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Page 1 of 13 सॊस्कृत विभाग

जावमया वमविया इस्लावमया, नई वदिी

M.A. in Sanskrit ऩाठ्यक्रम सॊरचना

(Academic Year 2017-18 Onwards)

सेमेस्टर ऩत्र क्रम वििरण

1. प्रथम ऩत्र िैवदक िाङ्मय-ऋक्सूक्त, िैवदक व्याकरण एिॊ वनरुक्त वितीय ऩत्र सावहत्यशास्त्र : सावहत्यदऩपण

तृतीय ऩत्र सावहत्य : मुद्राराऺस, मेघदूत चतुथप ऩत्र भारतीय सॊस्कृवत एिॊ सभ्यता

2. ऩञ्चम ऩत्र दशपन : न्याय एिॊ िेदान्त षष्ठ ऩत्र व्याकरण : ऱघुवसद्धान्तकौमुदी

सप्तम ऩत्र सावहत्य : नैषधीयचवरतम ्, उत्तररामचवरतम ् अष्टम ऩत्र सॊस्कृत सावहत्य सिेऺण

3. निम ऩत्र भाषाविऻान दशम ऩत्र सावहत्य: कादम्बरी

एकादश ऩत्र विकल्प (१) : िैवदक िाङ्मय

विकल्प (२) : सावहत्यशास्त्र: काव्यप्रकाश विकल्प (३) : दशपनशास्त्र

विकल्प (४) :व्याकरण

विकल्प (५) :आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य

िादश ऩत्र विकल्प (१) : िैवदक िाङ्मय

विकल्प (२) : सावहत्यशास्त्र: ध्वन्याऱोक १-२ उद्योत विकल्प (३) : दशपनशास्त्र

विकल्प (४) :व्याकरण

विकल्प (५) :आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य 4. त्रयोदश ऩत्र वनबन्ध और अनुिाद

चतुदपश ऩत्र भारतीय इवतहास दृवष्ट एिॊ काऱविऻान ऩञ्चदश ऩत्र विकल्प (१) : िैवदक िाङ्मय

विकल्प (२) : सावहत्यशास्त्र : िक्रोवक्तजीवितम ् (प्रथम उन्मेष) विकल्प (३) : दशपनशास्त्र

विकल्प (४) :व्याकरण

विकल्प (५) :आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य

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षोडश ऩत्र विकल्प (१) : िैवदक िाङ्मय का सिेऺण विकल्प (२) : सॊस्कृत सावहत्यशास्त्र का सिेऺण विकल्प (३) : दशपनशास्त्र का सिेऺण

विकल्प (४) : व्याकरणशास्त्र का सिेऺण

विकल्प (५) :आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य का सिेऺण

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Page 3 of 13 सॊस्कृत विभाग

जावमया वमविया इस्लावमया, नई वदिी

M.A. in Sanskrit ऩाठ्यक्रम वििरण

(Academic Year 2017-18 Onwards)

सेमेस्टर-01: प्रथम ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क

िैवदक िाङ्मय-ऋक्सूक्त, िैवदक व्याकरण एिॊ वनरुक्त इकाई ०१: ऋक्सॊवहता : अविवमत्रािरुण (१.३५), रुद्र ( १.११४), विष्णु (२.१५४), उषस ् (३.६१), सवितृ (५.३८), सोम

(९.८३), ऻान (१०.७१), धनान्नदान (१०.११७), वहरण्यगभप (१०.१२१), द्स्वप्ननाशन (१०.१६४)

२० इकाई ०२: िैवदकव्याकरण: िैवदक सवन्ध (आन्तवरक एिॊ बाह्य), शब्दरूऩ एिॊ धातुरूऩ, तुमथपकप्रत्यय, त्वाथपक प्रत्यय,

िैवदक स्वर एिॊ ऩदऩाठ

२०

इकाई ०३: वनरुक्त : अध्याय-१ २०

इकाई ०४: वनरुक्त : अध्याय-२ १५

मूऱग्रन्थ:

1. ऋकसूक्त सॊग्रह, हवरदास शास्त्री (सम्पा.), सावहत्य भण्डार, मेरठ

2. ऋक्भाष्य सॊग्रह, देिराज चानना (सम्पा.), मुॊशीराम मनोहरऱाऱ, वदिी, १९८३ 3. ऋग्िेद सॊवहता, वदिी सॊस्कृत अकादमी, वदिी, २०१३

4. वनरुक्त-यास्क, उमाशॊकर शमाप ‘ऋवष’(सम्पा.), चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी

सहायकग्रन्थ:

1. िैवदक व्याकरण, उमेश चन्द्र ऩाण्डेय, चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी, २००३ 2. िैवदक व्याकरण, राम गोऩाऱ, नेशनऱ ऩविशशग हाउस, वदिी

3. Nighantu and the Nirukta (Critically Edited with English Tr.), Lakshman Swaroop, MLBD, Delhi, 1967

4. Vedic Mythology (Vaidika Devashastra), AA Macdonell, MLBD, Delhi, 1962

सेमेस्टर-01: वितीय ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्यशास्त्र : सावहत्यदऩपण इकाई ०१: प्रथम एिॊ वितीय ऩवरच्छेद : काव्यप्रयोजन, काव्यस्वरूऩ, काव्यऱऺण, गुणदोष स्वरूऩ, ऩदिाक्य ऱऺण,

शब्दशवक्तयाॊ

२०

इकाई ०२: तृतीय ऩवरच्छेद : रस-भाि वनरूऩण, नायक-नावयका वििेचन २०

इकाई ०३: चतुथप ऩवरच्छेद : ध्ववनकाव्य, गुणीभूतव्यङ्ग्य काव्य, वचत्रकाव्य २० इकाई ०४: ऩञ्चम एिॊ षष्ठ ऩवरच्छेद : व्यञ्जना िृवत्त व्यिस्थाऩन, दृश्य एिॊ श्रव्य काव्य वनरूऩण १५ मूऱ ग्रन्थ:

1. सावहत्यदऩपण-विश्वनाथ, शावऱग्राम शास्त्री (व्या.), मोतीऱाऱ बनारसीदास, २००४ 2. सावहत्यदऩपण-विश्वनाथ, वनरूऩणविद्याऱॊकार (व्या.), सावहत्य भण्डार, मेरठ

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सहायकग्रन्थ :

1. काव्यतत्त्व समीऺा, नरेंद्र नाथ चौधरी

2. History of Sanskrit Poetics (also Hindi tr.), SK Dey, Firma KLM Pvt. Ltd., Calcutta, 2nd Edition, 1960, Reprint 1976

3. History of Sanskrit Poetics (also Hindi tr.), PV Kane, MLBD, Delhi, 2002

4. Comparative Aesthetics (Swatantra KalaShastra), KC Pandey, Chaukhamba Sanskrit, Series Office, Varanasi, 1972

सेमेस्टर-01: तृतीय ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्य : मुद्राराऺस, मेघदूत

