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तनर्ाशरिि समय-90 ममनट अधर्किम अींक-40 सामान्य तनदेर

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Academic year: 2022

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(1)

1 प्रथम सत्र

प्रतिदर्श प्रश्नपत्र (202

1

-2

2

)

हिन्दी पाठ्यक्रम – अ (कोड-002) कक्षा – दसव ीं

तनर्ाशरिि समय-90 ममनट अधर्किम अींक-

4

0 सामान्य तनदेर्-

इस प्रश्नपत्र में ि न खींड िैं – खींड – क, खींड – ख औि खींड – ग |

• इस प्रश्नपत्र मेंकुल 10 वस्िुपिकप्रश्न पूछे गए िैं |सभ प्रश्नों में उपप्रश्न हदए गए िैं | हदए गए तनदेर्ों का पालन कििे िुए प्रश्नों के उत्ति दीजिए |

• खींड-क में कुल 20 प्रश्न पूछे गए िैं, हदए गए तनदेर्ों का पालन कििे िुए केवल 10 प्रश्नों के िी

उत्ति दीजिए |

• खींड-ख में कुल 20 प्रश्न पूछे गए िैं, हदए गए तनदेर्ों का पालन कििे िुए केवल 16 प्रश्नों के िी

उत्ति दीजिए |

• खींड-ग में कुल 14 प्रश्न पूछे गए िैं | सभ प्रश्न अतनवायश िैं |

• सिी उत्ति वाले गोले को भली प्रकाि से केवल न ली या काली स्यािी वाले बॉल पॉइींट पेन से िी

ओ.एम.आि.र् ट में भिें |

खींड – क

(अपहिि गदयाींर्) अींक-10

1 न चे दो अपहिि गदयाींर् हदए गए िैं | ककस एक गदयाींर् को ध्यानपूवशक पहिए औि उस पि आर्ारिि प्रश्नों के सिी ववकल्प चुनकि मलखखए-

1x5=5 अींििाशष्ट्रीय श्रम सींगिन के अनुसाि, बाल श्रम को इस प्रकाि परिभाविि ककया गया िै: “वि

काम िो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमिा औि उनकी गरिमा से वींधचि कििा िै, औि

िो र्ािीरिक औि मानमसक ववकास के मलए िातनकािक िै।”

एक सामाजिक बुिाई के रूप में सींदमभशि, भािि में बाल श्रम एक अतनवायश मुददा िै जिससे

देर् विों से तनपट ििा िै। लोगों का मानना िै कक बाल-श्रम िैस सामाजिक

कुिीति को समाप्ि किने का दातयत्व मसर्श सिकाि का िै | यहद सिकाि चािे िो कानून का पालन न किने वालों एवीं कानून भींग किने वालों को सिा देकि बाल-श्रम को समाप्ि

कि सकि िै, ककींिु वास्िव में ये केवल सिकाि की जिम्मेदािी निीीं िै बजल्क इसे सभ सामाजिक सींगिनों, मामलकों, औि अमभभावकों दवािा भ समाधर्ि किना चाहिए।

िमािे घिों में, ढाबों में, िोटलों में, खानों, कािखानों में अनेक बाल-श्रममक ममल िाएँगे, िो

कड़ाके की िींड औि िपि र्ूप की पिवाि ककए बबना काम कििे िैं | ववकासर् ल देर्ों में

गिीब औि उच्च स्िि की बेिोिगािी बाल श्रम का मुख्य कािण िै। बाल मिदूिी इींसातनयि

के मलये अपिार् िै िो समाि के मलये श्राप बनि िा ििी िै िथा िो देर् की वृदधर् औि

(2)

2

ववकास में बार्क के रुप में बड़ा मुददा िै। िमें सोचना िोगा कक सभ्य समाि में यि

अमभर्ाप क्यों मौिूद िै ? जिस उम्र में बच्चों को सिी मर्क्षा ममलन चाहिए, खेल कूद के

माध्यम से अपने मजस्िष्ट्क का ववकास किना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम किवाने से

बच्चों का र्ािीरिक, मानमसक, बौदधर्क औि सामाजिक ववकास रुक िािा िै। मर्क्षा का

अधर्काि मूल अधर्काि िोिा िै। मर्क्षा से ककस भ बच्चे को वींधचि िखना अपिार् माना

िािा िै।

आि आवश्यकिा इस बाि की िै कक सिकािी स्िि से लेकि व्यजक्िगि स्िि िक सभ लोग इसके प्रति सिग ििें औि बाल-श्रम के कािण बच्चों का बचपन न तछन िाए, इसके

