(i) व यालयी समायोजन से स ब धी सम याएँ
(problems related to adjustment in school)
(ii) सामािजक समायोजन से स ब धी सम याएँ
(problems related to social adjustment)
(i)
व यालयी समायोजन से स ब धी सम याएँ(Problems related to adjustment
in school)
: कूल का वातावरण तथा श क यवहार कभी-कभी अ धगमकता के लए सम या का कारण बन जाते ह िजससे अ धगमकता अपने आपको कूल, वातावरण म41
समायोिजत नह ं कर पाता । जैसे- श क का आव यकता से अ धक स त होना, वतं ता न देना, शार रक द ड देना आ द । इसी कार व यालयी वातावरण जैसे- व यालयी पा यकम के
सै ाि तक प पर योगा मक प (Practical aspect) क अपे ा बहु त अ धक यान देना । सै ाि तक वातावरण म अ धगमकता मु यत: सुनने का काय करते ह िजससे अ धगमकता म ऊब उ प न होती है ।
(ii) सामािजक समायोजन से स ब धी सम याएँ (
Problems related to social adjustment)
: सामािजक वातावरण म अ धगमकता का प रवार के साथ स ब ध तथासामािजक स ब ध आते ह । शोध म पाया गया है क िजन, बालक-बा लकाओं को पा रवा रक संघष का सामना करना पड़ता है वे अ य लोग जैसे- म पड़ो सय, आस-पास के लोग के साथ भी ठ क ढंग से
समायोिजत नह ं हो पाते ह । इसी कार य द अ धगमकता कसी सामािजक समारोह म भाग लेना चाहता है पर तु इसक अनुम त मॉ/बाप से न मलने पर उसम वंद उ प न हो जाता है । माता-पता वारा ब च से बहु त अ धक अपे ाएँ रखना, बहु त अ धक डाँट- डपट, रोक-टोक लगाने से ब चे वकासा मक काया म ठ क कार से यान नह ं दे पाते ह ।
2. यौन यवहार तक शार रक प रवतन से स बि धत सम या.
(Problems related to Sex behaviour and Physical changes) :
कशोर बालक-बा लकाओं म यौन स ब धी सम याएँ भी पायी जाती ह अथात इस उ के
अ धगमकता शार रक प से प रप व हो जाते ह पर तु मनोवै ा नक प से नह ं । शार रक प से प रप व होने पर अ धगमकता म न न प रवतन आते ह- जैसे - लड़ कय म मा सक धम क (Menstruation) क शु वात होने पर वे शार रक व मान सक प से परेशान रहने
लगती ह । इसी कार लड़क म व नदोष (Wet dreams) क सम या उनके दमाग म वंद क सम या उ प न कर देती है । इसी कार बालक-बा लकाओं के शर र म होने वाले वकास का
भी भाव उनके समायोजन तर को भा वत करता है । लडके, लड़ कय से अ धक आकषक दखना चाहते ह जब क लड़ कय, लड़क से अ धक आकषक दखना चाहती ह । लड़के, लड़ कयाँ
अपने-अपने समूह म शार रक संरचना ( ल बाई, मोटाई, रंग- प ) क तुलना करते रहते ह । अगर शर र पया त प से वक सत नह ं हो पाता है तब भी बालक बा लकाएँ च ता त रहते
ह।
इसी कार बालक-बा लकाओं म यौन यवहार से स बि धत सम याएँ भी पाई जाती ह - जैसे - यौन ि थय के स य हो जाने पर जब शर र को वशेष अनुभू त होती है तो बालक- बा लकाएँ इस अनुभू त क संतुि ट ह त-मैथुन आ द वारा करते ह । साथ ह वे कुंठा त हो
जाते ह और अपने जीवन को उ े यह न मानने लगते ह । यौन श ा के अभाव म शाद से पहले
गभवती हो जाने पर बा लकाएँ या तो आ मह या का यास करती ह या अपने आपको गरा हु आ समझकर तनाव त रहने लगती ह जब क कशोर इस काय को अनै तक समझकर इसका बोझ अपने ऊपर लेने से मना कर देते ह ।
