक यव था : बालक के सामािजक वकास को नि चत प और दशा दान करती है समाज का काय, आदश और तमान बालक के ि टकोण का नमाण करते

ह। यह कारण है क ाम और नगर, जनतं और अ धनायकतं म बालक का

सामािजक वकास व भ न कार से होता है ।

6. श क : य द श क शा त, श ट और सहयोगी है। तो उसके छा भी उसी के समान यवहार करते ह । ांग ने लखा है –“वा त वक सामािजक हणशीलता और यो यता

वाले श को से दै नक संपक, बालक के सामािजक वकास मे अ तशय योग देता है।"

7. म समूह : समूह या टोल के सद य के प म बालक इतना यवहार-कुशल हो जाता

है क समाज म वेश करने के बाद उसे कसी कार क कोई क ठनाई का अनुभव नह होता है । हरलॉक ने इस संबंध म कहा है क समूह के भाव के कारण बालक

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सामािजक यवहार का ऐसा मह वपूण श ण ा त करता है जैसे ौढ समाज वारा

नधा रत क गए दशाओ म उतनी सफलता से ा त नह ं कया जा सकता है।"

8. व यालय का वातावरण : व यालय म जनतं ीय वातावरण होने पर बालक का

सामािजक वकास अ वराम ग त से उ तम प हण करता चला जाता है । द ड और दमन पर आधा रत वातावरण बालक के सामािजक वकास को कुि ठत कर सकता है । 9. खेल कूद व मनोरंजन के साधन : खेल व मनोरंजन के वारा बालक म उन सामािजक

गुण का वकास होता है िजनक उसको आजीवन आव यकता रहती है । ि कनर और है रमन के श द म खेल का मैदान बालक का नमाण- थल है । यहाँ उसे दान कए जाने वाले सामािजक और यां क उपकरण उसके सामािजक वकास को नि चत करने मे

सहायता देते है।"

"सामािजक ाणी के प म यि त के यवहार का वकास उसके यि त व के वकास

के प म होता है।" - गेटस व अ य

“The development of a person’s behavior as a social creature proceeds apace with the development of his individuality.”

- Gates & others सामािजक वकास पर व-मू यांकन शन

Self-evaluation questions on social development:-

1. मान सक वकास बालक के सामािजकरण म कस कार से योगदान देता है?

2. बा यवा था म साथी समूह या टोल को बालक के समािजक वकास म या मह व है?

3. कशोराव था म सह सामािजक वकास हेतु सश त मागदशन आव यक है । य? 4. बालक के सामािजक वकास म व यालय का मह वपूण योगदान कैसे है?

1.3.4 संवेगा मक वकास (Emotional Development) - कुछ प रभाषाएं (Some Defination) :-

1. संवेग, यि त क उ तेिजत दशा है। - वुडवथ

"Emotion is a “moved” or ‘stirred-up’ state of the individual.”

-Woodworth 2. संवेग, ग तशील आंत रक समायोजन है जो यि त के संतोष, सुर ा ओर क याण के

लए काय करता है । - ो व ो

“An Emotion is a dynamic internal adjustment that operates for the satisfaction, protection and welfare of the individual.”

- Crow and Crow 3. संवेग, ाणी क ज टल दशा है, िजसमे शार रक प रवतन, बल भावना के कारण

उ तेिजत दशा और एक नि चत कार का यवहार करने क वृ त न हत रहती है

- ेवर

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“Emotion is a omplex sta

References

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