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समझा जा सकता है -

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उपरो त सम याओं के व लेषण से न कष नकलता है क कशोराव था म अ धगमकता ऐसे

चौराहे पर खड़ा होता है जो सह/गलत दोन रा त पर मुड़ सकता है इस लए अ धगमकता क सम याओं को समझकर उ ह पया त नदशन व परामश दया जाना चा हए ।

2.3 अ धगमकता के यवहार, पा य म तथा अनुदेशक हेतु इसके

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जाना चा हए जब क मान सक व थता बनाने के लए ेन टोर मंग (Brain storming), यूटो रयल (Tutorial) आ द का आयोजन कया जाना चा हए ।

(ii) अ धगमकता क अ भ मताऐ (Learner’s Potentialities) :

श ण अ धगम या क पूण ाि त अ धगमकता क मूलभूत अ भ मताओं पर नभर करती है । ये अ भ मताएं उसक च, अ भ च तथा उसक अ भवृि त होती है।

ये अ भ मताएं ह अ धगमकता को सीखने और न सीखने के लए े रत करती है, साथ ह अ भ मताओं के अ तगत अ धगमकता क शि त तथा साम य व उसक बु

अथात कसी काय से संबि धत समझ, पूव ान आ द भी आती है इस लए अ यापक का दा य व बनता है क वह अ धगमकता क अ भ मताओं को पहचानकर उ ह श ण दान कर । य द श क अ धगमकता क अ भ मताओं क कृ त व तर को जानकर श ण दान करता है तो अ धगमकता सीखने क दशा म तेजी से अ सा रत हो

सकेगा ।

(iii) अ धगमकता क इ छा-शि त एवं उपलि ध अ भ ेरणा :

(Learner’s Will-power and Achievement Motivation) :

श ण अ धगम या क सफलता इस बात पर नभर करती है कं अ धगमकता

सीखने के लए कतना त पर है व उसक इ छा-शि त कतनी ढ है । ढ इ छा-शि त से श ण अ धगम या क हर बाधा को दूर कया जा सकता है । ढ इ छा-शि त के साथ अ धगमकता म उपलि ध के लए अ भ े रत होना भी आव यक है । य द अ धगमकता सीखने के लए अ भ े रत ह नह ं है तो वह अपनी शि त और साम य का

भी उपयोग नह ं करता है । अथात सीखने के लए उपलि ध अ भ ेरणा तर का ऊँचा

होना आव यक है । अ धगमकता म ढ इ छा-शि त, त परता तथा अ भ ेरणा दान करने के लए उ चत शै क वातावरण, महापु ष के संग देना आव यक है तभी

अ धगमकता वां छत गुण क ाि त कर सकता है ।

(iv)अ धगमकता का जीवन के त ि टकोण(Learner’s Attitude towards life) :

श ण अ धगम या क सफलता बहु त कुछ इस बात पर भी

नभर करती है क अ धगमकता का जीवन के त या ि टकोण है? वह अपने जीवन म कन ल य को थान देता है? जीवन के त ि टकोण उसे वशेष काय म द ता

दान कर सकता है । य द अ धगमकता क जीवन शैल के अनु प उसे काय दान कया जाता है तो वह उस काय को सफलतापूवक कर लेता है िजससे अ छे प रणाम क

ाि त होती है ।

2.3.2 अ धगमकता के पा य म एवं अनुदेशन के न हताथ : (Implicatons for Learner’s Curriculum and Instruction): _

श ण अ धगम या म श क तथा अ धगमकता दोन का ह थान मह वपूण होता

है । अ धगमकता के यवहार पर श क के यवहार, याकलाप का सीधा भाव पड़ता है ।

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पा य म के सै ां तक तथा यवहा रक प के तुतीकरण क िज मेदार श क क होती है

इस लए पा य म कैसा हो? यह जानने से पहले श क के कौन से गुण का भाव अ धगमकता

पर पड़ता है, का जानना भी आव यक है जो क न न कार से है - (i) अ यापक का यि त व तथा यवहार :

अ यापक के यि त व तथा यवहार का सीधा भाव बालक पर पड़ता है । अ यापक यि त व तथा यवहार वारा अ धगमकता म पढने के त च अ य त कर सकता है

पर तु इसके लए श क का वषयव तु पर पूण अ धकार होना चा हए ता क वह अनुभव को सम प से अ धगमकता के सम रख सके । अ यापक क शार रक व मान सक व थता भी श ण क भावशीलता पर अपना भाव डालती है । जो श क शार रक और मान सक प से व थ नह ं होते वे अपने यवहार को भी स तु लत नह ं कर पाते ह िजसका वपर त भाव अ धगमकता पर पड़ता है । जो अ यापक अपनी

