Schizophrenia, Paranoid Disorder, Manic Depressive Disorder
12.8.4 मानिसक सामािजक उपचार (Psychosocial Treatment)
य िप साइकॉिसस िवरोधी दवाइयाँ काइज़ो िनआ के सकारा मक ल ण को िनयंि त करने तथा
रोग के दोबारा होने क सं भावनाओ ं को कम करने म बहत भावकारी रहती है, िकंतु रोग के
नकारा मक ल ण पर इनका भाव सीिमत रहता है । इन हठी नकारा मक ल ण के कारण,
ि थरता पा चुके रोिगय को समाज क धारा म पुन: सि मिलत होने म किठनाइ होती है । रोगी क सामािजक मताओ ं तथा सम या क यो यता म बहत कमी आ जाती है । इसके मु य कारण ह रोगी ारा इन मताओ ं का उपयोग न करना, ेरणा शि म कमी तथा वातावरण ारा उसक रोगी
वाली भूिमका को चिलत रखना, ल बे समय तक चलने वाले इस रोग के कारण समाज द यव थाओ ं से िमलने वाले वाभािवक सहयोग म कमी आ जाती है, जैसे प रवार तथा िम से दूरी
बढ़ जाना, कइ बार रोगी इस यो य नह रहता िक वह अपना पुराना काय आर भ कर सके या नया
काय ढूं ढकर उसे जारी रख सके । ल बे समय तक बनी रहने वाली उ ीपन क गं भीर कमी के
हािनकारक प रणाम उन रोिगय म देखे जा सकते ह ।, िज ह ल बे समय तक अ पताल म रहना पड़ा
हो । यह इस त य को मान िलये जाने का ही प रणाम है िक रोिगय को समाज आधा रत उपचार िदये
जाने के य न आर भ हए तथा अब जहां तक सं भव हो उ ह अ पताल म भत नह िकया जाता । यिद िकसी कारण अ पताल म भत करना ही पड़ तो इस बात का य न िकया जाता है िक यह अविध कम से कम हो, काइज़ो िनआ के उपचार म मह वपूण कदम रहे ह िकंतु ये कदम रोगी म उ प न हइ किमय को पूरा नह करते। ग भीर प से बीमार मानिसक रोिगय म उ ीपन क कमी क सं भावना घर तथा अ पताल दोन जगह समान होती है । रोग से उ प न हए नकारा मक भाव तथा
किमय को मानिसक सामािजक िविधय ारा पूरा िकया जा सकता है ।
मानिसक सामािजक िविधय का उ े य रोगी क िविभ न ि याओ ं म सुधार लाना है । वयं क सफाइ एवं िदखावट बातचीत व सामािजक मेलिमलाप म वृि तथा रोगी ारा वयं के िलये ऐसा
यवसाय ढूं ढकर उसे चलाना िजसम वा तिवक िज मेदा रयाँ तो हो लेिकन वे उस पर अिधक बोझ न डालती हो । रोगी को ये तकनीक यि गत तर पर तथा समूह म िसखाइ जा सकती है । इनके
िलये यावहा रक प ितय (जैसे रोल लेइंग) या मब तरीक का योग िकया जा सकता है । उपचार के ये तरीके िकसी भी मत से े रत हो लेिकन इनका उ े य रोगी क ासंिगक सम याओ ं को
पहचान कर उनका हल ढूं ढना ही होना चािहए । ये प ितयां साइकॉिटक ल ण के दूर हो जाने के
बाद ही योग क जानी चािहए।
उ ीपन क अिधकता अथवा अनुिचत उ ीपन का भाव भी उतना ही हािनकारक होता है िजतना
िक उ ीपन म कमी का, काइज़ो िनआ के उन रोिगय म देखा गया है िजनके घर का वातावरण तथा र तेदार का यवहार उनके ित अ यिधक आलोचनापूण तथा उ है अथवा वे रोगी के काय म आव यकता से अिधक दखलं दाजी करते ह । ऐसे रोिगय म रोग के दुबारा उभर आने क सं भावना उन रोिगय क तुलना म बहत अिधक होती है, जो भावना मक प से कम आवेिशत वातावरण म रहते ह । य िप प रवार म रहने वाले रोिगय म अनुर ण औषधोपचार के कारण रोग के
पुन: उभरने क सं भावनाएं कुछ कम हो जाती है िकंतु ऐसे प रवार के िलए जहां भावनािभ यि