इकाई ०१: मुद्राराऺस : प्रथम से चतुथप अङ्क- अनुिाद, ऩद्यों की व्याख्या, समाऱोचनात्मक प्रश्न , व्याकरणात्मक विप्पवणयाॊ, सॊवऺप्त विप्पवणयाॊ

२० इकाई ०२: मुद्राराऺस : ऩञ्चम से सप्तम अङ्क- अनुिाद, ऩद्यों की व्याख्या, समाऱोचनात्मक प्रश्न , व्याकरणात्मक

विप्पवणयाॊ, सॊवऺप्त विप्पवणयाॊ

२०

इकाई ०३: ऩूिपमेघ : ऩद्यों का अनुिाद, व्याख्या, कावऱदास समीऺा, कथास्रोत, समाऱोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०४: उत्तरमेघ : ऩद्यों का अनुिाद, व्याख्या, कावऱदास समीऺा, कथास्रोत, समाऱोचनात्मक प्रश्न १५ मूऱग्रन्थ :

1. मुद्राराऺसम ् , जगदीश चन्द्र वमश्र (व्या.), चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी

2. मुद्राराऺसम ्, रमाशॊकर वत्रऩाठी (व्या.),िाराणसी

3. Mudrarakshasam with Eng. Tr., MR Kale, MLBD, Delhi

4. मेघदूतम ्,(व्या.), रमाशॊकर वत्रऩाठी एिॊ जनादपन शास्त्री ऩाण्डेय, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

5. मेघदूतम ्,मोहन देि ऩन्त और सॊसार चन्द्र, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी, २००३ सहायकग्रन्थ:

1. Sanskrit Drama, AB Keith (अनुिादक-उदयभानु शसह), MLBD, 1965 2. महाकवि शूद्रक, रमाशॊकर वत्रऩाठी, चौखम्बा सुरभारती,िाराणसी

3. मेघदूत:एक ऩुरानी कहानी, हजारी प्रसाद वििेदी, राजकमऱ प्रकाशन, वदिी

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सेमेस्टर-01: चतुथप ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क भारतीय सॊस्कृवत एिॊ सभ्यता

इकाई ०१:

laLd`fr ,oa lH;rk dh ifjHkk"kk ,oa Lo:Ik, oSfnd ,oa mÙkjoSfnddkyhu lH;rk ,oa laLÑfr] Hkkjrh; laLd`fr ,oa lH;rk dh fo'ks"krk,a

२० इकाई ०२:

jkek;.kdkyhu] egkHkkjrdkyhu] egkdkO;dkyhu ,oa iqjk.kdkyhu lH;rk ,oa laLÑfr

२०

इकाई ०३:

fuEufyf[kr fo"k;ksa ds fo'ks"k lUnHkZ esa Hkkjrh; lH;rk ,oa laLÑfr dk vè;;u % o.kkZJe&O;oLFkk] iq#"kkFkZ&prq"V;] laLdkj] fookg] izkphu Hkkjrh; f'k{kk iz.kkyh] izkphu Hkkjr esa ukjh ,oa nfyrksa dh fLFkfr

२०

इकाई ०४: बौद्ध, जैन, िैष्णि एिॊ शैि धमों का उद्भि एिॊ विकास १५

सहायकग्रन्थ सूची :

1. भारतस्य साॊस्कृवतकवनवध्, रामजी उऩाध्याय, चौखम्बा सॊस्कृत प्रवतष्ठान, वदिी

2. िैवदक सावहत्य और सॊस्कृवत, बऱदेि उऩाध्याय, शारदा मॊवदर, िाराणसी

3. भारतीय सॊस्कृवत का उत्थान, रामजी उऩाध्याय, चौखम्बा विद्याभिन, वदिी

4. धमपशास्त्र का इवतहास, ऩी.िी. काणे, उत्तर-प्रदेश वहन्दी सॊस्थान, , ऱखनऊ

5. प्राचीन भारत की सॊस्कृवत और सभ्यता, डी.डी. कौशाम्बी, राजकमऱ प्रकाशन, वदिी

6. भारतीय सॊस्कृवत : कुछ विचार, सिपऩिी राधाकृष्णन ् , राजऩाऱ प्रकाशन, वदिी

7. Glories of India, PK Achary

8. The Wonder that was India, AL Basham

सेमेस्टर-०२: ऩञ्चम ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क दशपन : न्याय एिॊ िेदान्त

इकाई ०१: तकपभाषा : प्रमाण- प्रत्यऺ , अनुमान , उऩमान, शब्द , अथापऩवत्त एिॊ अनुऩऱवि का स्वरुऩ एिॊ तविषयक विप्रवतऩवत्तयाॊ और उनका समाधान, प्रामाण्यिाद

२० इकाई ०२: तकपभाषा: प्रमेय वनरूऩण, सॊशय, प्रयोजन, दृष्टाॊतवसद्धान्त, अियि, तकप, वनणपय, िाद, जल्प, वितण्डा एिॊ

हेत्वाभास

२० इकाई ०३: िेदान्तसार : अवधकारी, अनुबॊधचतुष्टय वनरूऩण, अध्यारोऩ, अऻान का स्वरुऩ और अऻान की शवक्तयाॊ,

प्रऩञ्च वनरूऩण

२० इकाई ०४: िेदान्तसार : चैतन्य वनरूऩण, सृवष्टप्रवक्रया एिॊ ऩञ्चीकरण, आत्मस्वरूऩ, अऩिाद, महािाक्य, िृवत्तयाॉ-श्रिण,

मनन, वनवदध्यासन एिॊ समावध, जीिनमुवक्त एिॊ विदेहमुवक्त

१५ मूऱग्रन्थ:

1. तकपभाषा-केशि वमश्र, आचायप बद्रीनाथशुक्ल (व्या.), मोतीऱाऱ बनारसी दास, िाराणसी, १९६८ 2. तकपभाषा-केशि वमश्र, श्रीवनिास शास्त्री (व्या.), सावहत्य भण्डार, मेरठ, १९७२

3. िेदान्तसार-सदानन्द, आचायप बद्रीनाथशुक्ल (व्या.), मोतीऱाऱ बनारसी दास, िाराणसी, १९७९

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4. िेदान्तसार-सदानन्द, राममूर्तत शमाप (व्या.), ईस्टनप बुक शऱकसप, वदिी, २००१ सहायकग्रन्थ:

1. भारतीय न्याय शास्त्र: एक अध्ययन, ब्रह्मवमत्र अिस्थी, इन्दु प्रकाशन, वदिी, १९६७

2. History of Indian Philosophy, S.N. Das Gupta, MLBD, Delhi, 1975 3. Indian Philosophy, S. Radhakrishnan, OUP, Delhi, 1990

