संरचना
4. आनुवा णक सूची (Alphabetical Catalogue)
4.1. अथ एवं कार
इस सूची म वि टय को आनुवा णक म (Alphabetical Order) म यवि थत कया जाता है जैसे लेखक, वषय, आ या आ द। इन सू चय को लेखक सूची, आनुवा णक वषय सूची, आ या सूची आ द कहते ह।
आनुवा णक सूची को पुन: न न ल खत कार म वभािजत कया जा सकता है: (1) लेखक सूची (Author Catalogue)
(2) आ या सूची (Title Catalogue) (3) नाम सूची (Name Catalogue)
(4) आनुवा णक वषय (Alphabetical Subject Catalogue) (5) श दकोशीय सूची (Dictionary Catalogue)
4.2. लेखक सूची (Author Catalogue)
यह सबसे मह वपूण एव ाचीन कार क सूची है। य य प इसे लेखक सूची कहते ह पर यहाँ लेखक श द का यापक अथ म योग कया जाता है िजसम स पादक अनुवादक, संशोधनक ता, पा तकार, संकलनक ता, च कार, सं ेपकार, आ द भी सि म लत ह। इसम सभी वि टय को अकारा द म म यवि थत कया जाता। इसम लेखक का नाम शीषक अनु छेद म अं कत कया जाता है।
गुण (Merits)
इसम एक लेखक क कृ तय क वि टयां एक ह थान पर एक त हो जाती ह,
िजससे सु वधापूवक यह जाना जा सकता है, क अमुक लेखक के कौन-कौन से ंथ पु तकालय म उपल ध ह। यह सूची पाठक को ऐसे ंथो क उपल धता क सूचना दान करती है िजसके
लेखक के नाम उ ह ात ह । दोष (Demerits)
यह सूची पाठक को ंथ के लेखक का नाम ात होने क अव था म ह उपयोगी
होती है। लेखक के अ त र त अ य अ भगम जैसे आ या, वषय, ंथमाला आ द से ंथ मांगे
जाने पर उनक पू त स भव नह ं है। कुछ ंथ म लेखक का नाम नह ं दया रहता। ऐसे ंथ क वि ट आ या तगत बनाई जाती है। ऐसी वि टय को लेखक सूची म सि म लत नह ं
कया जाता।
4.3. आ या सूची (Title Catalogue)
ंथ म लेखक के नाम का अभाव हो सकता है अथात् बना लेखक के नाम वाला थ हो सकता है, पर तु बना आ या के ंथ क क पना नह ं क जा सकती। ऐसी सूची िजसम मा आ या वि तय को ह अकारा द म म यवि थत कया जाता है, को आ या सूची
कहते ह।
59 गुण (Merits)
यह सूची पाठक को ंथ क आ या ात होने पर उनक अ भगम क पू त कर सकती
है। इससे अनामक लेखक वाले ंथ क वि टयां भी उपल ध होती ह।
दोष (Demerits)
यह सूची मा आ या अ भगम क ह पू त कर सकती है। अ य मह वपूण अ भगम जैसे लेखक, वषय ंथमाला आ द क पू त इस सूची म संभव नह ं। कुछ आ याय एक समान होती है। ऐसी अव था म य द पाठक को उनके लेखक का नाम ात न हो तो उ ह पहचानने
म क ठनाई होती है।
4.4. नाम सूची (Name Catalogue)
नाम सूची म लेखक रख अ य ऐसी वि टयां, िजनाम लेखक का नाम सि म लत हो
जैसे लेखक वषय के प म, लेखक का नाम आ या अथवा ंथमाला म यु त हो आ द को
एक अकारा द म म यवि थत कया जाता है। इस कार यह एक म त सूची है िजसम लेखक वारा लखे गये ंथ, लेखक पर लखे गये ंथ तथा नाम ंथमाला क वि टय को
सि म लत कया जाता है।
4.5. आनुव णक वषय सूची (Alphabetical Subject Catalogue)