बहत अिधक होती है । पा रवा रक ह त ेप ारा उपचार के तरीक का योग उतना ही मह वपूण एवं उपयोगी रहता है िजतना क रोगी का औषधोपचार, प रवार के सद य को रोग स ब धी
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जानकारी देना, रोग के पुन: उभरने के आंरिभक ल ण एवं अनुर ण औषधोपचार के बारे म
िशि त करना आिद तथा सं बं िधय के समूह क सभाएं आयोिजत करना िजनका उ े य उ ह अपने
अनुभव बां टने के िलये ो सािहत करना, भावनाओ ं को अिभ य करना तथा रोग का सामना करने
क तकनीक को सीखना होता है । ये सभाएं रोगी के सं बं िधय के ि कोण एवं यवहार बदलने म उपयोगी िस हइ है । रोगी तथा सं बं धी िवशेष के मेल जोल क समय सीमा बां ध देना भी उपयोगी
रहता है । इस ि या म रोगी का काइ पूणकािलक यवसाय ले लेना अथवा यिद यह सं भव न हो तो
उसका िदनभर िकसी डे-केयर सटर म यतीत करना लाभकारी पाया गया है । दुभा यवश कइ सुिवधाय जो पि मी देश म उपल ध है हमारे यहां उनका कोइ अि त व ही नह है । जैसे मानिसक सामािजक पुन थापना लब, सुर ा एवं आ य देने वाली कायशालाय तथा िदन यतीत करने के
िलए अ पताल आिद। हमारे देश म अिधकतर रोगी अपने माता-िपता या िकसी अ य िनकट सं बं धी
के साथ ही रहते ह अत: हमारे यहां के रोिगय के िलये रहने क समुिचत यव था जहां उनका पूरा
यान रखा जाये ढूं ढना दूभर काय रह है । तो भी ऐसे कइ रोगी है िजनके प रवार नह है अथवा
िजनका अपने प रवार के साथ रहना हािनकारक है, ऐसे रोिगय का यान रखते हए हाल ही के वष म हमारे देश के कुछ भाग म भी म यगृह थािपत िकये गये ह, इनसे रोिगय का एक छोटा भाग लाभाि वत हआ है ।
12.9 यामोही िवकृित या ि थर यामोही िवकृित (Delusional disorder or Paranoid)
12.9.1 ि थर- यामोही िवकृित का व प -
ि थर यामोही िवकृित ( Paranoid disorder) - एक ऐसा मानिसक रोग है जो िक िहपो े टस के समय म भी चिचत था । उ ह ने उस समय ि थर यामोह का अथ ‘पागलपन’ (Insanity) से बतलाया था । आधुिनक समय म ि थर यामोह का योग इस अथ म नह िकया जाता है । मनोरोगिव ािनक (Psychiatrists) व नैदािनक मनोिव ान (Clinical Psychology) ने 18व शता दी म इसका योग एक खास अथ म िकयािजसम रोिगय म यामोह (delusions) क धानता होती थी । यामोह का अथ होता है ‘गलत
िव ास’। आधुिनक समय म िवशेष का मानना है िक ि थर यामोह (Paranoid) से ता पय ऐसे
मानिसक रोग से हे िजसम रोगी के अंदर एक जिटल यामोह तं (delusion system) िवकिसत हो जाता है पर तु उसम िकसी कार का भाषा तथा ि या-कलाप म गड़बड़ी तथा ि थत ां ित आिद जैसा कोइ ल ण नह होता है । इससे यह प होता है िक इस रोग म रोगी के अ दर यामोह तं इतना जिटल हो जाता है िक उसका यवहार असामा य तथा कुसमायोिजत प प से लगता
है । सु यवि थत एवं ि थर यामोह के अलावा इस तरह के रोिगय म और कोइ भी ल ण असाम य नह होते ह । इस रोग का नाम DSM-IV (TR)म यामोही िवकृित रखा गय है । इस रोग को
बुटिजन, ऐकोसे ला एवं एलाय ने इस तरह प रभािषत िकया है -
‘‘ यामोही िवकृित, यामोही तं म मौिलक असमानता है । वा तव म कुछ यामोही तं क ही
िसफ असामा यता होती है और सभी पहलूओ ं म यि व सामा य िदखाइ देता ह ।’’
