Projective Technique & Case Study Method
5.5 अ यास
5.3.1 यि व का मापन
यि व क माप से ता पय यि व के शीलगुण के बारे म पता लगाकर वह िनि त करना होता है
िक कहाँ तक वे सं गिठत या िवसं गिठत है । िकसी भी यि के िभ न-िभ न शीलगुण जब आपस म सं गिठत होते ह तो यि का यवहार असामा य हो जाता है । यि व मापन के सै ाि तक तथा
यावहा रक उ े य ह । यि व मापन करके वैसे यि य िज ह समायोजन म यि गत किठनाई होती है क किठनाइय को दूर करने म मदद क जाती है । यि व मापन का दूसरा मुख अनु योग नेता का चयन तथा उ रदायी पद के िलए सही यि य का चयन करने म ह ।
मनोवै ािनक ने यि व मापन क िविधयाँ या परी ण का ितपादन िकया है । ऐसी मुख
िविधय का परी ण को िन नां िकत तीन भाग म बाँटकर अ ययन िकया गया है | 1. यि व आिव का रका (Personality Inventories) 2. ेपीय िविधयाँ (Projective methods)
3. े ण िविधयाँ (Observational methods)
5.3.2 ेपीय िविधयाँ (Projective methods)
ेपीय िविध (Projective methods) ारा यि व क माप परो प से होती है । इस परी ण म यि के सामने कुछ अ प तथा असं गिठत उ ीप या प रि थित िदया जाता है । ऐसे उ ीपक
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एवं प रि थितय के ित यि कुछ अनुि या (response) करता है । इन अनुि याओ ं (response) के सहारे यि अचेतन प से अपनी इ छाएं ुिटय एवं मानिसक सं घष को ेिपत करता है । इस तरह से ेपीय परी ण (Projective methods) ऐसे परी ण को कहा जाता है
िजसके एकां श अ प एवं असं गिठत होते ह और िजसके ित अनुि या करके यि अपने िभ न-
िभ न कार के शीलगुण क अिभ यि परो प से करता है । लारे स क (Lawrence Frank, 1939) को ही सामा यतः पहला वैसा यि माना गया है िज ह ने ेपीय िविध (Projective methods) जैसे पद का ितपादन िकया था ।
यिद हम यानपूवक देख तो यह प होगा िक ेपीय िविध (Projective methods) का अपना
एक सं ि इितहास है । 1400 म िलयोनाड डा िवनसी (Leonardo da Vinci) ने उन ब च का चयन िकया िज ह ने कुछ अ प ा प म िवशेष आकार तथा पैटन को खोजकर अपने
यि व म सजना मकता को िदखलाया था । िफर 1800 के उ रा म िबने (Binet) ने लोटो
(Blotto) जो एक तरह का खेल है के मा यम से ब च के िनि य क पना (passive imagination) को मापने क कोिशश िकया । इस खेल म ब च को कुछ याही के ध बे िदए जाते
थे िजसे देखकर उनह बताना होता था िक उसम वे या देखते है । 1879 म िफर गा टन (Galton) ने श द साहचय परी ण (Word association test) का िनमाण िकया । के ट तथा रोजानोपक (Kent & Rosanoff, 1910) ने गा टन के इस िविध का उपयोग परी ण.काय म काफ िकया।
िफर 1910 म युंग ने भी इसी तरह के परी ण का उपयोग नैदािनक मू यां कन के िलए िकया । इिवगहास (Ebbinghaus, 1897) ने वा य पूित परी ण (Sentence Completion test) का
उपयोग यि क बुि मापने म िकया परंतु तुरंत ही अ य लोग ारा यह अनुभव िकया गया िक ऐसा परी ण यि व मापने के िलए उपयोगी है न िक बुि मापने के िलए। ये सभी अनौपचा रक
ेपीय िविधय ने अ ततोग वा औपचा रक ेपीय परी ण (formal projective test) का
ज म िदया िजसके एकांश अिधक माननीकृत हए तथा िजनका ि या वयन येक यि पर समान ढं ग से िकया जाना स भव हो सका।