सेमेस्टर-०२ : षष्ठ ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क

व्याकरण : ऱघुवसद्धान्तकौमुदी

इकाई ०१: सुबन्त प्रकरण-अजन्तऩुविङ्ग से हऱन्त नऩुॊसकवऱङ्ग तक २०

इकाई ०२: वतङन्त (भ्वादय्, अदादय्, जुहोत्यादय्, तुदादय्) २०

इकाई ०३: वतङन्त (रुधादय्, तनादय्, क्र्यादय्, चुरादय्) वणजन्त (ण्यन्तप्रवक्रया, सन्नतप्रवक्रया, यङन्तप्रवक्रया, यङ्लरृक्प्रवक्रया)

२० इकाई ०४: अऩत्यावधकार, रक्ताद्यथपका्, चातुरर्तथका्, शैवषका्, स्त्रीप्रत्यय १५ मूऱग्रन्थ :

1. ऱघुवसद्धान्तकौमुदी, गीताप्रेस, गोरखऩुर

2. ऱघुवसद्धान्तकौमुदी, धरानन्द शास्त्री (व्या.), मूऱ एिॊ वहन्दी व्याख्या, मोतीऱाऱ बनारसी दास, वदिी

सहायक ग्रन्थ :

1. ऱघुवसद्धान्तकौमुदी-भैमी व्याख्या (भाग-१-६), भीमसेन शास्त्री, भैमी प्रकाशन, वदिी

2. व्याकरण चन्द्रोदय (भाग १-३), चारूदेि शास्त्री, मोतीऱाऱ बनारसी दास, वदिी

3. ऱघुवसद्धान्तकौमुदी-प्रकावशका नाम्नी वहन्दी व्याख्या सवहता, सत्यऩाऱ शसह, वशिावऱक ऩविकेशन्स, वदिी

4. The Laghusiddhantkaumudi of Varadaraja, Vol. 01 & 02, Kanshiram, MLBD, 2011

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सेमेस्टर-०२: सप्तम ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्य : नैषधीयचवरतम ्, उत्तररामचवरतम ् इकाई ०१: नैषधीयचवरतम ्-प्रथम सगप : कथा स्रोत, अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना, व्याकरणात्मक विप्पवणयाॊ २० इकाई ०२: नैषधीयचवरतम ्-वितीय सगप : कथा स्रोत, अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना, व्याकरणात्मक विप्पवणयाॊ २० इकाई ०३: उत्तररामचवरतम ्-प्रथम अङ्क से तृतीय अङ्क ऩयपन्त : ऩद्यों का अनुिाद, व्याख्या, चवरत्र वचत्रण, नाट्यतत्त्व

समीऺा, अवभनय शैऱी

२० इकाई ०४: उत्तररामचवरतम ्-चतुथप अङ्क से सप्तम अङ्क ऩयपन्त ऩद्यों का अनुिाद, व्याख्या, चवरत्र वचत्रण, नाट्यतत्त्व

समीऺा, अवभनय शैऱी

१५ मूऱग्रन्थ :

1. नैषधीयचवरतम ्-श्रीहषप, दीऩवशखा िीका, रामनारायणऱाऱ िेणी प्रसाद, इऱाहाबाद 2. नैषधीयचवरतम ्-श्रीहषप, मोहन देि ऩन्त (व्या.), मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

3. नैषधीयचवरतम ्-श्रीहषप, शेषराज शमाप रेग्मी, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, िाराणसी, १९८३

4. उत्तररामचवरतम ्-भिभूवत, आनन्दस्वरुऩ, जनादपन शास्त्री ऩाण्डेय (व्या. एिॊ सम्पा.), मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

5. उत्तररामचवरतम ्-भिभूवत, रमाकान्त वत्रऩाठी, िाराणसी, ११९३ 6. Uttarramacharitam, MR Kale, MLDD, Delhi, 1962 7. Uttarramacharitam, PV Kane, MLDD, Delhi, 1962 सहायक ग्रन्थ :

1. नैषध समीऺा, देि नारायण झा, नागऩविशससप, वदिी, २००१

2. नैषधीयचवरत चचाप, महािीर प्रसाद वििेदी, गॊगाऩुस्तकमाऱा कायापऱय, ऱखनऊ, १९५२

3. नैषधीयचवरत का अवभनि समीऺात्मक एिॊ व्याख्यात्मक अध्ययन, वशऺकप्रकाशन, कानऩुर, १९८१ 4. भिभूवत के नािक, ब्रजििभ शमाप, मध्य-प्रदेश वहन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोऩाऱ, १९७३

5. भिभूवत और उनका उत्तररामचवरतम ्, रामाश्रय शमाप, ऩवरमऱ ऩविकेशन्स, वदिी, १९९७ 6. Bhawabhooti: His Life and Literature, SV Dikshit, CPP, Belgaun, 1958 7. The Sanskrit Drama, AB Keith, OUP, 1964

8. Bhawabhooti: His Date, Life and Works, BB Mirashi, MLBD, Delhi 1974

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सेमेस्टर-०२: अष्टम ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत सावहत्य सिेऺण

इकाई ०१: िैवदक सावहत्य, रामायण, महाभारत, ऩुराण २०

इकाई ०२: महाकाव्य, खण्डकाव्य, गीवतकाव्य, नीवतकाव्य, स्तोत्रकाव्य २०

इकाई ०३: गद्य तथा चम्पू सावहत्य २०

इकाई ०४: दृश्य काव्य : रूऩक के भेद तथा प्रमुख सॊस्कृत नािककार १५

सहायकग्रन्थ सूची :

1. सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास, बऱदेि उऩाध्याय, शारदा वनकेतन, िाराणसी

2. िैवदक सावहत्य और सॊस्कृवत, बऱदेि उऩाध्याय, िाराणसी

3. सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास, प्रीवतप्रभा गोयऱ, राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधऩुर 4. सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास, उमाशॊकर ऋवष, चौखम्बा भारती अकादमी, िाराणसी

5. सॊस्कृत सावहत्य का अवभनि इवतहास, विश्वविद्याऱय प्रकाशन, िाराणसी

6. M. Krishnamachariar,History of Classical Sanskrit Literature, Motilal Banarsidass, Delhi.

7. History of Sanskrit Literature, A.B. Keith, Motilal Banarsidass, Delhi

8. Gaurinath Shastri, A Concise History of Sanskrit Literature, Motilal Banarsidass, Delhi 9. Maurice Winternitz, Indian Literature (Vol. I-III), Motilal Banarsidass, Delhi.