‘‘असामा य मनोिव ान के इितहार म ि थर यामोह के कइ ठोस उदाहरण है । जैसे िक कारसन, कालमैन युचर 1988 ने एक अ य त मशहर केस को बताया है िजसके ारा ि थर यामोह के
व प को कािशत िकया जा सकता है ।
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‘‘एक इंजीिनयर ने सेन ां सिससक तथा बड़े शहर म या कुहासा को दूर करने के िलए एक master plan बनाया और िजस कंपनी म वह नौकरी करता था उसे वहां िदया। उसके मा टर लान क गहराइ से जां च करने के बाद क पनी ने यह िन कष िलया िक उसके ारा बनाया गया मा टर लान अवै ािनक है । और उसे वीकार नह िकया । इसबात से उस इंजीिनयर को मानिसक ध का
लगा और उ ह ने अपने पद से यह कहते हए यागप दे िदया िक जो िनणय कंपनी ने दूसरे इंजीिनयर क मदद से िलया है वह िनणय िब कुल सही नह है योिक अ य इंजीिनयर को उसके मा टर लान क जिटलता ठीक ढं ग से समझ म नह आयी । इसके बाद वह दूसरे ऐसे इंजीिनय रंग सं थान को खोजता रहा जो उसके मा टर लान म िनिहत िवचार के तकनीक मता को समझ सके तथा
उसके मह व को पहचान सके । जब कोइ यि उसे लान क वीणता के बारे म कुछ पूछता तो
वह तक देकर उसे वह समा करनेक कोिशश करता था और कभी कभी वह उस यि को शक क िनगाह से देखता और उसके साथ ू रतापूण यवहार भी करता था । धीर धीरे उसे यह सु यवि थत िव ास हो गया िक सारे इंजीिनय रंग सं थान ने िमलकर उसका मा टर लान चुरा
िलया है और उस इंजीिनयर ने पुिलस म इसक एक रपोट दज करायी। और पुिलस को धमक देते
हए यह भी कहा िक यिद उ ह ने इस िसलिसले म कुछ करने म नाकामयाबी हािसल क तो वह खुद ही कोइ कदम उठायेगे। इस धमक के प रणाम व प उ ह मानिसक अ पताल म भत करवाना पड़ा
जहां उ ह ि थर यामोह का रोगी बताया गया ।’’
इस उदाहरण से यह प होता है िक ि थर यामोह म यि अपने अंदर िकसी न िकसी कार के
सु यवि थत व ि थर िव म िवकिसत कर लेता है और इसके प म अपने मनगढं त तक भी देता है । इस रोग का रोगी अ य ि कोण से ठीक नजर आता है पर तु उनम यामोह क सम या होती है । इसके रोिगयो म मनोिवदािलता के रोिगय क तरह िव म नह होते ह । DSM-III-R ारा 1987 म मानिसक रोिगय का classification करने के पहले ि थर यामोह दो तरह के शािमल िकया जाता
था ि थर यामोही अव था और ि थर यामोह। ि थर यामोही अव था म जो िव म होते ह वो कुछ ण के िलए होते ह उनम न तािकक त व और न ही मब ता पायी जाती है इस तरह क अव था
रोगी म जब उ प न होती है जब रोगी म मानिसक तनाव का तर बढ़ जाता है । ि थर यामोह म यि के अंदर धीरे धीरे द ड का यामोह महानता या े ता का यामोह िवकिसत होने लगता है
जो िक मब व तािकक होता है । इन िव म को छोड़कर यि म िकसी कार के िव म व गं भीर
िवघटन के ल ण नह होते ह ।
DSM-IV(TR) म इन दोन तरह के रोग को एक ही ेणी यामोही िवकृित म रखा गया है । पर तु
paranoia तुलना मक प से अिधक लोकि य है इसिलए आगे हम इसी पद का योग करेग|
DSM-IV(TR) म यामोही िवकृित क पहचान के िलए कुछ कसौिटयाँ बताइ गइ है जो िक इस कार है -
1- यि के यवहार म परेशानी क वजह कोइ सामा य नैदािनक या िकसी दवाई लेने से
उ प न शारी रक दोष से न हआ हो ।
2- अगर यि के Mood म कुछ परेशानी आया भी हो तो उसक अविध यामोही अविध क तुलना म कुछ कम ही हो ।
