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केस अ ययन िविध (Case Study Method)

Projective Technique & Case Study Method

5.5 अ यास

5.3.4 केस अ ययन िविध (Case Study Method)

केस अ ययन िविध क प रभाषा एवं व प(Meaning & nature of case study method) मनोिव ानए समाजशा तथा िश ा म केस अ ययन िविध का योग आरंभ से ही िकया जाता रहा

है । फल व प इन िव ान के शोध म इसक िवशेष अहिमयत मानी गयी है । सामािजक शोध म केस अ ययन िविध का उपयोग सबसे पहले े ि क ली ले (Fredric Le Play) ारा 1840 म पा रवा रक बजट के अ ययन म िकया गया ।

केस अ ययन िविध एक ऐसी िविध है िजसम िकसी सामािजक इकाई के जीवन क घटनाओ ं का

अ वेषण एवं िव ेषण िकया जाता है । सामािजक इकाई के प म िकसी एक यि ए एक प रवार, एक सं था, एक समुदाय आिद को िलया जा सकता है । इसी अथ म पी.वी. यं ग (P.V. Young, 1974) ने केस अ ययन िविध को इस कार प रभािषत िकया है केस अ ययन एक ऐसी िविध है

िजसके ारा सामािजक इकाई क जीवनी का अ वेषण तथा िव ेषण िकया जा सकता है । गुडे तथा

हाट (Goode & Hatt, 1987) ने भी केस अ ययन िविध के बारे म बतलाये हए कहा ही िक यह ऐ

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ऐसी िविध है िजसके सहारे िकसी भी सामािजक इकाई का अ ययन पूण पेण िकया जाता है । दूसरे

श द म इस िविध म िकसी सामािजक इकाई जो एक यि भी हो सकता है या कोई अ य सामािजक समूह भी हो सकता है के एका मक व प को बरकरार रखते हए उसका अ ययन िकया

जाता है । गुडे तथा हाट (Goode & Hatt, 1989) के श द म केस अ ययन िविध को इस कार प रभािषत िकया है केस अ ययन सामािजक आँकड़ को सं गिठत करने का एक तरीका है तािक अ ययन िकये जाने वाले सामािजक व तु के एका मक व प को बनाया रखा जा सके । थोड़े िभ न ढं ग से इसक अिभ यि करते हए यह कहा जा सकता है िक यह एक ऐसा उपागम है िजसमे िकसी

भी सामािजक इकाई को पूण पेण ढं ग से देखा जाता है । करीब-करीब हमेशा ही उस उपागम म इकाई जो एक यि एक प रवार या अ य सामािजक समूह ि याओ ं या स ब ध का एक सेट या

स पूण सं कृित भी हो सकता है का िवकास सि मिलत होता है ।

इन प रभाषाओ ं का िव ेषण करने पर हम केस अ ययन िविध के व प के बारे म कुछ मह वपूण त य का पता चलता है िजसका वणन अ ां िकत ह |

1 केस अ ययन िविध म िकसी सामािजक इकाई के िवकासा मक घटनाओ ं (development events) का अ ययन िकया जाता है । दूसरे श द म िकसी अ ययन म सामािजक इकाई का अ ययन उसके िवकास के ऐितहािसक पृ भूिम म िकया जाता है । 2 सामािजक इकाई के प म एक यि िवशेष का भी अ ययन िकया जा सकता है या अ य

सामािजक समूह जैसे, प रवार या िकसी सं कृित का भी अ ययन िकया जा सकता है । 3 केस अ ययन िविध क एक मह वपूण िवशेषता यह है िक इसम सामािजक इकाई के

एका मक व प को टूटने नह िदया जाता है । इसका मतलब यह हआ िक अ ययन िकया

जाने वाला सामािजक इकाई को स पूण प से अ ययन करने क कोिशश क जाती है । उदाहरण व प, यिद िकसी प रवार को एक सामािजक इकाई के प म अ ययन करनरे का

