Definition and Nature of Mental Mechanism
3- मानिसक मनोरचना के कार
8.3 प रभाषा एवं या या
ॉयड के Psychoanalytic Approach क या या िन नां िकत तीन मु य भाग म बां ट कर क जाती है ।
क यि व क सं रचना (Structure Personality) ख यि व क गितक (Dynamics of Personality) ग यि व का िवकास (Dynamics of Personality) इनका वणन िन नांिकत ह |
क यि व क सं रचना (Structure Personality)
ॉयड ने यि व क सं रचना का वणन करने के िलए िन नां िकत दो मॉडल का िनमाण िकया है | अ आकारा मक मॉडल (Topographical Model)
ब ग या मक या सं रचना मक मॉडल (Dynamic or Structural Model) इन दोन मॉडल क या या िन नां िकत ह |
अ आकारा मक मॉडल (Topographical Model)
मन का आकारा मक मॉडल से ता पय वैसे पहले से होता है जहाँ सं घषमय प रि थित क ग या मकता उ प न होती ह मन का यह पहलू सचमुच म यि व के ग या मक शि य के बीच होने वाले संघष का एक काय थल होता है । ॉयड ने इसे तीन तर म बाटा है | चेतन, अ चेतन तथा अचेतन ।
इन तीन का वणन िन नां िकत ह । 1 चेतन (Conscious) :
चेतन से ता पय मन के वैसे भाग से होता है िजसम वे सभी अनुभूितयाँ एवं सं वेदनाएँ होती है िजनका
सं बं ध वतमान से होता है । दूसरे श द म चेतन ि याओ ं का सं बं ध ता कािलक अनुभव से होता है । फलतः चेतन यि व का लघु एवं सीिमत पहलू का ितिनिध व करता है । िकसी भी ण म यि
के मन म आ रही अनुभूितय (experiences) का सं बं ध उसके चेतन से ही होता है । 2 अ चेतन (Subconscious or Preconscious):
अ चेतन से ता पय वैसे मानिसक तर से होता हे जो सचमुच म न तो पूणतः चेतन होता है ओर न ही पूणतः अचेतन। इसम वैसी इ छाएँ, िवचार, भाव आिद होते ह जो हमारे वतमान चेतन या
अनुभव म नह होते ह । पर तु यास करने पर वे हमारे चेतन मन म आ जाते ह । अ चेतन को अ य नाम जैसे- अवचेतन या सुलभ मृित से भी जाना जाता है । आलमारी म हम अमुक िकताब को नह पाते ह । और थोड़ी देर के िलए परेशान हो जाते ह । िफर कुछ सोचने पर याद आती है िक उस
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िकताब को तो हमने अपने िम को दे िदया था । यह अ चेतन मन का उदाहरण होगा । ॉयड के
अनुसार अ चेतन , चेतन े एवं अचेतन े के बीच का एक पुल है । 3 अचेतन (Unconscious):
अचेतन का शाि दक अथ है जो चेतन या चेतना से परे हो । हमारे कुछ अनुभव इस कार के होते ह जो न तो हमारी चेतन म होते ह और न ही अ चेतन म । ऐसे अनुभव अचेतन म होते ह । अचेतन मन म रहने वाले िवचार एवं इ छाओ ं का व प कामुक असामािजक अनैितक तथा घृिणत होता है।
चूंिक ऐसी इ छाएँ एवं िवचार को िदन- ितिदन क िज दगी म पूरा करना स भव नह हो पाता है
अतः उसको चेतन से हटाकर अचेतन म दिमत कर िदया जाता है जहाँ जाकर ऐसी इ छाएँ समा
नह हो जाती हे हाँए थोड़ी देर के िलए िनि य अव य हो जाती है और चेतन म आने का भरसक यास भी करते रहते ह ।
ॉयड के अनुसार, अचेतन अनुभूितय एवं िवचार का भाव हमारे यवहार पर चेतन एवं
अ चेतन क अनुभूितय एवं िवचार से अिधक होता है । यही कारण है िक ॉयड ने अपने