सेमेस्टर-०३: निम आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क भाषाविऻान

इकाई ०१: भाषाविऻान का ऩवरचय, भाषाओॊ का िगीकरण, भाषाओॊ के िगीकरण में सॊस्कृत का स्थान २० इकाई ०२: भारोऩीय भाषा ऩवरिार का सामान्य ऩवरचय, मूऱ भारोऩीय भाषा की विशेषताएॉ और उनकी शाखाएॉ, मूऱ

भारोऩीय भाषा से सॊस्कृत का विकास, सॊस्कृत और तुऱनात्मक भाषा विऻान

२० इकाई ०३: अिेस्ता एिॊ िैवदक सॊस्कृत की विशेषताएॊ एिॊ अन्त्सम्बन्ध, िैवदक सॊस्कृत-ऱौवकक सॊस्कृत-प्राकृतभाषाओॊ

की विशेषताएॊ एिॊ उनका अन्त्सम्बन्ध

२० इकाई ०४: सॊस्कृत ध्ववनयों का िगीकरण, सॊस्कृत के स्ववनम, सॊस्कृत के ध्ववनगुण, ध्ववनऩवरितपन के कारण, प्रमुख

ध्ववन वनयम, सॊस्कृत की विवभन्न ध्ववनयों का विकास, सॊस्कृत की ऩदरचना तथा िाक्य सॊरचना, शब्दशवक्तयाॊ

तथा िाक्याथपविषयक भारतीय वसद्धान्त, अथप ऩवरितपन की वदशाएॊ और उनके कारण

१५

सहायकग्रन्थसूची :

1. भाषाविऻान की भूवमका, आचायप देिेन्द्र नाथ शमाप, राजकमऱ प्रकाशन, वदिी

2. भाषाविऻान-कवऩऱ देि वििेदी , विश्वविद्याऱय प्रकाशन, िाराणसी

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3. भाषाविऻान, भोऱानाथ वतिारी , वकताब महऱ ,इऱाहाबाद , १९९२

4. तुऱनात्मक भाषाविऻान, भोऱानाथ वतिारी मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी,१९७४ 5. भाषाविऻान कोश, भोऱानाथ वतिारी, ऻानमण्डऱ वऱवमिेड, िाराणसी

6. सॊस्कृत का भाषाशास्त्रीय अध्ययन, विश्वविद्याऱय प्रकाशन ट्रस्ट ,िाराणसी

7. सामान्य भाषाविऻान, बाबुराम सक्सेना ,वहन्दी सावहत्य सम्मऱेन, प्रयाग, उ.प्र.

8. Linguistic Introduction to Sanskrit, V.K. Ghosh, Sanskrit Pustak, Calcutta

9. An Introduction to Sanskrit Linguistics, M. Shreeman Narayan Moorthy, VK Publication, Delhi, 1984

10.Elements of Science of Language, Taraporewala, Calcutta University Press, Calcutta, 1962

सेमेस्टर-०३: दशम ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्य : कादम्बरी

इकाई ०१: कादम्बरी ऩवरचय, उज्जवयनी िणपन से अनऩत्यता द्ख िणपन तक- अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना, गद्यशैऱी २० इकाई ०२: विऱासिती िणपन से इन्द्रायुध िणपन तक- अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना, गद्यशैऱी २० इकाई ०३: चन्द्राऩीडविद्यावनगपमन से मृगयािृत्तान्त तक- अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना, गद्यशैऱी २० इकाई ०४: ऩत्रऱेखा िणपन से महाश्वेता िणपन तक (शुकनाशोऩदेश को छोडकर)- अनुिाद, व्याख्या, समाऱोचना,

गद्यशैऱी

१५

मूऱग्रन्थ:

1. कादम्बरी-बाणभट्ट, जयशॊकर ऱाऱ वत्रऩाठी (सम्पा. एिॊ व्या.), कृष्णदास अकादमी, िाराणसी, १९९३ 2. कादम्बरी-बाणभट्ट, धमेन्द्र नाथ शास्त्री, प्रकाशन केन्द्र, सीताऩुर रोड, ऱखनऊ

3. Kadambari, PV Kane, Oriental Book Agency, Pune सहायक ग्रन्थ :

1. कादम्बरी : एक साॊस्कृवतक अध्ययन, िासुदेि शरण अग्रिाऱ, चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी, १९७० 2. बाणभट्ट का सावहवत्यक अनुशीऱन, अमर नाथ ऩाण्डेय, भारतीय विद्या प्रकाशन, िाराणसी, १९७४ 3. कादम्बरी का काव्यशास्त्रीय अध्ययन, राजेश्वरी भट्ट, ऩविकेशन स्कीम, जयऩुर

4. Indroduction to the Study of Bana and his Kadambari, GV, Devasthali, Bombay 5. Ban, RD Karmakar, Karnatak University, Dharawad

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सेमेस्टर-०३: एकादश ऩत्र (विकल्प ०२) आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्यशास्त्र : काव्यप्रकाश

इकाई ०१: काव्यप्रकाश : काव्यप्रयोजन, काव्यहेतु, काव्यऱऺण, काव्यभेद, शब्दाथपस्वरुऩ, तात्पयापथप, अवभतान्वयिाद, अवन्वतावभधानिाद, अवभधा एिॊ सॊकेतग्रह वसद्धान्त

२०

इकाई ०२: काव्यप्रकाश : ऱऺणावनरूऩण और ऱऺणा के भेद, व्यॊजनावनरूऩण २०

इकाई ०३: काव्यप्रकाश : अथपव्यॊजकता और ध्ववन वनरूऩण २०

इकाई ०४: काव्यप्रकाश : गुणीभूतव्यॊग्य वििेचन और वचत्र काव्य १५

मूऱ ग्रन्थ :

1. काव्यप्रकाश-बाऱाबोवधनी िीका, िामन झविकर, सम्पा. रघुनाथ करमकर, भण्डारकर ओवरएण्िऱ इॊवस्टट्यूि, ऩूना, १९३३ 2. काव्यप्रकाश, व्या. आचायप विश्वेश्वर वसद्धान्त वशरोमवण, सम्पा. डॉ. नगेन्द्र, ऻानमॊडऱ वऱवमिेड , िाराणसी, १९६०

सहायकग्रन्थ :

1. काव्यप्रकाश-वििेकानुशीऱन, डॉ. वगरीश चन्द्र ऩन्त, प्रवतभा प्रकाशन, वदिी, २००१

2. ध्ववनप्रस्थान में आचायप मम्मि का अिदान, डॉ. जगदीश चन्द्र शास्त्री, काशी वहन्दू विश्वविद्याऱय, शोध प्रकाशन, िाराणसी, १९७७

सेमेस्टर-०३: िादश ऩत्र (विकल्प ०२) आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्यशास्त्र : ध्वन्याऱोक १-२ उद्योत

इकाई ०१: ध्वन्याऱोक: आनॊदिधपन की ध्ववन विषयक स्थाऩना, ध्ववनविरोधी विमवतयों का वनराकरण, िाच्य एिॊ