3. नै तकता से स बि धत सम या (Problems related to Morality) :
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यादातर बालक-बा लकाएँ वयं के लए तथा दूसर के लए उ च मानक नधा रत कर लेते ह िजनके पूरा न होने पर दूसर से लड़ाई झगड़ा करते ह िजससे सह /गलत का फैसला भी
नह ं कर पाते । ऐसी ि थ त म सामािजक समायोजन क सम या उ प न होती है ।
4. यवसा यक चुनाव से स बि धत सम या (Problems related to selection of Vocation) :
कशोराव था आने पर अ धगमकता के सामने यवसाय चुनाव स ब धीसम या आती है । अ धगमकता के दमाग म हर व त यह सवाल रहता है क कौन सा कोस या
यवसाय उसके लए उपयोगी होगा पर तु जब उसे मनमुता बक कोस/ यवसाय मल पाता है तो
वह व ोह (rebellious) व आ ामक (aggressive) हो जाता है । यवसाय चुनने या न चुनने क असमंजसपूण ि थ त उसे काफ परेशान कर देती है । ऐसे नणय के लए अ धगमकता
को उ चत नदशन व परामश क आव यकता होती है ।
5. व त स बि धत सम या (Problems related to Finance)
कशोर बालक-बा लकाओं म आ म-स मान क भावना बहु त अ धक होती है । वे अपने
समूह म चचा का वषय बनना चाहते ह । एक तरफ तो वे पैसा खच करना चाहते ह दूसर तरफ पैस क ाि त के वषय म सोचते रहते ह । पैस क ाि त के लए वे गलत काम क तरफ भी मुड़ जाते ह ।
6. मादक व तुओं के सेवन तथा आ मह या क सम या
(Problems related to drug use and suicide):
कभी-कभी बालक गलत साथ क वजह से मादक व तुओं का सेवन करना शु कर देता
है तो वह शै क, पा रवा रक, नै तक, आ थक तथा सामािजक प से सम या बन जाता है । शोध म देखा गया है क कशोर म आ मह या क भावना बल होती है । इस उ म कसी
चीज को खो देना, तेज बोलना, अपने अनुसार त या न पाना, व यालयी असफलता, पा रवा रक झगड़े, अपने समूह म व श टता म कमी, बालक को आ मह या क तरफ मोड़ती है । 7. आ म नभर से स बि धत सम या (Problems related to Independence) :
कशोराव था बालक क वह अव था होती है जब बालक को न तो बड़ा माना जाता है और न ह छोटा । ऐसी ि थ त म शार रक प से वक सत होने पर भी वह पूर तरह से आ म नभर नह ं हो पाता । शार रक, सामािजक आव यकताओं के लए अ धगमकता माता-पता व अपने बड़ पर
नभर करता है िजससे उसम च ता, भय, असुर ा क भावना पैदा हो जाती है साथ ह मॉ/बाप वारा दया जाने वाला सहारा भी अ छा नह ं लगता ।
8. आदशवा दता से स बि धत सम या (Problems related to Idealism) :
कशोराव था के बालक को वभाव से आदशवाद माना जाता है य क वह सब कुछ बदल डालने
के बारे म सोचता रहता है । वह आदश समाज के सपने संजोता है । टाचार समा त करना
चाहता है । वह क पना क उड़ान भरने लगता है । व वंसा मक काय के त अपना रोष य त करता है । ऐसा सोचते रहने से वह बेचैन हो उठता है िजसके फल व प वह सांवे गक व मान सक संतुलन खो बेठता है।
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उपरो त सम याओं के व लेषण से न कष नकलता है क कशोराव था म अ धगमकता ऐसे
चौराहे पर खड़ा होता है जो सह/गलत दोन रा त पर मुड़ सकता है इस लए अ धगमकता क सम याओं को समझकर उ ह पया त नदशन व परामश दया जाना चा हए ।