इस सूची म थ के व श ट वषय तथा उन से स बि धत करने के लए न मत वषय नदश को एक अकारा द म यवि थत कया जाता है।
गुण (Merits)
यह सूची पाठक को व श ट वषय ात होने पर उनके अ भगम क पू त करती है
तथा एक व श ट वषय पर उपल ध सभी ंथ को एक थान पर एक त करती है, िजससे
यह जानने म सु वधा होती है क अमुक व श ट वषय पर पु तकालय म कतने ंथ उपल ध है अथात् कसी वषय के ंथ क पया तता को इं गत करती है।
दोष (Demerits)
अ य सू चय के समान यह सूची भी पाठक क मा एक ह अ भगम -वषय अ भगम क पू त करती है। अ य वां छत अ भगम जैसे लेखक, आ या, ंथमाला आ द क पू त स भव नह ं होती।
4.6. श दकोशीय सूची (Dicitionary Catalogue)
ए एल ए लोसर के अनुसार श दकोशीय सूची वह है 'जो ाय : प क पर यवि थत क जाती है तथा िजसम सम त वि टयां (लेखक, आ या, वषय, ंथमाला आ द) तथा उनके
स बि धत नदश एक साथ ह व सामा य अनुवण (Alphabet) म यवि थत कये जाते ह, पर उप यव थापन म ाय: भ नता होती है। ''
रंगनाथन ने श दकोशीय सूची को न न ल खत कार से प रभा षत कया है- 'ऐसी सूची, िजसम सभी वि टयां श द वि टयां हो फल व प-
1. श दकोशीय सूची म मा एक भाग होता है।
2. श दकोशीय सूची म वि टयां एक वणानु म म कोश के समान यवि थत होती ह।
60 3. श दकोशीय सूची म मु य वि ट लेखक के नाम अथवा उसके थानाप न से ार भ
होती है।
इस सूची म वि टय का यव थापन श दकोश के समान होने के कारण ह इसे
श दकोशीय सूची कहा जाता है। सूची का यह व प अमेर कन ंथालय म काफ । च लत ह।
गुण (Merits)
इस सूची क लोक यता के मु य कारण न न ल खत ह-
1. सरलता एवं सुगमता : इस सूची म वि टय का यव थापन श दकोश के समान सरल एवं सुगम होने तथा उपयोगक ताओं का प हचाना होने के कारण इसका योग उ ह सु वधाजनक लगता है और उ ह अभी ट सूचना ाि त म कसी कार क क ठनाई नह ं होती।
2. इसम सभी वि टय-लेखक, सहलेखक, आ या, सहकारक, वषय, ंथमाला आ द के
एक ह म म यवि थत होने के कारण यह सूची पाठक क सभी अ भगम क पू त करने म स म है।
3. सूची का एक ह भाग होने के कारण पाठक को अभी ट सूचना ाि त हेतु इधर उधर नह ं जाना पड़ता। इससे उनके समय क काफ बचत होती है।
4. इस सूची क सभी वि टय के शीषक अनु छेद का नमाण ाकृ तक भाषा म होने के
कारण पाठक को वग करण क कृ म भाषा के ान क आव यकता नह ं होती।
5. य य प वग कृत सूची म स बि धत वषय एक ह थान पर एक त होते ह, तथा प कभी-कभी वह व भ न थान पर नखर जाते ह, जब क वह वषय श दकोशीय सूची म एक ह थान पर एक त हो जाते ह। उदाहरणाथ ऐसे शोधकता को जो भारतीय कला, संगीत, इ तहास, दशन आ द सभी वषय को सा ह य का अ ययन करना चाहता है, क वि टयां
वग कृत सूची म वगाक के अनुसार व भ न थान पर बखर जाती ह, 'जब क श दकोशीय सूची म एक ह थान पर एक त रहती ह।
6. इसम नदश का य ग चुर मा ा म कया जाता है, जो क वग कृत सूची म स भव नह ं।