5.3.3 ेपीय िविध क कसौटीयाँ
िल डजे (Lindzey, 1961) जो इस े के एक मह वपूण शोधकता ह, ने ेपीय परी ण के
व प को ठीक ढं ग से समझने के िलए िन नां िकत कसौिटय या िवशेषताओ ं को काफ सटीक बतलाया है |
1 ेपीय परी ण के एकां श ऐसे होते ह िक उनसे बहत सारी अनुि याएँ उ प न हो पाते ह । 2 ेपीय परी ण ारा यि व के कई पहलूओ ं का मापन स भव होता है ।
3 ेपीय परी ण अचेतन यि व िवमाओ ं को अिधक तेजी से उ ेिजत करते ह । 4 ऐसे परी ण म यि अपने ारा िकए गए अनुि याओ ं का अथ नह समझता है । 5 ऐसे परी ण ारा अिधक मा ा म जिटल मू यां कन आँकड़े उ प न िकए जाते ह । 6 ऐसे परी ण म तुलना मक प से अ प उ ीपक का उपयोग िकया जाता है । 7 ऐसे परी ण ारा यि व का एक सं गिठत एवं स पूण त वीर उपि थत होता है ।
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8 ऐसे परी ण यि म व निच उ प न करने म सफल होते ह । 9 ऐसे परी ण म कोई सही या गलत अनुि या नह होता है ।
10 नैदािनक प रि थित म ेपीय परी ण का उपयोग भावमूलक ढं ग से होता है ।
यि व मापन के िलए मनोवै ािनक ने कई तरह के ेपीय परी ण का वणन िकया है । मनोवै ािनक ने ेपीय िविध का वग करण परी ण म उपयोग िकए गए उ ीपक, परी ण को
िनिमत करने तथा ि या वयन करने के तरीका तथा उनसे उ प न होने वाली अनुि याओ ं के आधार पर िभ न-िभ न ढं ग से िकया है । इसम िल डजे (Lindzey, 1961) ने जो वग करणए अनुि या
(Response) क कसौटी के आधार पर िकया है ,वह आज भी बहत लोकि य है । इनके अनुसार
ेपीय को िन नांिकत पाँच भाग म बाँटा गया है | क साहचय परी ण (association tests) ख सं रचना परी ण (construction tests) ग पूित परी ण (completion tests)
घ चयन या म परी ण (choice or ordering tests) ड़ अिभ यं जक परी ण (expressive tests)
(क) साहचय परी ण (association tests)- ऐसे परी ण म यि अ प उ ीपक को
देखता है ओर यह बतलाता है िक उसम वह या देख रहा है या िफर उससे वह िकस चीज को साहचियत कर रहा है । रोशाक परी ण (Rorschach test) तथा श द साहचय परी ण (word association test) इस ेणी के दो मुख कार है िजनका वणन
िन नांिकत ह |
(i) श द साहचय परी ण (word association test) - इस परी ण म कुछ पूव िनि त उ ीपक श द को एक-एक करके यि के सामने उपि थित िकया जाता है ओर यि को
श द सुनने के बाद उसके मन म जो सबसे पहला श द आता है उसे बतलाना होता है । यि मापन के प म इस परी ण का उपयोग ॉयड तथा उनके िश य िवशेषकर युंग
ारा ार भ िकया गया । युंग ने 1904 म 100 श द क एक मानक सूची तैयार क और उपयु िविध ारा यि क अनुि याओ ं को ा िकया । उसके बाद उसका िव ेषण करके िवशेषकर येक अनुि या श द का सां केितक अथ ात करके तथा िति या
समय के आधार पर यि के सां वेिगक सं घष का पता युंग ने सफलतापूवक लगाया।
इसक सफलता देखकर अमे रका म के ट तथा रोजे फ (Kent & Rosanoff) ने 1910 म तथा रैपपोट (Rapport) ने 1946 म अ य श द साहचय परी ण का िनमाण िकया
िजसका योग यि व मापन म िवशेषकर साधारण मानिसक रोग से िसत यि य के
यि व के मापन म सुचा प से िकया गया ।
