इकाई 6 (UNIT 6)
7.3 मृ त (Memory)
136
137
पेशीय याओं (muscle activities) के संदभ म यह वशेष प से स य है जैसे कार चलाते
समय हमारे हाथ और पैर ि थ त के अनु प वत: काय करते रहते है। जब हम मृ त क बात करते है तो सामा यत: ल बे अव ध क मृ त (long term memory) के बारे म बात करते
है। कूट (coding) और सं हण का काय याद करने वाल साम ी के उपयु त संगठन से
सरल कृत कर लया जाता है। कुछ संगठन तो वयं याद करने वाल साम ी म न हत होती है
कुछ िजसको हम यि त परक (subjective) संगठन कहते है, वह सूचनाओं पर जब हम उनको
सं हण के लए कूटकरण (coding) कर रहे होते है तो उन पर आरो पत क जाती है। कूट करते
समय तकृ तय (Images) का नमाण वशेषकर मूत तकृ तय का सूचनाओं के सं हत करने म सहायक हो सकता है। कूट करते समय याद करने वाल साम ी रचना मक याओं
ारा बहु धा पा त रत कर द जाती है। तब हम हम पा त रत सूचना को याद करते है िजसको
कूट (encode) कया गया था ना क वह सूचना जो वा तव म हम तुत क गई थी।
सूचनाओं क पुन: ाि त (retrieval) म कुछ पुन: ाि त करने वाले संकेतक (cues) सहायक होते है। ये मृ त क सं ह शाखा से उपयु त भाग को खोजने म सहायक होते है। जब कूटकरण (encoding) काफ व तृत तथा चुर (rich) होता है तो पुन: ाि त काफ अ छा
होता है। जब कोई सूचना कसी व तृत प रपे से आती है तो उससे पुन: ाि त के संकेतक आसानी से ा त हो जाते है।
7.3.3 भूलना:-
हर मृ त के साथ भूलना भी लगा रहता है। भूलने के अ भ ाय है जो कुछ सीखा है उसे
तधा रत न कर पाना। मृ त क भां त व मृ त या भूलने भी सीखने क या का आव यक अंग है अ यास से वराम काल म शु और अशु दोन कार क अनु याए अंशत: व मृ त हो
जाती है पर तु हर ि थ त म उनक ग त समान नह ं होती। जैसे शु क अपे ा शु अनु याओं
म अ धक शी ता से वलु त होती है। शु अशु अनु याओं का अ भ ाय ऐसी अनु याओं से है
जो सूचना का अ त मह वपूण अंग नह ं है।
स यक प से सीखने वाल वषय व तु क धारणा-शि त अ छ होती है। इसी कार शी
सीखने वाले यि तय क अवधारणा शि त भी अ छ होती है। इस लए ऐसा लगता है क स यक अवगमन म सहायक होने वाल येक व तु स यक धारणा म सहायक होती है।
भूलने के कई कारण हो सकते है जैसे :-
1 वह सूचना कूट और सं हत ह नह ं क गयी। उस पर यान ह नह ं दया गया।
2 उसको ठ क कार से कूट (encode) और रहसल नह ं कया गया। रहसल का अथ है
सूचना के मद को जोर से या मौन होकर दोहरा कर नह अवधान के के म नह ं रखा
गया। कूट (encode) के समय जो सूचना हम मृ त म रखना है घटना है या िजसको
आपने पढा है, वह पा त रत (modify) हो जाती है। कूट करते समय जो रचना मक याएं उस समय काय कर रह है यह जो मृ त म सं हत है उसे वकृत कर देती है
और हम उन वकृ तय को याद रखते है। उदाहरण के लए जब हम कुछ पढते ह या
सुनते है हम वा तव म जो श द उसम योग कये उन पर पूरा यान नह ं देते, हम केवल उसका सार या अथ रखते है िजनक रचना कूट करते समय होती है। इस कार
138
हम जो कुछ हम याद रखना है उनका केवल कुछ भाग कूट करते है वा तव म यह दोषयु त याद भूलना नह ं है। हम उसी को याद रखते है िजसको कूट कया गया है
जब क हम समझते है क हम भूल जाते है य क जो याद रहता है वह उस घटना का
प रशु तुतीकरण नह ं है।
3. नवीन चीज का सीखना पूव सीखे गये चीज क मृ त को बा धत करती हे। इसको पूव भावी-नरोध (retroactive-inhibiton) क सं ा द जाती है। नवीन घटनाएं, पूव के
बाद म बाधक बन सकती है। इसी कार पूव क घटनाएं बाद क घटनाओं को याद करने म बाधक हो सकती है। इसे हम त- भावी नरोधक (Proactive-inhibition) कहते है।
4. कभी-कभी भूलना सूचनाओं क पुन: ाि त (retrieval) मे कुछ सम याओं के कारण हो
सकती है जैसे -
हम जानते है क पुन: ाि त म सं हत साम ी का संगठन तथा पुन: ाि त के
संकेतक (cues) जो सं हत साम ी को ढूंढने म काफ सहायक होते है। बना उपयु त संकेतक के िजस को हम याद करना चाहते है वह याद नह आती अथात् हम उसे भूल जाते है। कभी-कभी जब हम याद करने का य न छोड़ देते है तथा अ य काय म लग जाते है, तो वह हम याद आ जाती है ऐसा लगता है क वह नई याएं हम याद करने
का अवसर देती है या पुन: ाि त का संकेतक देती है। संवेगा मक कारक भी पुन: ाि त म बाधक हो सकते है।
7.3.4 मृ त म सहायक त व (Elements help for in memorning):-
बहु त सी पु तक या अखबार म दये फामूले, मृ त को सुधारने क दशा म दए जाते
है। इन फामूल से जो भी सफलता मलती है उनका ेय अंतत: सीखने क द ता म बु को
दया जा सकता है। कसी साम ी को केवल रटने से मृ त म कोई सुधार होने वाला नह ं।
सीखने म कुछ स यक् स ा त का योग करने पर भी मृ त म उ न त क स भावना है जैसे- 1. याद रखने क इ छा या इरादा :-
बहु त सी घटनाएं आपके सामने से गुजरती है पर तु आपको उनक याद नह ं रहती, य क आपक उनम च नह ं है। आपका उनको अपनी मृ त म रखने क कोई इ छा
या इरादा नह ं है। बना इ छा या इरादे के हम तुत साम ी याद नह ं रह पाती।
य द आप म याद रखने क इ छा होगी तो आप तुत साम ी पर अ धक यान दगे।
य द आपके लए कसी खेल म च है तो उसका उ लेख आते ह आप उसके स बंध म तुत साम ी को यान से सुनगे।
आक म डज के स ा त म शायद आपक च नह ं इस लए क ा म उसे पढ़ाते समय उसके त अ यमन क रखने के कारण याद नह ं रख पाते पर तु जब आपके सामने
श क यह न रखता है क -
'लोहा पानी म डूब जाता है पर लोहे का जहाज पानी पर कैसे तैरता है?' '
तो आपको फौरन इसका उ तर जानने क उ कंठा होती है तथा आप जानने के लए उस पर अ धक यान देते है। श क को कसी रोचक न के प म अपने पाठ क
139
तावना रखना इसी उ े य क पू त के होता है - छा म पाठ तुत त य को जानने
क इ छा, इरादा और इस लए उस पर अ धक यान।