िन य िकया गया है तो उस प रवार क ऐितहािसक घटनाच का यौरा तैयार करके

प रवार को िविभ न उपइकाई म न बाँटकर उसका स पूण प से अ ययन करने क कोिशश क जाती है ।

4 केस अ ययन िविध म अ ययन के िलए चुने गए सामािजक इकाई के या तथा य दोन प का अ ययन िकया जाता है । इसका मतलब यह हआ िक इस िवध म शोधकता

सामािजक इकाई के जिटल यवहारपरक पैटन क या या तो करता ही है साथ-ही-साथ वह उन कारक का भी पता लगाता है िजनसे इस तरह के जिटल यवहारपरक पैटन क उ पि हई होती है । दूसरे श द म वह सामािजक इकाई का वणन तथा या या दोन ही

करता है ।

केस अ ययन िविध के कार (Kinds of Case Study Method)

केस अ ययन िविध म शोधकता िकसी वतं चर (independent variable) म जोड़-तोड़ कर उसके भाव का अ ययन नह करता है बि क वह िसफ उन अव थाओ ं का अवलोकन करता है

जो वतमान समय या बीते हए समय म उपि थत रहकर अ ययन िकये जाने वाले सामािजक इकाई म

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प रवतन लाता है । यवहार परक वै ािनक ने केस अ ययन के मु य दो उप कार बतलाए ह जो

िन नांिकत ह |

क अपस रत केस िव ेषण (Deviant case analysis), तथा

ख पृथक नैदािनक केस िव ेषण (Isolated clinical case analysis) इन दोन का वणन इस कार है .

क अपस रत केस िव ेषण (Isolated clinical case analysis). केस अ ययन के इस कार म शोधकता एक ही साथ दो ऐसे केसेज (cases) को लेता है िजसम काफ समानता

होते हए भी िभ नता होती है । जैसे शोधकता यिद एक एकांडी जुडुवाँ यु म िजसम से एक सामा य है तथा दूसरा मनोिवदािलता से िसत ह का अ ययन करता है तो यह अपस रत केस िव ेषण (Isolated clinical case analysis) का एक अ छा उदाहरण होगा । इस उदाहरण म दोन ब चे चूँिक एकांक जुडवाँ ह इसिलए उनम काफ अिधक समानता ह पर तु िफर भी इन दोन म िभ नता ह | एक मानिसक रोग से िसत है दूसरा सामा य है । शोधकता इन दोन ब च के तुलना मक अ ययन करके इस िन कष पर पहँचने क कोिशश करेगा िक वे कौन-कौन से कारक ह िजनके कारण इन दोन एकांक जुडवाँ ब च म इस तरह क िभ नता हई । इस तरह का केस िव ेषण वारिवक एवं ओशरसन (Warwick & Osherson, 1973) ारा काफ िकया गया है ।

पृथक नैदािनक केस िव े षण (Isolated clinical case analysis) - इस कार के

केस िव ेषण िविध म शोधकता वैयि क इकाइय (individual units) का िव ेषण उसके िव ेषणा मक सम याओ ं के आलोक म करता है । इस ढं ग के केस अ ययन म शोधकता ारा िकसी यि के बीते हए िदन के घटनाच का िव तृत िव ेषण िकया

जाता है और उसके आधार पर एक अि तम िन कष पर पहँचा जाता है । इस िविध का

योग मनोिव ेषण म सवािधक होता है । ॉयड ारा अ ययन िकया मशहर इंस केस इसका एक वलं त उदाहरण है । ॉयड ने मानव आि मक अनुि या िस ा त (theory of human psychic response) का ितपादन अनेक पृथक नैदािनक केसेज के िव ेषण से उ प न त य के आधार पर िकया है । अभी हाल म िव सेन (Wixen, 1973) ने एक अ ययन पृथक नैदािनक केस िव ेषण ारा िकया िजसम ीवर नामक एक ब चा जो एक काफ धनी माता-िपता क सं तान था का िव ेषण िकया गया । इस अ ययन के आधार पर