7. वषय को सह प से मांग करने पर यह सूची पाठक के न का उ तर सीधे प (Direct manner) से देने म समथ होती है। उदाहरणाथ य द कसी पाठक को 'गुलाब' से
स बि धत ंथ चा हये, तो उसे गुलाब पर देखने से ंथालय मे उपल ध पा य साम ी क जानकार ा त हो जायेगी। उसे यह जानने क आव यकता नह ं है क गुलाब एक पु प है और
िजसका अ ययन वन प त शा म कया जाता है।
8. सूची के वग करण प त पर आधा रत न होने के कारण यह वग करण प त क
ु टय के अभाव से मु त रहती सूधीकरण हे। सूचीकार को आनुव णक वषय शीषक नमाण म पूण वाय तता ा त होती ई।
दोष (Demerits)
इस सूची के मुख दोष न न ल खत ह -
61 1. वषय को सह नाम से न मांगे जाने पर यह सूची पाठक के वशय अ भगम क पू त करने म असमथ रहती है।उदाहरणाथ य द पाठक शतरंज खेल पर सा ह य चाहता है और वह सूची को आ त रक खेल (Indore Games) या खेल (Games) के अ तगत देखता है तो वह शतरंज वषय पर स पूण ंथ ा त करने म असमथ रहेगा। उसे सूची को शतरज के अ तगत ह देखना चा हये।
2. यह सूची उतनी सरल एवं सुगम नह ं है, जैसी दखाई पड़ती है। अकारा द म यव थापन से कई बार स बि धत वषय वण A से Z तक म बखर जाते है। उदाहरणाथ चु बक (Magnetism) तथा व युत (Eletricity) स बि धत वषय होने पर भी वण E एवं
M पर यवि थत हाने के कारण एक दूसरे से काफ दूर हो जायगे।
3. उपयु त व ध से बखरे वषय को स ब करने के लये दे खये और इ ह भी दे खये
वषय नदश तैयार करने पड़ते है। इनक बहु तायत कई बार पाठक के लये क टदायी व उलझनपूण स होती है तथा यह सूची के आकार म भी वृ करते है।
4. इसम सभी कार क वि टय को एक ह म म यवि थत करने के कारण सूची
का आकार बहु त बढ़ जाता है, िजसके कारण पाठक को इसके योग म काफ असु वधा होती
है।
5. यह सूची सावज नक थालय के लये जहां पाठक क अ धकतर मांग लेखक के
नाम, आ या आ द से होती है, के लये तो उपयोगी है पर तु शोध रख शै णक थालय के
लए अ धक उपयोगी नह ं है।
3.5. वग कृत सूची (Classified Catalogue)
वग कृत सूची क मु य वि ट के अ अनु छेद म ामक अंक अं कत कये जाते है
तथा इन वि टय का यव थापन आधार भी वगाक या ामक अंक ह होता है।
रंगनाथन ने वग कृत सूची को नम ल खत कार से प रभा षत कया है।
ऐसी सूची, िजसम कुछ अंक वि टयां तथा कुछ श द वि टयां ह ।फल व प अनुवग सूची के दो भाग होते है- वग कृत भाग तथा आनुव णक भाग। वग कृत भाग म अंक वि टयां- मु य वि टयां तथा अ त वषयी वि टयां व आनुव णक भाग म श द वि टयां-वग नदशी
वि टयां, ंथ नदशी वि टयां तथा नामा तर नदशी वि टयां एक वणानु म म यवि थत होती हे।
मार ेट मन के अनुसार वग कृत सूची एक वषय सूची है, िजसम वि टयां कसी
मा यता ा त वग करण प त, अंकन या वग करण च ह के आधार पर यवि थत क जाती
है।
गुण (Merits)
इस सूची के मुख गुण न न ल खत ह-