मलए कुछ साथशक पिल किें | आम आदम को भ बाल मिदूिी के वविय में िागरूक िोना

चाहिए औि अपने समाि में इसे िोने से िोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म किना केवल सिकाि का िी किशव्य निीीं िै िमािा भ किशव्य िै कक िम इस अमभयान में सिकाि का पूिा

साथ दें।

(i) गदयाींर् के आर्ाि पि बिाइए कक बाल-श्रम िैस सामाजिक कुिीति को समाप्ि किने के

मलए लोगों की सोच कैस िै ?

(क) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल समािसेव सींस्थाओीं का दातयत्व िै | (ख) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल िनिा का दातयत्व िै |

(ग) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल सिकाि का दातयत्व िै | (घ) बाल-श्रम को समाप्ि किना केवल अमभभावकों का दातयत्व िै |

(ii) घिों में, ढाबों में, िोटलों में, खानों, कािखानों में अनेक बाल-श्रममकों को काम कििा

देखकि भ िम उदास न क्यों बने िििे िैं ? (क) िम मसर्श अपने बािे में िी सोचिे िैं |

(ख) िम िागरूक बनना निीीं चाििे | (ग) िम उनकी सिायिा किना निीीं चाििे | (घ) िम सींवेदना र्ून्य िो चुके िैं |

(iii) गदयाींर् के आर्ाि पि बिाइए कक बाल-श्रम को िोकने के मलए साथशक प्रयास क्यों ककए

िाने चाहिए ?

(क) बाल-श्रम के कािण बच्चों का बचपन तछन िािा िै | (ख) बाल-श्रम के कािण वे िल्दी बड़े िो िािे िैं |

(ग) बाल-श्रम के कािण बच्चों को घि पि िी ििना पड़िा िै | (घ) बाल-श्रम के कािण बच्चों को ववदयालय आना निीीं पड़िा | (iv) बच्चों को बाल-श्रम के मलए क्यों वववर् ककया िािा िै ?

(3)

3 (क) िागरूकिा का अभाव |

(ख) तनर्शनिा औि भुखमिी | (ग) मर्क्षा का अभाव | (घ) लोगों की मनोवृति |

(v) बाल-श्रम िैसे सामाजिक अमभर्ाप से देर् को क्या नुकसान िोिा िै ? (क) बाल श्रम एक बच्चे को बचपन के सभ लाभों से दूि िखिा िै | (ख) लाखों बच्चे उधचि मर्क्षा से वींधचि िो िािे िैं |

(ग) बच्चों का र्ािीरिक, मानमसक औि सामाजिक ववकास अवरुदर् िो िािा िै | (घ) बाल-श्रम से देर् का आने वाला कल अींर्काि की ओि िाने लगिा िै।

अथवा

तनसींदेि सिििा से िि एक हदन मभन्न-मभन्न भूममकाएँ ि िे िुए, महिलाएँ ककस भ समाि का स्िम्भ िैं । लेककन आि भ दुतनया के कई हिस्सों में समाि उनकी भूममका

को नज़िअींदाज़ कििा िै। इसके चलिे महिलाओीं को बड़े पैमाने पि असमानिा, उत्प ड़न, ववत्त य तनभशििा औि अन्य सामाजिक बुिाइयों का खाममयािा सिन किना पड़िा िै।

भािि में महिला सर्जक्िकिण की आवश्यकिा के बिुि से कािण सामने आिे िैं। प्राच न काल की अपेक्षा मध्य काल में भािि य महिलाओीं के सम्मान स्िि में कार्ी कम आय । जििना सम्मान उन्िें प्राच न काल में हदया िािा था, मध्य काल में वि सम्मान घटने

लगा था।

आर्ुतनक युग में कई भािि य महिलाएँ कई सािे मित्वपूणश िािनैतिक िथा प्रर्ासतनक पदों पि पदस्थ िैं, कर्ि भ सामान्य ग्राम ण महिलाएँ आि भ अपने घिों में ििने के

मलए बाध्य िैं औि उन्िें सामान्य स्वास््य सुववर्ा औि मर्क्षा िैस सुववर्ाएँ भ उपलब्र्