(ii) रोशाक परी ण (Rorschach test)- ेपण परी ण म सबसे चिलत एवं मुख परी ण रोशाक परी ण (Rorschach test) है िजसका ितपादन ि वटजरलड के
मनि िक सक हरमान रोशाक (Harman Rorschach ) ने 1921 म िकया । इस परी ण
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म 10 काड होते ह । िजस पर याही के ध बे के समान िच बने होते ह । इसम 5 काड पर याही के ध बे जैसी आकृित पूणतः काला.उजला म िछपे होते ह ओर 5 काड पर याही
के ध बे जैसी आकृित रंग म होती ह । येक काड एक-एक करके उस यि को िदया
जाता है िजसका यि व मापना होता है । काड को वह जैसे चाहे घुमा-िफरा सकता है
और ऐसा करके उसे बताना होता है िक उसे उस काड म या िदखलाई दे रहा है या ध बे
का कोई अंश या पूरा भाग उसे िकसी चीज के समान िदखलाई प रहा है । यि ारा दी
गयी अनुि याओ ं को िलख िलया जाता है ओर बाद म उसका िव ेषण कुछ खास-खास अ र सं केत के सहारे िन नांिकत चार भाग म बाँट कर िकया जाता है ।
1 थल-िन पण (Location)- इस ेणी म इस बात का िनणय िकया जाता है िक यि क अनुि या का सं बंध याही के पूरे ध बे से है या उसके कुछ अंश से। अगर अनुि या का आधार पूरा ध बा होता है, तो उसे एक खास अ र सं केत, यानी W से
अंिकत करते ह । यिद अनुि या का आधार ध बे का बड़ा एवं सामा य अंश होता है तो
उसके िलए D तथा असामा य एवं छोटे अंश के आधार पर अनुि या होने से उसके िलए Dd का योग िकया जाता है । िसफ उजले थान या जगह के आधार पर अनुि या देने से
उसके िलए S का योग िकया जाता है ।
2 िनधारक (Determinants)- इस ेणी म इस बात का िनणय िकया जाता है िक ध बे के िकस गुण (feature) के कारण यि ने अमुक अनुि या क है । जैसे. मान िलया
जाय िक यि ने िकसी ध बे म चमगादड़ होने क अनुि या क है । इस अनुि या के
िनधारक ेणी म इस बात का िनणय िकया जायेगा िक यि ने ध बे के िकस गुण अथात आकार, रंग, गित आिद म से िकसके आधार पर ऐसी अनुि या क है । इस ेणी के िलए लगभग 224 अ र सं केत का ितपादन िकया गया िजसम कुछ इस कार ह | आकार के
िलए Fए रंग के िलए Cए मानव गित अनुि या के िलए M, पशु गित अनुि या के िलए FM तथा िनज व गित अनुि या के िलए m आिद।
3 िवषय.व तु (Content)- इस ेणी म यह देखा जाता है िक यि ारा दी गयी
अनुि या क िवषय.व तु या है । िवषय.व तु मनु य होने पर उसके िलए H तथा पशु होने
पर उसके िलए A के सं केत का योग िकया जाता है । मानव के िकसी अंग के िववरण होने
पर Hd तथा पशु के िकसी अंग के िववरण के िलए Ad, आग के िलए F, यौन के िलए घरेलू व तुओ ं के िलए Hh का योग िकया जाता है ।
4 मौिलक अनुि या एवं संगठन (Original response and Organisation)- मौिलक अनुि या (Original response )से ता पय उस अनुि या से
होता है जो अनेक यि य ारा िकसी काड के ित अ सर िदये जाते ह । इसिलए इसे
लोकि य अनुि या भी कहा जाता है िजसका सं केत च् है । जैसे थम काड म पूरे ध बे को
चमगादड़ या िततली के प म देखना एक लोकि य अनुि या का उदाहरण है । इसी तरह से येक काड के िलए कुछ अनुि याओ ं को लोकि य अनुि या क ेणी म रखा गया
है। कभी-कभी वह कुछ अनुि याओ ं को एक साथ सं गिठत कर लेता है िजसका संकेत है ।
