इकाई क परेखा
10.1 तावना
10.2 उ े य
10.3 मानिसक वा य 10.3.1 प रभाषा
10.4 मानिसक रोग या बीमारी
10.4.1 प रभाषा
10.5 मानिसक वा य तथा मानिसक बीमारी म अ तर 10.6 रोकथाम के यथाथ िच
10.7 मानिसक रोग के कार 10.7.1 मनः नायुिवकृित
10.7.1.i. मनः नायुिवकृित के सामा य ल ण 10.7.1. ii मनः नायुिवकृित के कारण
10.7.2 मनोिवकृित/मन ताप 10.7.2. i मनोिवकृित का वग करण 10.7.2. ii मनोिवकृित के ल ण 10.7.2. iii मनोिवकृित के कारण
10.8 मनः नायुिवकृित व मनो ताप म अ तर 10.9 सारां श
10.10 अ यास के उ र 10.11 िनब धा मक
10.12 सं दभ थ सूची
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10.1 तावना
आज आधुिनक मनोिचिक सा िव ान सु थािपत और सुिवकिसत नैदािनक िव ान बन चुका है । जब यि िकसी भी तरह क मानिसक बीमारी (mental illness) से मु होता है, तब उसे
मानिसक प से व थ समझा जाता है ।
सामा य तथा असामा य यवहार म अ तर ‘ कार’(Kind) का नह ‘मा ा’ का होता है । अपसामा य यवहार सामा य यवहार का अितरंिजत (Exaggerated) प होता है । यह मन नायुिवकृित क अपे ा मन पात म यादा होती है ।
तुत इकाई म आप मानिसक बीमारी, मानिसक वा य, मन नायुिवकृित, मन ताप के अथ, ल ण, कारण, उपचार का िव तारपूवक अ ययन करगे।
10.2 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के बाद आप-
मानिसक बीमारी का अथ बता सकगे एवं प रभािषत कर सकगे ।
मानिसक वा य का अथ बता सकगे एवं प रभािषत कर सकगे ।
मानिसक बीमारी एवं मानिसक वा य म अ तर बता सकगे ।
मन नायुिवकृित का अथ, ल ण, कारण बता सकगे ।
मनोिवकृित का अथ, वग करण, ल ण, कारण बता सकगे ।
मन नायुिवकृित और मन ताप म अ तर बता सकगे ।
10.3 मानिसक वा य (Mental Health)
आज आधुिनक मनोिचिक सा िव ान सु थािपत और सुिवकिसत नैदािनक िव ान बन चुका है । इसके इितहास पर नजर डाले तो मनोवै ािनक क अिभ ची (interest) मानिसक वा य के
अ ययन म एक िवशेष आ दोलन (movement) के फल व प हई, इसके शीष नेता डी.एल.
िड स (D.L. Dix) और ि लफोड ड यू. िबस (Clifford W. Beers) थे। इस आ दोलन का
नाम मानिसक वा य आ दोलन (Mental Hygiene Movement) है । इनके यास के कारण मानिसक रोगी के साथ जो अमानवीय यवहार होता था, उसम कमी आई एवं लोग का यान मानिसक वा य को उ नत बनाने क ओर गया ।
10.3.1 प रभाषाएँ (Definitions)
े ज (Strange, 1965) ने मानिसक वा य को प रभािषत करते हए कहा “मानिसक वा य से ता पय वैसे सीखे गए यवहार से होता है जो सामािजक प से अनुकूली होते ह और जो यि
को अपनी िज दगी के साथ पया प से मुकाबला करने क अनुमित देता है ।”
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हरिवज तथा क ड (Horwitz & Scheid, 1999) के अनुसार, “मानिसक वा य म कई आयाम सि मिलत होते ह - आ म स मान, अपनी अ तशि य का अनुभव, साथक एवं उ म सं बं ध बनाए रखने क मता तथा मनोवै ािनक े ता ।”
काल मेिनं गर (Karl Menninger, 1945) के अनुसार, “मानिसक वा य अिधकतम खुशी