निीीं िै। ग्राम ण महिलाएँ सहदयों से घि िथा खेिों में पुरुिों के बिाबि िी काम किि

आई िैं, लेककन विाँ उन्िें सामींि सोच के कािण दूसिे दिे का नागरिक िी माना िािा

ििा िै | अब ग्राम ण समाि की सोच बदलने का वक्ि आ गया िै | सामाजिक

असमानिा, पारिवारिक हिींसा, अत्याचाि औि आधथशक अतनभशििा इन सभ से महिलाओीं को

छूटकािा पाना िै िो िरुिि िै महिला सर्जक्िकिण की।

महिला सर्जक्िकिण से महिलाएँ आत्मतनभशि औि र्जक्िर्ाली बनि िैं | जिससे वे अपने

ि वन से िुड़े िि र्ैसले स्वयीं ले सकि िैं औि परिवाि औि समाि में अपना स्थान बनाि िैं । समाि में उनके वास्िववक अधर्काि को प्राप्ि किने के मलए उन्िें सक्षम बनाना महिला सर्जक्िकिण िै । महिला सर्जक्िकिण का अथश िै महिलाओीं को

िािन तिक, सामाजिक, र्ैक्षखणक औि आधथशक क्षेत्रों में बिाबि का भाग दाि बनाया िाए | भािि य महिलाओीं का सर्जक्िकिण बिुि िद िक भौगोमलक (र्ििी औि ग्राम ण), र्ैक्षखणक योग्यिा, औि सामाजिक एकिा के ऊपि तनभशि कििा िै |

(4)

4

महिला सर्जक्िकिण से महिलाएँ केवल आधथशक रूप से सुदृि िी निीीं िुई िैं, अवपिु

परिवाि औि समाि की सोच में भ सकािात्मक परिविशन हदखाई देने लगे िैं | विशमान समय में लोग बेहटयों को बोझ समझकि दुतनया में आने से पिले िी मािें निीीं, इसमलए ववकास की मुख्यर्ािा में महिलाओीं को लाने के मलये भािि सिकाि के दवािा कई योिनाएीं चलाई गई िैं।

(i) गदयाींर् के आर्ाि पि बिाइए कक महिला सर्जक्िकिण की आवश्यकिा क्यों मिसूस की

गई ?

(क) समाि में महिलाओीं की जस्थति तनबशल थ | (ख) वे आत्मतनभशि थ |

(ग) वे अपने तनणशय लेने में सक्षम थ ीं | (घ) वे मर्क्षक्षि थ ीं |

(ii) ग्राम ण सोच में परिविशन लाने के मलए क्या ककया िा सकिा िै ? (क) गाँवों में सुववर्ाएँ उपलब्र् किाना |

(ख) सड़कें बनवाना |

(ग) अींर्ववश्वास औि रूहियों का वविोर् | (घ) मर्क्षा का प्रचाि-प्रसाि |

(iii) अब लोग बेहटयों को बोझ निीीं समझिे,यि समाि की ककस सोच का परिणाम िै ? (क) पुिािन |

(ख) सकािात्मक | (ग) नकािात्मक | (घ) सींकीणश |

(iv) महिला सर्जक्िकिण से परिवाि की आधथशक जस्थति पि क्या प्रभाव हदखाई हदया ? (क) ववत्त य तनभशििा समाप्ि |

(ख) आधथशक जस्थति में दुबशलिा | (ग) आधथशक जस्थति में सुदृििा | (घ) ववत्त य ऋण से मुजक्ि |

(v) क्या महिलाओीं के सर्जक्िकिण का पक्ष मात्र आधथशक रूप से सर्क्ि िोना िी िै ? (क) िाँ, इससे वे आत्मतनभशि िो िाि िैं |

(ख) निीीं, इससे उन्िें दोििी जिम्मेदारियाँ तनभान पड़ि िैं |

(5)

5 (ग) िाँ, इससे वे र्जक्िर्ाली बनि िैं |

(घ) निीीं, उनका भय-मुक्ि,प्रतिबींर्ों से मुक्ि िोना भ आवश्यक िै |

2 न चे दो काव्याींर् हदए गए िैं | ककस एक काव्याींर् को ध्यानपूवशक पहिए औि उस पि

आर्ारिि प्रश्नों के उत्ति सिी ववकल्प चुनकि मलखखए-

1x5=5

देर् के आज़ाद िोने पि बबिा लींब अवधर्

अब असह्य इस ददश से िैं र्मतनयाँ र्टने लग ीं

व्यथश स िीदाि खेिों में कड़ मेिनि ककए

िो गया िूँ औि ििशि, बोझ ढोकि थक गया

अब मरूँगा िो िलाने के मलए मुझको,

अिे ! दो लकड़ड़याँ भ निीीं िोंग सुलभ इन िींगलों से | वन किाँ िैं ? िब कुल्िाड़ों की िृिा िै बि ििी