प्रतीयमान अथप, वत्रविध ध्ववन-िस्तु-अऱॊकार और रस

२० इकाई ०२: ध्वन्याऱोक: ध्ववन का काव्यात्मत्त्व, ध्ववन काव्य का ऱऺण, अऱॊकारों में ध्ववन के अन्तभापि का वनराकरण,

ऱऺणा व्याऩर और व्यॊजना व्याऩार का वभन्न विषयत्व

२० इकाई ०३: ध्वन्याऱोक: ध्ववनभेद, भट्टनािक एिॊ अन्य आचायों के मतों की समीऺा २० इकाई ०४: ध्वन्याऱोक: रसावद अऱॊकारों का विषय, गुण ि अऱॊकार का ऱऺण, गुणस्वरुऩ, वििवऺतान्यऩरिाच्यध्ववन,

अऱॊकारध्ववन की प्रयोजनित्ता

१५ मूऱ ग्रन्थ :

1. ध्वन्याऱोक-आनन्दिधपन, अवभनिगुप्त ऱोचन तथा तारािती वहन्दी व्याख्या, राम सागर वत्रऩाठी, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी, १९७३

2. ध्वन्याऱोक-आनन्दिधपन, अवभनिगुप्त ऱोचन िीका तथा प्रकाश व्याख्या सवहत, जगन्नाथ ऩाठक, चौखम्बा प्रकाशन,

िाराणसी, विक्रम सॊ. २०२१ सहायकग्रन्थ :

1. भारतीय सावहत्यशास्त्र, गणेश त्रयम्बक देशऩाण्डेय, मुम्बई, १९६०

2. Aesthetics Experience according to Abinava Gupta, Gnoli & Ranero, Chaukhamba Series

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Office, Varanasi, 1968

3. Dwanyaloka and its Critics, K Krishnamoorthy, Dharawad

सेमेस्टर-०४: त्रयोदश ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क वनबन्ध और अनुिाद इकाई ०१: अनुिाद : सॊस्कृत भाषा में अनुिाद करने के वनयम (कारक एिॊ विभवक्त सम्बन्धी, िाच्यऩवरितपन-कतृपिाच्य,

कमपिाच्य एिॊ भाििाच्य), शतृ, शानच ्, क्त, क्तितु, कृत्य आवद प्रत्ययों का प्रयोग

२०

इकाई ०२: अनुिाद : अऩवठत सॊस्कृत गद्याॊश/ऩद्याॊश २०

इकाई ०३: अनुिाद : वहन्दी/अॊग्रेजी से सॊस्कृत में अनुिाद २०

इकाई ०४: वनबन्ध : वनबन्ध ऱेखन कऱा एिॊ इसके तत्त्व, िैकवल्पक विषयों ऩर वनबन्ध (िेद, सावहत्य, दशपन इत्यावद विषय), समसामवयक विषयों ऩर वनबन्ध (राजनीवत, मनोरॊजन, क्रीड़ा इत्यावद विषय)

१५ सन्दभप ग्रन्थ :-

१. बृहद् अनुिाद चवन्द्रका, चक्रधर नौवियाऱ ‘हॊस’, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

२. प्रौढ रचनानुिाद कौमुदी, कवऩऱदेि वििेदी,विश्वविद्याऱय प्रकाशन , िाराणसी

३. िाद: खण्ड १ एिॊ २, मुक्त स्वाध्याय ऩीठम ्, रावियसॊस्कृत सॊस्थानम ्, नई वदिी, २०१५ ४. रचनाअनुिाद कऱा अथिा िाग्व्यिाहारादशप , मोतीऱाऱ बनारसीदास , वदिी

५. सॊस्कृतवनबन्धशतकम ् , कवऩऱ देि वििेदी , विश्वविद्याऱय प्रकाशन ,िाराणसी

६. सॊस्कृत वनबन्धािऱी, चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी

७. The Students G uide to Sanskrit Composition, V.S. Apte, Chaukhmba Sanskrit Series Office, Varanasi

८. Higher Sanskrit Grammar , M. R. Kale, MLBD, Delhi

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सेमेस्टर-०४: चतुदपश ऩत्र आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क भारतीय इवतहास दृवष्ट एिॊ काऱविऻान

इकाई ०१: काऱविऻान के घिक तत्त्व : सॊित्सरविऻान, अयनविऻान, ऋतुविऻान, मास, ऩऺ, वतवथविऻान, िारविऻान, नऺत्रविऻान, िैवदककाऱ में नऺत्रावद

२० इकाई ०२: इवतहासऱेखन : इवतहास के विषय , विस्तार और ऩद्धवत , इवतहास के साधन और मयापदाएॉ, इवतहास ऱेखन

की समस्याएॉ एिॊ समाधान (ऐवतहावसक , सावहवत्यक, िैऻावनक, माइथोऱॉजी एिॊ इवतहास), प्राचीन भारतीय इवतहास जानने के स्रोत (सावहवत्यक साक्ष्य- धार्तमक सावहत्य , ऱौवकक सावहत्य; विदेशी यावत्रयों के वििरण- यूनानी-रोमन ऱेखक, चीनी ऱेखक, अरबी ऱेखक; ऩुरातत्त्व सम्बन्धी साक्ष्य), मनुष्य की जन्मभूवम, आयों के

मूऱवनिास के सम्बन्ध में विवभन्नमत , सप्तवसन्धुिाद, आयपभाषाओॊ का उद्गम , प्रवसद्ध तथा महत्त्वऩूणप ग्रन्थों

तथा ऱेखकों का काऱ वनधापरण, वतऱक का ‘ओरायन या िैवदक प्राचीनता की खोज’, सूयपवसद्धान्त

२०

इकाई ०३: िेधप्रकरण : भारत में िेध ऩरम्परा, काऱमाऩक यन्त्र (नाड़ीिऱय यन्त्र, बृहत्सम्राि ्-ऩऱभा यन्त्र, शङ्कु यन्त्र, धीयन्त्र, चक्रयन्त्र, क्रावन्तिृत्त यन्त्र, तुरीय यन्त्र, ककपरावशिऱय यन्त्र, मकररावशिऱय यन्त्र, उन्नताॊश यन्त्र, षष्ठ्यॊश यन्त्र)

२०

इकाई ०४: प्रमुख भारतीय गवणतऻ (ऩवरचय एिॊ योगदान) : ऱगधमुवन, बौधायन, आऩस्तम्ब, आयपभट्ट-प्रथम, ,िराहवमवहर, भास्कर-प्रथम, आयपभट्ट-वितीय, ब्रह्मगुप्त, ऱिाचायप, महािीराचायप, भास्कर-वितीय, नीऱकॊठ सोमयाजी, शॊकर िावरयार, शॊकर बाऱकृष्ण दीवऺत, ऩॊ. सुधाकर वििेदी, भारती कृष्ण तीथप

१५

ग्रन्थ सूची:

1. वहन्दू सभ्यता, राधाकुमुद मुखजी (वहन्दी अनुिाद-िासुदेिशरण अग्रिाऱ), राजकमऱ प्रकाशन, वदिी, १९९५

2. प्राचीन भारत का राजनीवतक और साॊस्कृवतक इवतहास, धनऩवत ऩाण्डेय और अशोक अनन्त, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

3. प्राचीन भारत का इवतहास, रमा शॊकर, मोतीऱाऱ बनारसीदास, वदिी

4. धमपशास्त्र का इवतहास-चतुथप भाग, ऩाण्डुरङ्ग िामन काणे (वहन्दी अनुिाद-अजुपन चौबे कश्यऩ), उत्तर-प्रदेश वहन्दी सॊस्थान, ऱखनऊ,१९९६

5. सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास, बऱदेि उऩाध्याय, शारदा वनकेतन, िाराणसी, १९९४ 6. सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास, िाचस्पवत गैरोऱा, चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी, १९९१ 7. भारतीय गवणतऻ, अनन्त व्यिहारे, शारदा सॊस्कृत सॊस्थान, िाराणसी, २०११

8. भारतीय व्रतोत्सि, ऩुरुषोत्तम शमाप चतुिेदी, चौखम्बा विद्याभिन, िाराणसी, १९८८ 9. ऩञ्चाङ्ग-गवणतम ्, कल्याणदत्त शमाप, िेदमाता गायत्री ट्रस्ट, हवरिार, सित ् २०६२

10.भारतीयज्योवतष (शॊकर बाऱकृष्ण दीवऺत की मराठी ऩुस्तक का वहन्दी अनुिाद), वशिनाथ झारखण्डी, उत्तर-प्रदेश वहन्दी

सॊस्थान, ऱखनऊ, २००२

11.ज्योवतर्तिऻान की िेधशाऱा, कल्याणदत्त शमाप, िेदमाता गायत्री ट्रस्ट, हवरिार, सित ् २०६१

12.िैवदक-विऻान, वगवरधरशमाप चतुिेदी, श्री ऱाऱ बहादर शास्त्री राविय सॊस्कृत विद्याऩीठ, नई वदिी, २००५

13.The Orion or Researches into The Antiquity of the Vedas, Bal Gangadhar Tilak, Messrs Tilak Bros, Poona City

14.The Wonder That was India, AL, Basham

15.How to Read History, Archibald Robertson, London, 1952

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सेमेस्टर-०३: ऩञ्चदश ऩत्र (विकल्प ०२) आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सावहत्यशास्त्र : िक्रोवक्तजीवितम ् (प्रथम उन्मेष)

इकाई ०१: काव्य प्रयोजन , अऱॊकृवतस्वरूऩ , काव्यऱऺण , िाच्यस्वरूऩ ,िाचकस्वरूऩ २० इकाई ०२: िक्रोवक्त का स्वरूऩ, िक्रोवक्त का ऱऺण,अऱॊकायपस्वरुऩ, ‘सवहतौ’ (शब्दाथौ) का विचार, सावहत्य का विचार,

सावहत्य का स्वरुऩ

२० इकाई ०३: िक्रताप्रकार–िणपविन्यासिक्रता, ऩदऩूिापद्धपिक्रता, प्रत्ययावश्रतिक्रता (ऩदऩराद्धपिक्रता), िाक्यिक्रता,

प्रकरणिक्रता, प्रबन्धिक्रता

२०

इकाई ०४: बन्ध का स्वरूऩ, तविदाह्लादकावरत्व, काव्यमागप – सुकुमार, विवचत्र, मध्यम, वत्रविध मागों के गुण १५ मूऱ ग्रन्थ :

1. िक्रोवक्तजीवितम ्-कुॊतक, विश्वेश्वरवसद्धान्त वशरोमवण, वहन्दी अनुसन्धान ऩवरषद्, वदिीविश्वविद्याऱय, वदिी, १९५५ 2. िक्रोवक्तजीवितम ्-कुॊतक, िेदप्रकाश शडडोवरया (व्या.),वशिावऱक प्रकाशन ,वदिी,२०१६

सहायकग्रन्थ :

1. History of Sanskrit Poetics, SK De, KLM Pharma Pvt. Ltd., Calcutta, 1976

सेमेस्टर-०३: षोडश ऩत्र (विकल्प ०२) आन्तवरक मूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रायोजना कायप १५ अङ्क, कऺा ऩरीऺा १०),सत्र ऩरीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत सावहत्यशास्त्र का सिेऺण

इकाई ०१: प्रारविक काऱ : प्रारि से भामह तक २०

इकाई ०२: रचनात्मक काऱ : भामह से आनन्दिधपन तक २०

इकाई ०३: वनणपयात्मक काऱ : आनॊदिधपन से मम्मि तक २०

इकाई ०४: व्याख्या काऱ : मम्मि से विश्वेश्वर ऩाण्डेय तक १५

ग्रन्थ सूची:

1. History of Sanskrit Poetics, SK De, KLM Pharma Pvt. Ltd., Calcutta, 1976 2. History of Sanskrit Poetics, PV Kane, MLBD, Delhi, 1976

3. सॊस्कृत सावहत्यशास्त्र, बऱदेि उऩाध्याय, चौखॊबा प्रकाशन, िाराणसी

4. Studies on Some Concepts of Alankarshastra, V Raghavan, Adyar Library, Madras 5. Comparative Aesthetics, KC Pandey, Chaukhambaa Varanasi

नोि: विकल्प १, ३,४ और ५ आगामी िषों में छात्रों की सॊख्या के आधार ऩर वनधापवरत होंगे । प्रारि में केिऱ सावहत्यशास्त्र ही

एम.ए. उत्तराद्धप में वदया जाएगा ।

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Page 1 of 26 सॊस्कृत विबाग

जावभमा वभविमा इस्लावभमा, नई वदिी

B.A. (Hons.) in Sanskrit ऩाठ्यक्रभ सॊयचना

(Academic Year 2017-18 Onwards)

सेभेस्टय ऩत्र क्रभ विियण

1. प्रथभ ऩत्र सॊस्कृत नीवत सावहत्य (चाणक्यनीवत:, नीवतशतकभ ्) वितीम ऩत्र व्यािहावयक सॊस्कृत (वरवित एिॊ भौविक)

2. तृतीम ऩत्र सॊस्कृत ऩद्यकाव्य (यघुिॊशभहाकाव्यभ ्-प्रथभ सगग, वकयाताजुगनीमभ ्-प्रथभ सगग) चतुथग ऩत्र सॊस्कृत गद्यकाव्य (कादम्बयी-शुकनाशोऩदेश्, ऩञ्चतन्त्र-काकोरॄकीमभ ्) 3. ऩञ्चभ ऩत्र सॊस्कृत व्याकयण