िस ा त म अचेतन को चेतन एवं अ चेतन क तुलना म अिधक मह वपूण एवं बड़ा आकार बतलाया है ।
ब ग या मक या सं रचना मक मॉडल (Dynamic or Structural Model)
ॉयड के अनुसार मन के ग याग मक मॉडल से ता पय उन साधन से होता है िजनके ारा मूल वृि य से उ प न मानिसक संघष का समाधान होता है । ऐसे साधन या ितिनिध तीन है | उपाहं, अहं, तथा पराहं
इन तीन का वणन िन नां िकत ह | 1 उपाहं (id) :-
उपाहं (id) :-उपाहं यि व का जैिवत त व है िजनम वृि य क भरमार होती है जो ज मजात होती है तथा जो असं गिठत, कामुक,आ ामकतापूण तथा िनयम आिद को मानने वाली नह होती
है। एक नवजात िशशु म मूलतः उपाहं क वृि य क ही भरमार होती है । उपाहं क वृि याँ
आन द िस ां त ारा िनधा रत होती है य िक ऐसी वृि य क मु य उ े य आन द देनेवाली
ेरणाओ ं क सं तुि करना होता है । उसे उिचत-अनुिचत, िववेक-अिववेक, समय, थान आिद को
कोई मतलब नह होता है । उपाहं चूंिक पूणतः अचेतन होता है । अतः इसका सं बंध वा तिवकता से
नह होता है ।
उपाहं मूलतः दो तरह के म को अपनाता है | सजह ि या म उपाहं तनाव उ प न करने वाले
ोत के ित अपने आप अनुि या कर तनाव को दूर करता है । खांसनाए छ कना आँख िमचकाना
आिद कुछ ऐसी ही सहज ि याओ ं के उदाहरण है । ाथिमक ि या म यि वैसे उ ीपक
िजनसे पहले इ छा क सं तुि होती थी के बारे म मा एक क पना कर अपना संघष या तनाव दूर करता है । एक ब चा िजसे अमुक िखलौना िजससे पहले वह खेलता था नह देने पर उस िखलौने
का मा क पना कर ही अपनी इ छा क पूित करता है तथा मानिसक तनाव को दूर करता है ।
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2 अहं (Ego):
मन के ग या मक पहलू का दूसरा मुख भाग अहं है । ज म के कुछ िदन बाद तक ब चा पूणतः
उपाहं क वृि य ारा िनयं ि त होता है । पर तु सामािजक िनयम एवं नैितक मू य के कारण उनक ऐसी वृि य या इ छाओ ं क पूित नह होती है । िजसके फल व प उसम िनराशा का
अनुभव होता है और उसका सं बं ध वा तिवकता से थािपत होता है । इस ि या म उसम अहं का
िवकास हेाता है । अतः अहं मन का वह िह सा है िजसका सं बं ध वा तिवकता से होता है तथा जो
बचपन म उपाहं क वृि य से ही ज म लेता है । अहं वा तिवकता िस ा त ारा िनयं ि त होता है
तथा वातावरण क वा तिवकता के साथ इसका सं बं ध सीधा होता है । अहं को यि व का िनणय लेने वाला या कायपालक शाखा माना गया है । चूंिक अहं अंशतः चेतन, अंशतः अ चेतन तथा
अंशतः अचेतन होता है इसिलए अहं ारा इन तीन तर पर ही िनणय िलया जाता है । 3 पराहं (Super ego):
पराहं को अहं-से-उँचा भी कहा गया है । जैसे-जैसे ब चा बड़ा होता जाता है वह अपना दा प य माता-िपता के साथ थािपत करते जाता है िजसके प रणाम व प वह यह सीख लेता है िक पराहं
को यि व क नैितक शाखा, माना गया है जो यि को यह बतलाता है िक कौन काय अनैितक है । यह आदशवादी िस ा त ारा िनदिशत एवं िनयं ि त होता है । इस तरह से बचपन म समाजीकरण के दौरान ब चा माता-िपता ारा िदए गए उपदेश को अपने अहं यमहव म आ मसात कर लेता ओर यही बाद म पराहं (Superego) का प ले लेता है । पराहं (Superego)
िवकिसत होकर एक तरफ उपाहं क कामुक , आ ामक एवं अनैितक वृि य पर रोक लगाता है तो