काट डाले िा ििे िैं मानवों के बींर्ु िरुवि

र्ूल से, र्ल से, दलों से, मूल से, िरु-छाल से

सवशस्व देकि िो मनुि को लाभ पिुँचािे सदा

कट ििे िैं ये सभ वन,

पवशिों की हदव्य र्ोभा िैं तनिींिि िो ििी ववद्रूप, ऋिुएँ िो ििीीं गगनचुम्ब वन सदा जिनके हृदय से

र्ूटिे झिने, नदी बिि सुर् िल न ि की

िि पिि तनि चिकिे िैं कूकिे िििे वविग र्ूल पृ्व का सिि श्रृींगाि कििे िैं ििाँ |

(i) ‘अब असह्य इस ददश से’ - में असह्य ददश का कािण क्या िै ? (क) आज़ादी के बाद लींब अवधर् बबिा देना |

(ख) खेिों में कड़ मेिनि किना | (ग) वनों का न ििना |

(घ) ििशि िो िाना |

(ii) ‘िब कुल्िाड़ों की िृिा िै बि ििी’- कथन से क्या िात्पयश िै ? (क) हिींसा बिना|

(ख) सामाजिक क्राींति िोना | (ग) युदर् का अवसि आना |

(घ) पेड़ों को काटकि भ िृप्ि न िोना |

(iii) अींत्येजष्ट्ट के मलए लकड़ड़याँ सुलभ न िोने का कािण िै-

(6)

6 (क) वन काटे िा ििे िैं |

(ख) विाश के अभाव में वनों का सूखना | (ग) वन मिोत्सव |

(घ) मुनार्ाखोिी |

(iv) पेड़ों को मानव-बींर्ु क्यों किा गया िै ? (क) मानव पेड़ों का व्यापाि कििा िै | (ख) पेड़ िमें अपना सवशस्व देिे िैं | (ग) पेड़ िमें ईंर्न देिे िैं |

(घ) मानव पेड़ों का िक्षक िै |

(v) इस कवविा में क्या प्रेिणा दी गई िै ? (क) स्वच्छिा की |

(ख) स्वाथी बनने की | (ग) वन-कटाई की | (घ) वन-सींिक्षण की |

अथवा

मैं बचपन को बुला ििी थ बोल उिी बबहटया मेिी।

नन्दन वन-स र्ूल उिी यि छोटी-स कुहटया मेिी।।

'माँ ओ' किकि बुला ििी थ ममट्टी खाकि आई थ ीं।

कुछ मुँि में कुछ मलए िाथ में मुझे खखलाने लाई थ ।।

पुलक ििे थे अींग, दृगों में कौिुिल था छलक ििा।

मुँि पि थ आहृलाद-लामलमा वविय-गवश था झलक ििा।।

मैंने पूछा 'यि क्या लाई'? बोल उिी वि 'माँ, काओ'।

िुआ प्रर्ुजल्लि हृदय खुर् से मैंने किा- 'िुम्िीीं खाओ'।।

पाया मैंने बचपन कर्ि से बचपन बेटी बन आया।

उसकी मींिुल मूतिश देखकि मुझ में नवि वन आया।।

मैं भ उसके साथ खेलि खाि िूँ, िुिलाि िूँ।

ममलकि उसके साथ स्वयीं मैं भ बच्च बन िाि िूँ।।

(7)

7 जिसे खोिि थ बिसों से अब िाकि उसको पाया।

भाग गया था मुझे छोड़कि वि बचपन कर्ि से आया।।

- सुभद्रा कुमािी चौिान (i) काव्याींर्के आर्ाि पि बिाइए कक कवतयत्र ने अपने बचपन को ककस रूप में पुनः पाया ? (क) सिेली के रूप में |