षष्ठ ऩत्र गीता भें आत्म प्रफन्धन

सप्तभ ऩत्र सॊस्कृत नाटक (अवबऻानशाकुन्तरभ ्, नाट्यशास्त्रीम ऩावयबावषक शब्दािरी) 4. अष्टभ ऩत्र आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य : ऩद्यकाव्य

निभ ऩत्र बायतीम िैऻावनक वनवध दशभ ऩत्र सॊस्कृत सावहत्य का इवतहास 5. एकादश ऩत्र सॊस्कृत सावहत्य भें ऩमागियण चेतना

िादश ऩत्र बायतीम साभावजक सॊस्थाएॊ एिॊ याजशास्त्र

त्रमोदश ऩत्र बायतीमदशगनविभशग (बायतीम दशगन ऩवयचम, तकगसङ्ग्रह) चतुदगश ऩत्र वनफन्ध, अनुिाद, छन्द, यचनात्मक रेिन

ऩञ्चदश ऩत्र िैकविक ऩत्र (०१) सॊस्कृत यङ्गभञ्च

िैकविक ऩत्र (०२) सॊस्कृत ऩत्रकावयता

िैकविक ऩत्र (०३) बाषाविऻान

6. षोडश ऩत्र आधुवनक सॊस्कृत सावहत्य : गद्यकाव्य एिॊ नाटक सप्तदश ऩत्र बायतीम ऩुयावरवऩ एिॊ अवबरेिशास्त्र

अष्टादश ऩत्र िैवदकसावहत्य

एकोनविश ऩत्र सॊस्कृतसावहत्यशास्त्र एिॊ सभारोचना

विश ऩत्र िैकविक ऩत्र (०१) सॊस्कृत सावहत्य भें तकनीकी विऻान

िैकविक ऩत्र (०२) फ़ायसी एिॊ सॊस्कृत का अन्त्सम्बन्ध

िैकविक ऩत्र (०३) सङ्गणकीम सॊस्कृत

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सॊस्कृत विबाग

जावभमा वभविमा इस्लावभमा, नई वदिी

B.A. (Hons.) in Sanskrit ऩाठ्यक्रभ विियण

सेभेस्टय-01: प्रथभ ऩत्र आन्तवयक भूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना कामग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत नीवत सावहत्य (चाणक्यनीवत:, नीवतशतकभ ्)

इकाई ०१: चाणक्यनीवत श्लोक १-२५ अनुिाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०२: चाणक्यनीवत श्लोक २६-५० अनुिाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०३: नीवतशतकभ ् श्लोक १-२५ अनुिाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०४ : नीवतशतकभ ् २६-५०-अनुिाद, व्याख्या एिॊ व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न १५ ऩाठ्य ऩुस्तकें एिॊ सन्दबग ग्रन्थ :-

1. बतृगहवय कृत नीवतशतकभ ्, विभरचविकासॊस्कृत टीका ि वहन्दी व्याख्या सवहत, विष्णुदत्त शभाग (व्या.), ऻानप्रकाश, भेयठ, सॊित ् २०३४

2. नीवतशतकभ ् (सॊस्कृतटीका, वहन्दी-अॊग्रेजी व्याख्या, अनुिाद सवहत), तावयणीश झा (व्या.), याभनायामणरार िेणीभाधि

इराहाफाद, १९७६

3. बतृगहवय कृत नीवतशतकभ ्, भनोयभा वहन्दी व्याख्या सवहत, ओभप्रकाश ऩाण्डेम (व्या.), चौिम्बा अभयबायती प्रकाशन,

िायाणसी, १९८२

4. बतृगहवय कृत नीवतशतकभ ्, फाफूयाभ वत्रऩाठी (सम्पा.), भहारक्ष्मी प्रकाशन, आगया, १९८६

5. बतृगहवयवियवचतभ ् नीवतशतकभ ् (वहन्दी सॊस्कृत व्याख्या सवहत), डॉ. याकेश शास्त्री, ऩवयभर ऩविकेशन्स, वदिी, १९९८ 6. बतृगहवय:शतकत्रमभ ्, ऩु. गोऩीनाथ, याविम सॊस्कृत सॊस्थान, नई वदिी, २०१०

7. Nitishatakam of Bhartrihari, M. R. Kale (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi 8. Chanakya Neeti, B.K. Chaturvedi, MLBD, Delhi,

9. Chanakya Niti Darpana, Ed. by Gunjeswar Chaudhury, Chowkhamba Sanskrit Pratisthan, Varanasi

10. Chanakya in You, Radhakrishnan Pillai, Jaico books

11. Viduraniti (from Mahabharata-Udyoga Parva), Hindi Translated by Gunjeswar Chaudhury, Chowkhamba Sanskrit Pratisthan, Varanasi

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सेभेस्टय-01: वितीम ऩत्र आन्तवयक भूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना कामग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क व्यािहावयक सॊस्कृत (वरवित एिॊ भौविक)

इकाई ०१: िाग्व्व्यिहाय-शब्दरूऩ, धातुरूऩ, सॊमोजक; कायक ऩय आधावयत िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग २० इकाई ०२: भ्वावदगण की धातुओॊ के आधाय ऩय िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग (रट ्, रृट ्, रोट ्, रङ्,

विवधवरङ्ग रकायों भें ऩयस्मैऩद प्रमोग)

२० इकाई ०३: अव्यम- उऩसगग, कायक एिॊ विबवि आधाय ऩय िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग. (रट ्, रृट ्,

रोट ्, रङ्, विवधवरङ्ग रकायों भें)

२०

इकाई ०४: सॊस्कृत िातागराऩ एिॊ सम्भाषण का अभ्यास १५

ऩाठ्य ऩुस्तकें एिॊ सन्दबग ग्रन्थ :

१. सम्भाषणभ ् (प्रथभा दीऺा), िेम्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊस्कृतसॊस्थानभ ्, नि देहरी

२. िाक्यविस्तय् (प्रथभा दीऺा), िेम्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊस्कृतसॊस्थानभ ्, नि देहरी

३. व्यिहायप्रदीऩ्-प्रथभ् बाग् (वितीमा दीऺा), िेम्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊस्कृतसॊस्थानभ ्, नि देहरी

४. सॊस्कृत वशऺण सयणी , आचामग याभप्रताऩ शास्त्री

५. सॊस्कृत व्यिहाय साहस्री , सॊस्कृत बायती ,भाता भॊवदय गरी ,झॊडेिारान ,नई वदिी

६. स्वमभेि सॊस्कृत वशऺणभ ् , डॉ. जीतयाभ बट्ट,डॉ. गोस्वाभी वगवयधायी रार शास्त्री प्राच्य विद्या प्रवतष्ठानभ ्, नई वदिी, २०१४ ७. रघुवसद्धान्तकौभुदी, धयानन्द शास्त्री (व्या.), भूर एिॊ वहन्दी व्याख्या, भोतीरार फनायसी दास, वदिी

८. फृहद् अनुिाद चविका, चक्रधय नौवटमार ‘हॊस’, भोतीरार फनायसीदास, वदिी

९. प्रौढ यचनानुिाद कौभुदी, कवऩरदेि वििेदी,विश्वविद्यारम प्रकाशन , िायाणसी

१०.सॊस्कृत सम्भाषण वशऺक , डॉ.श्रीित्स शास्त्री , िणागश्रभ सॊघ, गुरुकुर प्रबात आश्रभ,उत्तय प्रदेश, तृतीम सॊस्कयण २०१६.