दूसरी और अहं (ego) को वा तिवक एवं यथाथ ल य (Real Goals) से हटाकर नैितक ल य क और ले जाता है । एक पूणतः िवकिसत पराहं यि के कामुक एवं आ ामक वृि य पर
िनयं ण दमन के मा यम से करता हे। हालांिक वह दमन का योग वयं नह करता है िफर भी वह अहं को दमन का योग का आदेश देकर ऐसी इ छाओ ं पर िनयं ण रखता है । यिद अहं यमहव इस आदेश का पालन नह करता है तो इससे यि म दोष.भाव उ प न हो जाता है । उपाहं के ही
समान पराहं को भी अवा तिवक कहा गया है य िक पराहं इस बात का याल नह करता िक उसके नैितक आदेश को पूरा करने म वातावरण म उपि थत िकन.िकन किठनाईय का सामना अहं
को करना होता है । वह आँख मूँदकर अपने नैितक आदेश क पूणता क ल य क ओर अहं को
ख चने क भरपूर कोिशश करता है । अहं के समान पराहं, चेतन, अ चेतन एवं अचेतन तीन ही
होता है ।
ख यि व क गितक (Dynamics of Personality)
ॉयड के अनुसार मानव जीव (Human Organism) एक जिटल तं है िजसम शारी रक ऊजा
तथा मानिसक ऊजा दोन ही होते ह । शारी रक ऊजा से यि शारी रक ि याएँ जैसे दोड़नाए
िलखनाए साँस लेना आिद करता है तथा मानिसक ऊजा से यि मानिसक काय जैसे. मरणए य य िच तन आिद करता है । ॉयड के अनुसार इन दोन तरह क ऊजाओ ं का पश िब दु
उपाहं होता है । ॉयड ने इन ऊजाओ ं से सं बंिधत कछ ऐसे सं यय उपाहं होता है । ॉयड ने इन ऊजाओ ं से सं बं िधत कुछ ऐसे सं यय का िवकास िकया है िजनसे यि व क ग या मक पहलूओ ं
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जैसे- मूल वृि (Instinct), िच ता (Anxiety) तथा मनोरचनाओ ं (Mental Mechanism) का
वणन होता है ।
इनका िव तृत वणन िन नांिकत ह | 1. मूल वृि (Instinct)-
मूल वृि (Instinct) से ॉयड का ता पय वैसे ज मजात शारी रक उ ेजना से होता है िजसके ारा
यि के सभी तरह के यवहार िनधा रत िकये जाते ह । ॉयड ने मूल वृि य को मूलतः दो भाग म बाँटा है । जीवन मूल वृि तथा मृ यु मूल वृि जीवन मूल वृि को इरोस तथा मृ यु मूल वृि
को थैनाटोस भी कहा जाता है । जीवन मूल वृि य ारा यि के सभी तरह के रचना मक काय
िजसमं मानव वग या जाित का जनन भी शािमल है िनयं ि त होता है । अपने िवशेष अहिमयत के
कारण ॉयड ने जीवन मूल वृि से यौन मूल वृि को अलग करके इस पर अपने िस ा त म अिधक बल डाला है य िक इसे यि व िवकास के िलए वे काफ मह वपूण माने ह । यौन मूल वृि के ऊजा बल को िलिवडो (Libido) कहा गया है िजसक अिभ यि िसफ लिगक
ि याओ ं के प म होती है । मृ यु मूल वृि या थैनाटोस ारा यि सभी तरह के वसं मक काय तथा आ मणकारी यवहारी का िनधारण होता है ।
सामा य यि व म इन दोन तरह क मूल वृि य म एक सं तुलन पाया जाता है । इस सं तुलन म
ायः इरोस क सि यता थैनाटोस क सि यता अिधक होती है । 2. िच ता(Anxiety)
ॉयड के अनुसार िच ता एक ऐसी भावा मक एवं दुखद अव था होती है जो अहं यमहव को
आलि बत खतरै से सतक करता है । तािक यि वातावरण के साथ अनुकूली ढं ग से यवहार कर सके । ॉयड ने िच ता के तीन कार बतलाये ह
(1 वा तिवक िच ता (Realistic Anxiety) (2 तं ि कातापी िच ता (Neurotic anxiety) (3 नैितक िच ता (Moral anxiety)