(ख) अपन बबहटया के रूप में |

(ग) बचपन की मर्ुि स्मृति के रूप में | (घ) माँ के रूप में |

(ii) कवतयत्र विों से ककसे खोि ििीीं थ ीं ? (क) अपन बेटी को |

(ख) बचपन की सिेली को | (ग) अपनों के सािचयश को | (घ) अपने बचपन को |

(iii) कवतयत्र की बेटी के चेििे पि ककस कािण वविय- गवश झलक ििा था ? (क) माँ को सींग खेलिे देखकि |

(ख) माँ के साथ ममट्टी में खेलने के कािण | (ग) माँ को ममट्टी खखलाने लाने के कािण | (घ) माँ को प्रसन्न देखकि |

(iv) ममट्टी खखलाने आई बेटी की छवव कैस थ ? (क) उसका र्िीि र्ूल र्ूसरिि था औि आँखों में डि था |

(ख) उसका अींग-अींग पुलककि िो ििा था औि उसकी भोली आँखों से उत्सुकिा छलक ििी थ । (ग) उसकी आँखों में र्िािि नज़ि आ ििी थ |

(घ) उसकी छवव मनमोिक औि आकिशक थ |

(v) बेटी औि माँ के ब च क्या सींवाद िुआ ?

(क) माँ ने पूछा ‘यि क्या लाई िो’ औि बेटी बोल उिी ‘माँ ! काओ।’

(ख) माँ ने पूछा ‘ममट्टी क्यों खा ििी िो ?’ औि बेटी बोल उिी ‘माँ ! िुम भ खाओ |’

(ग) माँ ने पूछा ‘क्या खेल ििी िो ? औि बेटी बोल उिी ‘माँ ! आओ िुम भ खेलो |’

(घ) माँ ने पूछा ‘िाथ में क्या लाई िो?’औि बेटी बोल उिी ‘माँ ! िुम्िािे मलए ममट्टी लाई िूँ |’

खींड – ख

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8

(व्याविारिक व्याकिण) अींक-16

3 तनदेर्ानुसाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4

(i) बादल तघि आए औि विाश िोने लग |

िचना के आर्ाि पि वाक्य-भेद िै - (क) सिल वाक्य |

(ख) ममश्र वाक्य | (ग) सींयुक्ि वाक्य | (घ) सार्ािण वाक्य |

(ii) तनम्नमलखखि में ममश्र वाक्य िै - (क) अवतन आई औि पिने बैि गई | (ख) बच्चे दूर् प कि सो गए |

(ग) अध्यापक के सामने सब र्ाींि िििे िैं | (घ) िो झूि बोलिे िैं, उन पि ववश्वास मि किो |

(iii) आनींद चाि हदन गाँव में ििा | वि सबका वप्रय िो गया | इस वाक्य का सींयुक्ि वाक्य में रूपाींििण िोगा -

(क) आनींद चाि हदन गाँव में ििा औि सबका वप्रय िो गया |

(ख) िब आनींद चाि हदन गाँव में ििा,िब वि सबका वप्रय िो गया | (ग) आनींद चाि हदन गाँव में ििकि सबका वप्रय िो गया |

(घ) आनींद िब चाि हदन गाँव में ििा िो वि सबका वप्रय िो गया |

(iv) वि पुस्िक किाँ िै, िो कल खिीदी थ ?

िेखाींककि उपवाक्य का भेद िै - (क) सींज्ञा आधश्रि उपवाक्य | (ख) सवशनाम आधश्रि उपवाक्य | (ग) कक्रया ववर्ेिण आधश्रि उपवाक्य | (घ) ववर्ेिण आधश्रि उपवाक्य |

(v) तनम्नमलखखि में सिल वाक्य िै -

(क) िैसे िी विाश िुई वैसे िी मोि नाचने लगे | (ख) विाश िुई औि मोि नाचने लगे |

(ग) विाश िोिे िी मोि नाचने लगे | (घ) िब विाश िोि िै िब मोि नाचिे िैं |

(9)

9

4 तनदेर्ानुसाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4

(i) तनम्नमलखखि वाक्य का वाच्य मलखखए – पयशटकों दवािा ि थश यात्रा की िाएग | (क) किृश वाच्य |

(ख) भाव वाच्य | (ग) कमश वाच्य | (घ) किण वाच्य |

(ii) िालदाि सािब ने पान खाया |

उपयुशक्ि वाक्य को कमशवाच्य में बदमलए | (क) िालदाि सािब दवािा पान खाया िािा िै | (ख) िालदाि सािब से पान निीीं खाया िािा | (ग) िालदाि सािब पान खा ििे िैं |