िव सेन धनी प रवार के ब च क िविश सम याओ ं से अवगत हए और उन सम याओ ं के समाधान करने के सं भािवत एवं उपयु उपाय क भी खोज क ।

केस अ ययन िविध के दोन कार काफ लोकि य ह अ तर इतना ही है िक पृथक नैदािनक केस

िव ेषण का योग नैदािनक प रि थितय म अिधक होता है जबिक अपस रत केस िव ेषण का

योग सामा य अव थाओ ं म अिधक होता है ।

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केस अ ययन िविध के लाभ एवं दोष (Advantages & Limitations of Case Study Method)

केस अ ययन िविध का योग मनोिव ानए समाजशा तथा िश ा म काफ िकया गया है । इस

िविध के कुछ लाभ तथा इसम कुछ खािमयाँ भी पाये गए ह । इस िविध के मुख लाभ िन नांिकत ह|

1 केस अ ययन िविध म दो िविभ न केसेज को लेकर उनका तुलना मक अ ययन िकया जा

सकता है ।

2 केस अ ययन िविध ारा अ ययन के िलए चयन िकये गए केस का गहन प से अ ययन सं भव है य िक इसम एक समय म िकसी एक केस या सामािजक इकाई का ही अ ययन

िकया जा सकता है ।

3 केस अ ययन िविध ारा िकसी ा क पना के िनमाण म काफ मदद िमलती है । गुडे तथा

हाट (Goode & JHatt, 1987) का मत है िक केस अ ययन िविध से ा त य को

शोधकता िव ास के साथ सामा यीकृत तो नह कर पाता है । पर तु इन त य के आधार पर वह आसानी से कुछ ा क पनाओ ं का सृजन कर पाता है िजसे िविध का एक मह वपूण लाभ माना जा सकता है ।

4 केस अ ययन िविध एक ऐसी िविध है िजससे ा त य के आधार पर भिव य म िकये

जाने वाले अ ययन म उ प न होने वाली किठनाइय को पहले से ही आँका जा सकता है

तथा उसे दूर करने के उपाय का वणन िकया जा सकता है ।

इन लाभ के बावजूद केस अ ययन िविध म कुछ खािमयाँ भी ह जो िन नांिकत ह .

1 केस अ ययन िविध म आ मिन ता अिधक पाई जाती है िजसका ितकूल भाव अ ययन के िन कष पर पड़ता है । इस िविध म शोधकता तथा अ ययन के िलए चुने गए सामािजक इकाई म अिधक घिन ता तथा सौहाद थािपत हो जाता है िजसका प रणाम यह होता है िक शोधकता सामािजक इकाई से ा त य का सही.सही व तुिन मू यांकन (subjective evaluation) नह कर पाता है ।

2 केस अ ययन िविध म शोधकता म िनि तता का िम या भाव उ प न हो जाता है । शोधकता अपने िन कष के बारे म इतना िव त हो जाता है िक वह अपने अ ययन म सि मिलत केसेज का ितिनिध मानकर एक खास तरह के प रणाम के बारे म पूणतः िनि त हो जाता है । इस तरह क िनि तता का कु भाव यह होता है िक शोधकता शोध िडजाइन के मूलभूत िनयम को पूणतः उपे ा कर बैठता है । गुडे तथा हाट (Goode & Hatt, 1987) ने इस अवगुण पर िट पणी करते हए कहा है शोधकता अपने िन कष के बारे म अिनि तता का एक िम या भाव िवकिसत कर लेता है । इस भाएव के प रणाम कई होते ह पर तु उनम से अिधकतर को एक ही मु य शीषक के अंतगत रखा जा सकता हैः शोध

िडजाइन के मूलभूत िनयम क उपे ा करने का लोभन।

3 केस अ ययन िविध म शोधकता पर पूण जवाबदेही इस बात क भी दी जाती है िक वह

िकसी सामािजक इकाई जैसे यि या प रवार के इितहास तैयार करे । ऐसा करने के िलए वह काफ यास कर सामािजक इकाई के बारे म बहत सारी सूचनाओ ं क तैयारी करता है