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रोशाक परी ण पर िदये गये अनुि याओ ं को उपयु चार भाग म िव ेषण करने के बाद उसक या या क जाती है । उदाहरणाथ, यिद िकसी यि ारा अिधक सं या म W क अनुि या क गयी है तो इससे ती बुि तथा अमूत िच तन क मता का बोध होता है । D अनुि याओ ं से
यि म िकसी व तु को प प से देखने तथा समझने क मता का बोध होता है । Dd अनुि या जो एक सामा य वय क ारा दी गयी कुल अनुि याओ ं का 5% से अिधक नह होता है
ारा यि के िच तन म अ प ता को िदखलाता है । पर तु यिद ऐसी अनुि या 5% से अिधक हो
जाती है तो इससे यि म मनोिवदालता जो एक कार का मानिसक रोग है का सं केत िमलता है । S अनुि या क अिधकता से यि म नकारा मक वृि तथा आ म-हठधम होने का संकेत िमलता
है । थ् अनुि या क अ िधकता से िच तन करते समय एका ता क मता का बोध होता है । रंग- सं बं धी अनुि या क अिधकता से यि क संवेगशीलता या यि व के भावा मक शीलगुण का
पता चलता है । रंग-सं बं धी अनुि या का बहत ही कम होना या न होने पर यि म मनोिवदािलता
के ल ण, जैसे- सामा य वातावरण से अपने आपको अलग करके रखनाए म तथा िव म अिधक होना आिद गुण पाये जाते ह । गित अनुि याओ ं (F, FM, m) क अिधकता से यि म का पिनक ि याओ ं (fanciful activities) तथा उसक क पना शि का बोध होता है । A तथा
Ad अनुि याओ ं को िमलाकर A% तथा H और HD अनुि याओ ं को िमलाकर H% ात िकया
जाता है । A% अिधक होने से बौि क संक णता तथा सां वेिगक असं तुलन ात होता है तथा H%
अिधक होने से उपयु सं ाना मक िवकास होने का सं केत िमलता है । P अनुि या से ि ़ढगत
िच तन तथा इसक कमी से यि म सामािजक अनु पता के शीलगुण क कमी होने का अंदाज
िमलता है । ए सनर (Exner, 1974) के अनुसार P अनुि याओ ं से यि म सजना मकता का भी
बोध होता है । Z अनुि याओ ं से यि म उ च बुि , सजना मकता, िनपुणता आिद का बोध होता
है ।
रोशाक के समान ही एक और याही.ध बा परी ण (ink-blot test) है िजसका ितपादन हो जमैन (Holtzman) ने 1961 म िकया था िजसे हो जमैन याही.ध बा परी ण (Holtzman Ink-bolt test) कहा जाता है । इसके दो फाम है और येक फाम म 45 काड ह िजस पर याही के
ध बे बने होते ह । येक काड के ित अिधक.से.अिधक एक अनुि या यि को करनी होती है
पर तु यि व मापन म इसक लोकि यता उतनी नह है िजतनी क रोशाक परी ण का है । ख सं रचना परी ण (Construction test)- इस ेणी म ऐसे ेपीय परी ण को रखा
जाता है िजसम परी ण उ ीपक के आधार पर यि को एक कहानी या अ य समान चीज क सं रचना करनी होती है । इस ेणी का सबसे मुख परी ण िवषय.आ मबोध परी ण (Thematic Apperception Test or TAT) है । इस परी ण का िनमाण मर (Murray, 1935) ने हारवड िव िव ालय म िकया । बाद म यानी 1938 म मागन के
साथ िमलकर इ ह ने इस परी ण का सं शोधन िकया । इस परी ण म रोशाक के समान उ ीपक या प रित बहत ही अ प तथा असं गिठत नह होती है । इस परी ण का उ ीपन या प रि थित तुलना मक प से अिधक प होती है । इस अथ म TAT, रोशाक परी ण से िभ न है । इस परी ण म कुल 31 काड होते ह िजसम से 30 काड पर िच बने होते ह तथा 1 काड सादा होता है । िजस यि के यि व को मापना होता है, उसके यौन एवं
उ के अनुसार इस 31 काड म से 20 काड का चयन कर िलया जाता है । इस 20 काड म