(घ) िालदाि सािब दवािा पान खाया गया |

(iii) पक्ष बाग छोड़कि निीीं उड़े |

उपयुशक्ि वाक्य को भाव वाच्य में बदमलए | (क) पक्ष बाग छोड़कि निीीं उड़ सके |

(ख) पक्षक्षयों से बाग छोड़कि उड़ा निीीं गया | (ग) पक्ष बाग छोड़कि निीीं उड़ सकिे | (घ) पक्षक्षयों से बाग छोड़कि उड़ा निीीं िािा |

(iv) तनम्नमलखखि वाक्यों में से किृश वाच्य वाला वाक्य छाींहटए- (क) छात्रों दवािा सभ का स्वागि िुआ |

(ख) छात्रों से सभ का स्वागि किवाया गया | (ग) छात्रों ने सभ का स्वागि ककया |

(घ) छात्रों दवािा सभ का स्वागि ककया िाएगा |

(v) तनम्नमलखखि में से कौन-सा भाव वाच्य का सिी ववकल्प िै ? (क) आओ, विाँ बैिे |

(ख) आओ विाँ बैिा िाए | (ग) अब विाँ बैििे िैं | (घ) चलो, अब विाँ बैिें |

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5 तनदेर्ानुसाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4

(i) िम कल हदल्ली िा ििे िैं | िेखाींककि पद का परिचय िै - (क) िातिवाचक सींज्ञा,एकवचन, पुजल्लींग, किाश कािक |

(ख) व्यजक्िवाचक सींज्ञा, एकवचन, पुजल्लींग, अधर्किण कािक | (ग) व्यजक्िवाचक सींज्ञा, एकवचन, पुजल्लींग, कमश कािक | (घ) िातिवाचक सींज्ञा,एकवचन, पुजल्लींग, अपादान कािक |

(ii) यि बालक बिुि मेर्ाव िै |

(क) तनश्चयवाचक सवशनाम, एकवचन, पुजल्लींग, किाश कािक | (ख) िातिवाचक सींज्ञा, बिुवचन, पुजल्लींग, किाश कािक | (ग) सावशनाममक ववर्ेिण, एकवचन,पुजल्लींग, ववर्ेष्ट्य ‘बालक’ | (घ) गुणवाचक ववर्ेिण, एकवचन,पुजल्लींग, ववर्ेष्ट्य ‘बालक’ |

(iii) अचानक विाश िोने लग |

(क) कालवाचक कक्रया ववर्ेिण, ‘िोने लग ’ कक्रया की ववर्ेििा | (ख) िीतिवाचक कक्रया ववर्ेिण, ‘िोने लग ’ कक्रया की ववर्ेििा | (ग) स्थानवाचक कक्रया ववर्ेिण, ‘िोने लग ’ कक्रया की ववर्ेििा | (घ) परिमाणवाचक कक्रया ववर्ेिण, ‘िोने लग ’ कक्रया की ववर्ेििा |

(iv) वाि ! भािि मैच ि ि गया | (क) समुच्चयबोर्क अव्यय |

(ख) ववस्मयाहदसूचक अव्यय, र्ोकसूचक भाव की अमभव्यजक्ि | (ग) सींबींर्बोर्क अव्यय |

(घ) ववस्मयाहदसूचक अव्यय,प्रसन्निासूचक भाव की अमभव्यजक्ि |

(v) र्ाबार् ! िुमने बिुि अच्छा कायश ककया |

(क) मध्यम पुरुिवाचक सवशनाम, एकवचन, किाश कािक | (ख) तनिवाचक सवशनाम, एकवचन, किाश कािक | (ग) मध्यम पुरुिवाचक सवशनाम, बिुवचन, किाश कािक | (घ) उत्तम पुरुिवाचक सवशनाम, एकवचन, कमश कािक |

6 तनदेर्ानुसाि ककन्िीीं चाि प्रश्नों के उत्ति मलखखए - 1x4=4

(i) एक ओि अिगिहिीं लखख एक ओि मृगिाय |

(11)

11 ववकल बटोिी ब च िी, पियो मूिछा खाय ||

उपयुशक्ि काव्य पींजक्ियों में तनहिि िस िै - (क) व ि िस |

(ख) करुण िस | (ग) भयानक िस | (घ) िौद्र िस |

(ii) ‘उत्साि’ ककस िस का स्थाय भाव िै ? (क) र्ाींि िस |

(ख) व ि िस | (ग) िास्य िस | (घ) िौद्र िस |

(iii) श्र कृष्ट्ण के सुन वचन अिुशन क्षोभ से िलने लगे | सब र् ल अपना भूलकि कििल युगल मलने लगे | सींसाि देखे अब िमािे र्त्रु िण में मृि पड़े |