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तथा उनका िव ेषण करता है । उनके ारा दी गयी सूचनाओ ं क वैधता क जाँच करने का

कोई तरीका इस िविध म नह बतलाया गया है । वह जो कुछ भी सूचना दान करता है उसे

सही मान लेने के अलावा कोई रा ता नह रहता है । अतः आलोचक ने केस अ ययन

िविध को एक पूण वै ािनक िविध नह माना है ।

4 केस अ ययन िविध ारा अ ययन म समय काफ लगता है । शोधकता को येक केस के

बारे म िव तृत प से सूचनाएँ तैयार करना होता है । सच पूछा जाए तो शोधकता को केस के सभी पहलूओ ं अथात भूत, वतमान तथा भिव य को यान म रखते हए उनका इितहास तैयार करना होता है इसिलए यह काफ समय लेने वाली िविध होती है । साथ-ही-साथ यह

िविध एक खच ली िविध भी है, य िक इसम धन क बबादी भी कम नह होती है । 5 केस अ ययन िविध म चूँिक शोधकता यि से उनके गत अनुभूितय एवं घटनाओ ं के बारे

म पूछकर एक इितहास तैयार करता है ;िजसका बाद म िव ेषण कर कोई िन कष पर पहँचा जाता है अतः इस बात क सं भावना काफ अिधक बनी हई रहती है िक यि

अपनी गत अनुभूितय का िवशेषकर उन अनुभूितय का जो काफ समय पहले घिटत घटनाओ ं पर आधा रत है ठीक-ठीक बतला न पाये। ऐसी प रि थित म इस िविध ारा ा सूचनाएँ बहत अथपूण नह रह जाती ।

6 केस अ ययन िविध म शोधकता िकसी एक केस का अ ययन कर िनि त िन कष पर पहँच जाना चाहता है । अ सर देखा गया है िक मा िकसी एक केस के अ ययन के आधार पर

िलया गया िन कष सही नह होता है । अगर वह िन कष सं बंिधत केस के िलए सही भी हो

जाए तो इस बात क कोई गारंटी नह रहती िक उसे अ य समान यि य या सामािजक इकाइय के िलए भी सही माना जा सकता है ।

इससे प है िक केस अ ययन िविध म कई खािमयाँ ह । इन खािमय के बावजूद केस अ ययन

िविध का योग यवहारपरक िव ान के शोध म काफ हो रहा है ।

केस अ ययन िविध के दोष को दू र करने के उपाय (Measures of Removing Limitations of Case Study Method)

केस अ ययन िविध म कई तरह के दोष ह । वभावतः यहाँ एक यह उठता है िक या इन दोष को दूर नह िकया जा सकता है ? इस का उ र शोध वै ािनक ने सकारा मक प से देने क कोिशश क है । इन वै ािनक के अनुसार केस अ ययन िविध के कम-से-कम मुख दोष को तो

िनि त प से दूर िकया जा सकता है । इन वै ािनक का िजनम एरो सन (Aronson, 1980)ए गुड तथा हाट (Goode & Hatt, 1987) मुख ह, का मत है िक शोधकता को इस िविध ारा अ ययन करने म एक ितदश का िन प चयन लेना चािहए न िक िसफ िकसी एक केस का गहन अ ययन कर अपने आपको सं तु कर लेना चािहए । ऐसा करने से केस अ ययन िविध क अिधकतर

िशकायत अपने आप दूर हो जाएँगी । जैसे उपयु ितदश के चयन के बाद शोधकता ारा गलत

िनणय पर पहँचने क सं भावना समा हो जाएगी, उसके ारा सूचना भी अिधक वैध एवं िव सनीय होगी तथा अ ययन िकये जाने वाले यि ारा अपनी गत अनुभूितय का अनुपयु या ान (inappropriate recall) सं बं धी भूल आिद म काफ कमी आ जाएगी। ितदश का चयन कर अ ययन करने से शोधकता को समय क भी बचत कुछ हद तक हो सकती है ।