तथा भावशीलता के साथ वातावरण एवं उसके येक दूसरे यि के साथ मानव समायोजन है, वह एक सं तुिलत मनोदशा, सतक बुि , सामािजक प से मा य यवहार तथा एक खुश िमजाज बनाए रखने क मता है ।”
इन प रभाषाओ ं के िव ेषण म हम मानिसक वा य के प म िन नां िकत त य ा होते हैः- 1. मानिसक प से व थ यि खुशी जीवन यतीत करना चाहता है, अगर वह दुःखी भी
होता है तो उसका कारण समझने का य न करता है ।
2. मानिसक प से व थ यि म आ म िव ास व उ साह रहता है । हतो सािहत होने पर भी वह धैयपूवक काय करता है ।
3. वह गलत काय नह करता तथा उसके यवहार म क याण क भावना झलकती है । 4. वह िच ता व ग भीरता के साथ अपनी सम याओ ं का समाधान करता है और उनसे
कतराता नह है ।
5. वह ि थितय के अनुकूल ही ोध करता है, बात-बात पर िबगड़ता नह है ।
10.4 मानिसक रोग या बीमारी (Mental Illness)
मानिसक रोग या बीमारी (Mental Illness) वातावरण के साथ िकए गए कुसमायोजी यवहार (Maladaptive Behaviour) को कहते है । सामा यतः यह समझा जाता था िक मानिसक प से
व थ यि िकसी भी तरह क मानिसक बीमारी या रोग से मु होता है, इस अव था को मानिसक वा य क सं ा दी जाती है । लेिकन िचिक सक का मानना है िक मानिसक बीमारी क अनुपि थित को मानिसक वा य कहना उपयु न ह है, य िक मानिसक बीमारी के ल ण जैसे
आवेगशीलता (impulsivity), अिन ा, सांवेिगक अि थरता (emotional unstability) आिद कभी-कभी मानिसक प से व थ यि म भी देखे जाते ह ।
10.4.1 प रभाषाएँ (Definitions)
DSM - IV (1994) म मानिसक रोग या बीमारी को बहत प एवं वै ािनक ढ़ं ग से समझाया है । DSM - IV म येक मानिसक िवकृित को एक नैदािनक प से साथक यवहारपरक या
मनोवै ािनक सं ल ण या पैटन जो यि म उ प न होता है, के प म समझा गया है और यह वतमान तकलीफ या िनयो यता (disability) से सं बं िधत होता है । चाहे उसका मौिलक कारण जो
भी हो, इसे वतमान समय म यि म यवहारपरक, मनोवै ािनक या जैिवक दुि या क अिभ यि अव य माना जाता हो । न तो कोई िवचिलत यवहार (जैसे राजनैितक, धािमक या
लिगक) और न ही यि तथा समाज के बीच होने वाले सं घष को मानिसक रोग माना जा सकता है
अगर ऐसा िवचलन या सं घष यि म दुि या का ल ण न हो ।
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डेिवड मैकािनक (David Mechanic, 1999) ने मानिसक बीमारी को इस ढ़ं ग से प रभािषत
िकया है, “मानिसक बीमारी एक तरह का िवचिलत यवहार है । इसक उ पि तब होती है जब यि का िच तन ि याएँ, भाव एवं यवहार सामा य याशाओ ं या अनुभव से िवचिलत होता है
तथा भािवत यि या समाज के अ य लोग इसे एक ऐसी सम या के प म प रभािषत करते ह
िजसम ह त ेप क आव यकता होती है ।”
उ प रभाषाओ ं से यह पता चलता है िक मानिसक बीमारी के दो पहलू हैः-
1. िच तन, भाव एवं आ त रक अंत यवहार मानिसक बीमारी से उ प न होते ह जो यि
के िलए दुःखदायी (disruptive) होते ह ।
2. DSL - IV के अनुसार यि का मन या उसके शरीर का कोई पहलू िजस ढ़ं ग से काय करना चािहए, उस ढ़ं ग से काय नह कर रहा होता है या िफर यह कह िक िकसी न िकसी
दुि या (dysfunction) से सम या उ प न होती है ।