११.The Students Gide To sanskrit Composition, V.S. Apte, Chaukh amba Sanskrit Series Office, Varanasi

१२.Higher Sanskrit Grammar, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi

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सेभेस्टय-०२: तृतीम ऩत्र आन्तवयक भूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना कामग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत ऩद्यकाव्य (यघुिॊशभहाकाव्यभ ्-प्रथभ सगग, वकयाताजुगनीमभ ्-प्रथभ सगग)

इकाई ०१: यघुिॊशभहाकाव्यभ ्-प्रथभसगग-श्लोक सॊ.०१-५०, अनुिाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०२: यघुिॊशभहाकाव्यभ ्-प्रथभ सगग- श्लोक सॊ. ५१-सगग सभावप्त ऩमगन्त- अनुिाद , व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ

आरोचनात्मक प्रश्न

२०

इकाई ०३: वकयाताजुगनीमभ ्-प्रथभ सगग- श्लोक सॊ. ०१-२५, अनुिाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न

२०

इकाई ०४: वकयाताजुगनीमभ ्-प्रथभ सगग- श्लोक सॊ. २६-४६, अनुिाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न १५ ऩाठ्य ऩुस्तकें एिॊ सन्दबग ग्रन्थ :-

1. यघुिॊशभ ्-भविनाथ कृत सॊजीिनी टीका, कृष्णभवण वत्रऩाठी (सम्पा.), चौिम्भा सुयबायती प्रकाशन, िायाणसी

2. बायविकृत वकयाताजुगनीमभ ्, जनादगन शास्त्री (अनु.), भोती रार फनायसी दास, वदिी

3. भहाकवि-बायवि-वियवचतभ ् वकयाताजुगनीमभ ्, डॉ. सावित्री गुप्ता (व्या.), विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २००२ 4. Raghuvansham of Kalidas, C.R. Devadhar (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi 5. Raghuvansham of Kalidas, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi

6. Raghuvansham of Kalidas, Gopal Raghunath Nandargikar (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi

7. Kiratarjuniyam of Bharavi, M.R. Kale (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi

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सेभेस्टय-०२: चतुथग ऩत्र आन्तवयक भूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना कामग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत गद्यकाव्य (कादम्बयी-शुकनाशोऩदेश्, ऩञ्चतन्त्र-काकोरॄकीमभ ्)

इकाई ०१: कादम्बयी-शुकनाशोऩदेश-एिभभवतक्राभत्सु से कज्जरभवरनभेि कभग केिभरृिभवत ऩमगन्त ( अनुिाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

२० इकाई ०२: कादम्बयी-शुकनाशोऩदेश-तथावह इमॊ सॊिधगनिावयधाया से बितीत्येतािदवबधामोऩशशाभ ऩमगन्त (अनुिाद,

व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

२० इकाई ०३: ऩञ्चतन्त्र (तृतीमतन्त्र-काकोरॄकीमभ ्) : काकोरॄकिैयकथा,शशकवऩञ्जरकथा (अनुिाद , व्याख्या, व्याकयण

विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

२० इकाई ०४: ऩञ्चतन्त्र (तृतीमतन्त्र-काकोरॄकीमभ ्) : धूतगब्राह्मणछागकथा, यथकायिधूकथा (अनुिाद, व्याख्या, व्याकयण

विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

१५ ऩाठ्य ऩुस्तकें एिॊ सन्दबग ग्रन्थ :-

1. शुकनाशोऩदेश, याभऩार शास्त्री, चौिम्बा ओवयमन्टावरमा, वदिी

2. शुकनाशोऩदेश, यभाकान्त झा, चौिम्बा विद्याबिन, िायाणसी

3. श्रीविष्णुशभगप्रणीतॊ ऩञ्चतन्त्रभ ्, श्माभचयण ऩाण्डेम, भोतीरार फनायसीदास, वदिी

4. The Kadambari of Bana, C.M. Ridding, MLBD, Delhi

5. Panchatantra-Five Wise Lessons,Krishna Dharma, MLBD, Delhi

6. Panchatantra (Translated from the Sanskrit by Arthur W. Ryder, MLBD, Delhi

7. Panchatantra or Gems of Indian Thought, Vijay Narain, Chaukhambha Sanskrit Pratishthan, Varanasi

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सेभेस्टय-०३: ऩञ्चभ ऩत्र आन्तवयक भूल्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना कामग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क सॊस्कृत व्याकयण

इकाई ०१: रघुवसद्धान्तकौभुदी :सॊऻाप्रकयण, अच ् सवन्ध-मण, गुण, अमावद, िृवद्ध, ऩूिगरूऩ २० इकाई ०२: रघुवसद्धान्तकौभुदी: हर ् एिॊ विसगग सवन्ध (श्चुत्व, ष्टुत्व, अनुनावसकत्व, छत्व, जश्त्व, सत्व, उत्व, रोऩ, रुत्व ) २०

इकाई ०३: रघुवसद्धान्तकौभुदी : सभास प्रकयण २०

इकाई ०४: रघुवसद्धान्तकौभुदी : प्रत्यम(वनष्ठा, तुभुन ्, क्त्वा, ल्यऩ ्, शतृ, शानच ् ) १५

ऩाठ्य ऩुस्तकें एिॊ सन्दबग ग्रन्थ :-

1. रघुवसद्धान्तकौभुदी, धयानन्द शास्त्री (व्या.), भूर एिॊ वहन्दी व्याख्या, भोतीरार फनायसी दास, वदिी

2. रघुवसद्धान्तकौभुदी-बैभी व्याख्या (बाग-१), बीभसेन शास्त्री, बैभी प्रकाशन, वदिी

3. व्याकयण चिोदम (बाग १-३), चारूदेि शास्त्री, भोतीरार फनायसी दास, वदिी

4. रघुवसद्धान्तकौभुदी-प्रकावशका नाम्नी वहन्दी व्याख्या सवहता, सत्यऩार वसह, वशिावरक ऩविकेशन्स, वदिी

5. Higher Sanskrit Grammar, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi

6. Laghusiddhantakaumudi (Vol. 01) Kanshiram, Motilal Banarsidass, Delhi

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