कििे िुए यि घोिणा वे िो गए उि कि खड़े ||

उपयुशक्ि काव्य पींजक्ियों में तनहिि िस िै - (क) िौद्र िस |

(ख) व भत्स िस | (ग) भयानक िस | (घ) व ि िस |

(iv) ववभाव, अनुभाव औि सींचािी भावों की सिायिा से क्या िस रूप में परिणि िो िािे िैं ? (क) आलींबन ववभाव |

(ख) व्यमभचािी भाव | (ग) उददीपन ववभाव | (घ) स्थाय भाव |

(v) ‘अदभुि िस’ का स्थाय भाव िै - (क) भय |

(ख) ववस्मय | (ग) िुगुप्सा |

(12)

12 (घ) क्रोर् |

खींड – ग

(पाठ्य पुस्िक) अींक-14

7 तनम्नमलखखि गदयाींर् को पिकि पूछे गए प्रश्नों के सिी ववकल्प चुनकि मलखखए- 1x5=5

निीीं साब ! वो लँगड़ा क्या िाएगा फ़ौि में | पागल िै पागल ! वो देखो, वो आ ििा िै | आप उस से बाि कि लो | फ़ोटो-वोटो छपवा दो उसका किीीं |

िालदाि सािब को पानवाले दवािा एक देर्भक्ि का इस ििि मज़ाक उड़ाया िाना अच्छा

निीीं लगा | मुड़कि देखा िो अवाक् िि गए | एक बेिद बूिा मरियल-सा लँगड़ा आदम मसि पि गाींर् टोप औि आँखों पि काला चश्मा लगाए एक छोटी-स सींदूकच औि दूसिे

िाथ में एक बाँस पि टँगे बिुि-से चश्मे मलए अभ -अभ एक गली से तनकला था औि अब एक बींद दुकान के सिािे अपना बाँस हटका ििा था | िो इस बेचािे की दुकान भ निीीं ! र्ेिी लगािा िै ! िालदाि सािब चक्कि में पड़ गए | पूछना चाििे थे, इसे कैप्टन क्यों

कििे िैं ? क्या यिी इसका वास्िववक नाम िै ? लेककन पानवाले ने साफ़ बिा हदया था

कक अब वि इस बािे में औि बाि किने को िैयाि निीीं|

(i) प्रस्िुि गदयाींर् में देर्भक्ि ककसे किा गया िै ? (क) िालदाि सािब को |

(ख) कैप्टन चश्मेवाले को | (ग) सामान्य आदम को | (घ) लेखक को |

(ii) पानवाले की कौन-स बाि िालदाि सािब को अच्छी निीीं लग ? (क) मूतिश बनानेवाले का अपमान |

(ख) िालदाि सािब पि िँसना |

(ग) मूतिशकाि के कायश पि टीका-हटप्पण | (घ) एक देर्भक्ि का मज़ाक उड़ाना |

(iii) चश्मेवाला एक बींद दुकान के सिािे अपना बाँस क्यों हटका ििा था ? (क) उसकी अपन कोई दुकान निीीं थ |

(ख) उसे ककस से बाि किन थ | (ग) यि दुकान बाज़ाि के ब चों-ब च थ | (घ) वि उसके िानकाि की दुकान थ |

(13)

13

(iv) िालदाि सािब पानवाले से कैप्टन चश्मेवाले के बािे में क्या पूछना चाििे थे ? (क) चश्मेवाला र्ेिी क्यों लगािा िै ?

(ख) वि चश्मे कब से बेच ििा िै ? (ग) इसे कैप्टन क्यों कििे िैं ? (घ) वि किाँ िििा िै ?

(v) िालदाि सािब ककस कािण कैप्टन के बािे में औि िानकािी प्राप्ि निीीं कि सके ? (क) पानवाले ने इस बािे में बाि किने से मना कि हदया |

(ख) पानवाला कैप्टन के बािे में अधर्क निीीं िानिा था | (ग) िालदाि सािब के पास समय की कम थ |

(घ) कैप्टन ने िानकािी देने से मना कि हदया |

8 तनम्नमलखखि प्रश्नों के उत्ति सिी ववकल्प चुनकि मलखखए- 1x2=2 (i) बेटे की मृत्यु के पश्चाि् बालगोबबन भगि का आखखिी तनणशय क्या था ?