क ा म जनतां क (Democratic ) वातावरण दान कर श ण काय करता है तो

नि चत प से वह श क, श ण अ धगम या क सफलता को ा त करता है । (ii) पा यव तु का नमाण एवं तुतीकरण :

श क के अ त र त पा यव तु का भाव भी अ धगमकता पर थायी प से पड़ता है । पा य म या पा यव तु श क तथा श ाथ के म य स ेषण का मा यम होती है । पा य म के अनुसार ह श क अपनी पाठ योजना तैयार करता है ता क पा य म के

नधा रत उ े य क ाि त क जा सके । अ धगमकता िजस प म पा यव तु को

ा त करगे श ण अ धगम या क सफलता का तर उसी कार का होगा अथात पा यव तु क गुणव ता पर श ण अ धगम या क सफलता नभर करती है

इस लए श क वारा अ धगम अनुभव को समायोिजत प से तुत करना चा हए । जैसे – य , अ य , ासं गक, औपचा रक आ द । इसी कार पा य म का नमाण करते समय अ धगमकता क आयु अ भ मताऐ सामा य बौ क तर आ द को यान म रखते हु ए पा यव तु का चुनाव करना चा हए, साथ ह पा यव तु को ता कक म म यवि थत कया जाना चा हए । अ धगमकता का अ धगम तभी थायी होगा जब क पा य म उ चत प से संग ठत तथा आयोिजत हो अथात पा य म के उ े य को

संग ठत पा यव तु वारा भावपूण ढंग से ा त कया जा सकेगा । (iii) भावी व धय एवं तकनीक का योग :

श ण अ धगम उ े य क भावपूण ाि त तभी स मव है जब क अ धगमकता तक इ ह भावी व धय तथा तकनीक के मा यम से पहु ँचाया जाये । अनुदेशन दान करते

समय न न बात को यान म रखना आव यक है :-

 अनुदेशन तकनीक इस कार क हो िजससे अ धगमकता क सभी ानेि य (sensory organs) का इ तेमाल हो सके । जैसे – देखना, सुनना, पश करना आ द ऐसा करने से

अ धगमकता ान को कुशलता से अिजत कर सकेगा ।

 जो भी ान दान कया जाये उसे अ धगमकता के पूव ान से स बि धत कया जाये।

इससे भी श ण अ धगम या क भावशीलता बढती है ।

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 पा यव तु को तुत करने के लए अ धगमकता क आव यकतानुसार श ण व धय व धय तथा तकनीक का इ तेमाल कया जाये साथ ह उ चत तपुि ट व पुनवलन क यव था भी क जानी चा हए । तपुि ट व पुनवलन अ धगमकता के अ धगम को

भावी बनाने म मह वपूण भू मका नभाते ह ।

 मनोवै ा नक श ण व धय का योग कया जाये । वषयव तु के अनु प ह श ण व धय का उपयोग कया जाये । श ण व ध व याथ केि त हो तथा वयं ान ा त करने के लए अ भ े रत कर सके तथा अ त: या क बलता होनी चा हए । ऐसे गुण से यु त श ण व ध तथा तकनीक, अ धगमकता के अ धगम को थायी बनाती है ।

 अ धगमकता को श ण दान करते समय य- य साम ी का योग कया जाना

चा हए ता क उनका यान केि त हो सके ।

 अ धगम व ध तथा तकनीक ऐसी ह िजसम अ यास काय दोहराने क याव था भी हो । पुनरावत से वषय क पकड़ मजबूत होती है तथा क ा म अनुशासन क सम या भी

नह ं आती ।

अ धगमकता के यवहार, पा य म तथा अनुदेशन से संबि धत कारक को यान म रखकर कया गया श ण अ धक भावी होता है तथा अ धगम थायी होता है । उपरो त तीन कारक के साथ ान उपलि ध क ा के वातावरण पर भी नभर करती है । जैसे – शा त, जनताि क, न प , सहयोगपूण, रचना मकता के उ चत अवसर दान करने वाला, अ त: या मक तथा सहयोगी वातावरण अ धगमकता क सम याओं को दूर कर उनके लए उ चत ब धन के अवसर दान करता है । उपरो त वणन से न कष नकलता है क अ धगमकता के यवहार, पा य म तथा अनुदेशन का ब धन श क, पा य म, व ध तथा

तकनीक का सह उपयोग करके कया जा सकता है ।

2.4 सारांश(Summary) :

श ण अ धगम या म अ धगमकता एक मह वपूण थान रखता है । अ धगमकता

के समु चत वकास के लए उनक सम याओं को जानना आव यक है । अ धगमकता क सम यओं को समझकर इ ह दूर करने का यास करना चा हए । अ धगमकता क सम याओं का