1. कसी वषय वशेष एवं स बि धत वषय पर पु तकालय म उपल ध सम त पा यसाम ी क वि टयां इस सूची म एक थान पर उपल ध होती ह। इससे पाठक को
अपने वषय के अ त र त अ य ंथ पढ़ने क ेरणा मलती है। जहां आनुव णक वषय सूची
62 म मा वां छत आव यकताओं क ह पू त होती है वह ं वग कृत सूची अनापे त आव यकताओं
क भी पू त करती है। इसम शोधकताओं को बहु तलाभ होता है।
2. सूची के कसी वषय के प क को एक त करके कसी वषय वशेष क ध सूची
स पा दत व मु त क जा सकती है।
3. पु तकालय म कसी वषय पर कतने ंथ उपल ध ह, क सूचना ा त हो सकती है।
िजससे येक वषय पर संतु लत ंथ भंडार बनाने म सहायता मलती है
4. इस सूची म वि टय का वह यव था म होता है जो क ंथ का नधा नय पर।
इसके ंथ सं ह क से ंथ ाि त म सु वधा होती है।
5. य द वग करण हेतु कसी अ तरा य मा यता ा त वग करण प त का योग कया
गया हो तो इससे सहकार सूचीकरण तथा अ तरा य ंथसूची नमाण म सहायता मलती है।
6. वषय क पदावल म प रवतन होने से सूची म कोई वशेष अ तर नह ं आता। मा
एक वषय नदश वि ट म प रवतन से ह काम चल जाता है।
7. यह सूची भी अपने दूसरे भाग- आनुवा णक भाग वारा श दकोशीय सूची के समान पाठक क व भ न अ भगम- लेखक, आ या, वषय, ंथमाला सहकारक आ द क पू त करने
म स म है।
8. य द यह सूची प क पर बनी हो तो कमचा रय को दोन भाग म व यसन और अनुर ण म सु वधा होती है तथा एक ह समय म अ धक सं या म पाठक वारा अलग- अलग भाग का योग कया जा सकता है।
दोष (Demerits)
इस सूची के दोष न न ल खत ह-
1. पाठक को वषय अ भगम क पू त हेतु दो चरण म सूची का योग करना पड़ता है।
पहले आनुवा णक भाग तथा वहां से नदशांक (Index Number) क सहायता से वग कृत भाग म पहु ँचाजाता है। इस लए इसम समय व म क अनाव यक बरबाद होती है।
2. वग करण प त के अंकन म कृ म भाषा म होने तथा उससे अप र चत होने के कारण पाठक को इसके योग म मनोवै ा नक बाधा व क ठनाई होती है।
3. ान जगत म वकास के साथ-साथ वग करण प त क अनुसूची (Schedule) अ च लत हो जाती है, िजसे समय-समय पर संशो धत करना पड़ता है।
4. इस सूची म वग नदशी वि टय का नमाण वगाक क सहायता से कया जाता है
िजसका नधारण वग कार वारा कया जाता है। इस कार इस सूची म सूचीकार क वाय तता
का य होता है।
3.6. वग कृत सूची एवं श दकोशीय सूची का तुलना मक अ ययन (Comparison of Classified and Dictionary Catalogue)
सूची के व भ न कार म वग कृत सूची रख श दकोशीय सूची काफ मह वपूण है।
दोन सू चय का तुलना मक अ ययन न म ल खत कार कया जा सकता है-
वग कृत सूची श दकोशीय सूची
63 1. नमाण के ि टकोण से यह
सूची सरल है य क यह उसी प का
उपयोग करती है जो लेख(Documents) के
वग करण म प ट हो जाता है। संकलन क वृ के साथ-साथ इसक अनु म णका के
नमाण क या भी सु वधाजनक होती है।
इसका नमाण भी सरल है। पर य य संकलन म वृ होती है तो इसक वषय- अनु म णका के नमाण म ज टलता उपि थत होने लगती ह।