3- यि म एक या एक से अिधक यामोह िजनका सं बं ध सामा य जीवन क प रि थितय से
होता है, कम से कम एक महीने म उपि थत ह ।
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4- यामोही मनोिवदािलता के ल ण यि म न हो, सुनने का व देखने का िव म यिद हो तो
वह बल न हो । यामोही िवषय से सं बं ध पश या ाण उपि थत हो सकते ह । 5- यामोह के अलावा यि का यवहार िकसी भी कार से अलग न िदखता हो ।
इन कसौिटय से प होता है िक ि थर यामोही म िसफ िव म उ प न होने क ही असमा यता
होती है अ यथा यि का यवहार िब कुल ही सामा य होता है । इन कसौिटय से यह प हआ है
िक यामोह िवकृित म केवल यामोह ही उ प न होने क असमानता होती है इसके अलावा यि
का यवहार िब कुल ही सामा य िदखता है ।
DSM-IV (TR) (2000)के अनुसार नैदािनक प र े य म यामोही िवकृित के बहत ही कम कैसेज होते ह । मानिसक अ पताल म िजन रोिगय को दािखल िकया जाता है उनम से यामोही िवकृित के
रोिगय क मा ा केवल 1% से 2% तक ही होती है । यह िवकृित सामा यत: म याव था या
य काव था म उ प न होती है पर तु कभी कभी ऐसा होता है िक इस रोग क शु आत उससे भी
कम आयु म हो जाती है ।
12.9.2 ि थर यामोही िवकृित के कार (Types of Paranoid Disorder) -
ि थर यामोही िवकृित के कइ कार बताए गए ह जो िक इस कार हम प कर सकते ह -
1- द डा मक कार - इस कार क िवकृित म रोगी म यह गलत िव ास उ प न हो जाता है िक दूसरे लोग उसके िलए सािजश रच रहे ह । वे लोग उसे तकलीफ देने का लान बना रहे ह । इन सब चीज से बचने के िलए रोगी अपनी तरफ से कदम उठाता है और यिद फैसला रोगी के प म नह आता है तो वह पुन: इसके िलए कोइ बड़ा कदम उठाता है इसे ‘ यू लोअस ि थर यामोह’ कहा जाता है । इस तरह के दं डा मक यामोह वाले यि उन यि य के ित ोध व अिहंसा िदखाते ह िज ह वे यह समझते ह िक वह उ ह चोट पहँचा रहे ह ।
2- ई यालु कार (Jealous type) - इस तरह के कार म यह गलत िव ास पैदा हो जाता है िक उसका लिगक साथी अिव ासी है । इस तरह के ग़लत िव ास का आधार छोटे छोटे सबूत के
आधार पर लगाए गलत अनुमान होते ह ।
3- कामो मादी (Erotomatic types) - ऐसे रोगी म यह गलत िव ास पैदा हो जाता है िक कुछ ऊँचे पद के यि उससे यार करते ह और उसके साथ लिगक सं बं ध बनाना चाहते ह। ाय:
यि अपने यामोह वाले यि से िकसी न िकसी तरह जुड़ा रहता है पर तु कभी कभी वह अपने यामोह को पूणत: गु रखता है । नैदािनक ितदश म इस कार के रोग यादातर मिहलाओ ं म िमलते ह ।
4- आड बरी (Grandiose types) - इस कार का रोगी अपने आपको महान समझने लगता
है। उसे लगने लगता है िक उसके अंदर कोइ िद य सूझ या असाधारण शि या यो यता है । ऐसे
रोगी अपने आप को इ र का दूत भी कहते ह ।
5- शारी रक (Somatic types) - इस कार के रोगी को यह लगने लगता है िक उसम कोइ न कोइ शारी रक कमी है िजसके कारण वह हमेशा परेशान रहता है । शारी रक यामोह के भी कइ कार होते ह । इसम सबसे सामा य कार यह है िक इसम रोगी को यह गलत िव ास हो जाता
है िक उसके वचा, मुँह, मलाशय तथा योनी से दुगध आ रही है । उसे लगता है िक उसक वचा के अंदर कुछ परजीवी है तथा उसक बड़ी आँत ठीक तरह से काय नह कर रही है ।