नराकरण उसके यावहार पा य म तथा अनुदेशन व ध म प रवतन लाकर कया जा सकता है । य द अ धगमकता के यावहारगत वशेषताओं को यान म रखकर पा य म का नमाण कराया

जाये तथा उ चत अनुदेशन व धय तथा तकनीक का इ तेमाल कया जाये तो अ धगमकता क सम याओं को दूर कया जा सकता है । जैसे - अ धगमकता को उनके बु नुसार वातावरण दया

जाये, उ चत समय पर यौन श ा दान क जाये, यावसा यक नदशन दान कया जाये, संवेग

वपरख न (Check Your Progress)

03. अ धगमकता के यवहार स बि धत सम या के बंधन का वणन क िजए।

(Enemurate the management or problems related to the behaviour of learners)

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तथा च क पू त क जाये, अ यापक क वषयव तु पर वा म व हो अ यापक तथा

अ धगमकता दोन ह शार रक व मान सक प से व थ ह, अ धगमकता को तपुि ट तथा

पुनवलन दान कया जाये, नयी पा यव तु को पूव ान से स बि धत करके दान कया जाये, अ धगमकता को अ य धक त पधा से दूर रखा जाये, अ धगमकता के समुख आदश उदाहरण

तुत कये जाये आ द ।

2.5 श दावल (Glossary)

1. समायोजन (Adjustment) - सी मत साधन म स तु लत यावहार

2. पा य सहगामी याएँ (Co-Curricular Activities) - पा य म को पो षत करने वाल याएँ

3. परामश (Counseling) – वचार के आदान दान से सम या का हल नकालना

4. नदशन (Guidance) - वतं प से सम या समाधान यो य बनाना

5. अनुदेशन (Instruction) - क ा श ण

6. पुनवलन (Reinforcement) - जो त या क आवृि त को बढ़ा देता है

2.6 स दभ पु तके (Reference Books)

1.पा डेय, राम शकल (1998) - श ा मनो व ान, आर. लाल बुक डपो, मेरठ ।

2.शमा, आर. ए. (2000) - अ धगम एवं वकास के

मनावै ा नक आधार, आर. लाल बुक डपो, मेरठ । 3.संह, रामपाल, संह, एसडी

एवं शमा, देबद त (1999) - यवहार मनो व ान, वनोद पु तक मि दर, आगरा । 4.मंगल, ए. के. एवं मंगल, शु ा - व याथ वकास एवं श ण

(2005) अ धगम या ,(2005) लॉयल

बुक डपो, मेरठ ।

5.पा डेय, क पलता - श ा मनो व ान भारतीय एवं

पा चा य ि ट,

एवं ीवा तव, एस. एस.(2007) - टाटा मैक ॉ ह स पि लकेशन, नई द ल । 6.Woolfolk, Anita (2006) - Educational Psychology, Ninth Edition, Pearson Education Delhi.

7.Pandey, K.P - Advance Educational Psychology,2nd Revised Edition, Konark Publishers Pvt.

Ltd., New Delhi

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2.7 वपरख न के उ तर हेतु सुझाव

(Answer/suggestions to the Self learning Exercises) :

1. समायोजन स ब धी सम याएँ. (व यालयी तथा सामािजक) 2. यौन यवहार तथा शार रक प रवतन से स बि धत सम याएँ

3. नै तकता से स बि धत सम याएँ

4. यवसा यक चुनाव से स बि धत सम याएँ

5. व त से स बि धत सम याएँ

6. मादक व तुओं के सेवन तथा आ मह या क सम याएँ

7. आ म नभरता से स बि धत सम याएँ

8. आदशवा दता से स बि धत सम याएँ

02. यौन यावहार तथा शार रक प रवतन क सम याएँ देख (2.2.2)

(i) पा य सहगामी याकलाप, Brain storming, tutorials, counseling (ii) छा क अ भ- मताओं को पहचानकर अनुकूल श ण

(iii) छा क इ छाशि त तथा उपलि ध ेरणा (achievement motivation) के लए उ चत शै क वातावरण एवं महापु ष के संग।

2.8 पर ा यो य न (Unit End Questions) : -

1. अ धगमकता क सम याओं का व तृत वणन क िजए । (Describe the problems of learner in detail)

2. अ धगमकता क सम याओं का बंधन कस कार कया जा सकता है?

(How the problems of learners can be managed)

3. अ धगमकता के पा य म से स बि धत सम याओं का वणन क िजए एवं उनका उ चत बंधन बताइये ।

(Explain the problems of learners related to curriculum and their management)

4. अ धगमकता क सम याओं को दूर करने म श क क भू मका क चचा क िजए । (Discuss the role of teacher in eliminating the problems of learners).

5. अ धगमकता के यवहार, पा य म तथा अनुदेशन के न हताथ बताइये ।

(Give the implications of learner’s behaviour, curriculum and instruction)

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