(क) पिोिू का पुनववशवाि किवाना | (ख) पिोिू को मर्क्षा हदलवाना | (ग) पिोिू को घि से तनकालना | (घ) पिोिू से घृणा किना |

(ii) लेखक िामवृक्ष बेन पुिी ि बालगोबबन भगि की ककस ववर्ेििा पि अत्यधर्क मुग्र् थे ? (क) पिनावे पि |

(ख) व्यविाि पि | (ग) मर्ुि गान पि | (घ) कायश कुर्लिा पि |

9 तनम्नमलखखि काव्याींर् को पिकि पूछे गए प्रश्नों के सिी ववकल्प चुनकि मलखखए- 1x5=5 नाथ सींभुर्नु भींितनिािा। िोइहि केउ एक दास िुम्िािा॥

आयेसु काि कहिअ ककन मोिी। सुतन रिसाइ बोले मुतन कोिी॥

सेवकु सो िो किै सेवकाई। अरिकिन करि करिअ लिाई॥

सुनिु िाम िेहि मसवर्नु िोिा। सिसबािु सम सो रिपु मोिा॥

सो बबलगाउ बबिाइ समािा। न ि मािे िैिहिीं सब िािा॥

सुतन मुतन बचन लखन मुसुकाने। बोले पिसुर्िहि अपमाने॥

बिु र्नुिी िोिी लरिकाईं। कबिुँ न अमस रिस कीजन्ि गोसाईं॥

(14)

14

येहि र्नु पि ममिा केहि िेिू। सुतन रिसाइ कि भृगुकुलकेिू॥

िे नृप बालक काल बस बोलि िोहि न सँभाि।

र्नुिी सम तिपुिारि र्नु बबहदि सकल सींसाि॥

(i) पिर्ुिाम के क्रोर् को र्ाींि किने के मलए िाम ने उनसे क्या किा ? (क) र्नुि िोड़नेवाला कोई िािकुमाि िै |

(ख) र्नुि िोड़नेवाला आपका कोई सेवक िोगा | (ग) र्नुि िोड़नेवाला आपका कोई ममत्र िोगा | (घ) यि र्नुि अपने आप टूट गया |

(ii) स्वयींवि में िो र्नुि टूट गया था, वि ककसका र्नुि था ? (क) िािा िनक का |

(ख) िाम का | (ग) ववष्ट्णु ि का |

(घ) पिर्ुिाम ि के आिाध्य मर्वि का |

(iii) मर्व-र्नुि टूटने पि पिर्ुिाम क्रोधर्ि क्यों िुए ?

(क) पिर्ुिाम ि मर्व-भक्ि थे औि उन्िें मर्व-र्नुि वप्रय था | (ख) उन्िें स िा-स्वयींवि में आमींबत्रि निीीं ककया गया था | (ग) वे क्षबत्रय कुल के ववद्रोिी थे |

(घ) पिर्ुिाम ि क्रोर् स्वभाव के थे |

(iv) ‘भृगुकुलकेिू’ ककसे किा गया िै ? (क) लक्ष्मण को |

(ख) िािा िनक को | (ग) पिर्ुिाम को | (घ) ववश्वाममत्र को |

(v) मर्व-र्नुि िोड़ने वाले की िुलना पिर्ुिाम ने अपने ककस र्त्रु से की िै ? (क) कणश |

(ख) सिसबािु | (ग) घटोत्कच | (घ) दुयोर्न |

(15)

15

10 तनम्नमलखखि प्रश्नों के उत्ति सिी ववकल्प चुनकि मलखखए- 1x2=2 (i) गोवपयों के अनुसाि ककसने िािन ति की मर्क्षा प्राप्ि कि ली िै ?

(क) कींस ने | (ख) नींद ने | (ग) श्र कृष्ट्ण ने | (घ) उदर्व ने |

(ii) ‘सूिदास के पद’ के आर्ाि पि बिाइए कक गोवपयों ने व्यींग्य कसिे िुए ककसे भाग्यर्ाली

किा िै ? (क) श्र कृष्ट्ण को | (ख) उदर्व को | (ग) सूिदास को | (घ) स्वयीं को |

References

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